एहेन पैघ लोक सँ सावधान
सन्दर्भः मातृभाषा मे पढौनीक लेल दिल्ली सरकार द्वारा देल जा रहल अछिकार सँ के आ कियैक ईर्ष्या डाह मे फँसि रहल अछि
(एहि तरहक कुतर्कपूर्ण बहस केर एकटा जीवन्त पोस्ट आ ताहि पर चर्चाक स्क्रीन शौट संलग्न)
गौर सँ देखला पर पता चलैत अछि जे मैथिलीक बड़का कहबैका लोकनिक धियापुता गुमाने गुम्हरैत रहैत छथि। बाबा-पुरुखाक नाम पर हुनको ओतबे सम्मानक भूख आ पुछारि लोक करैत रहथि, ई अपेक्षा हुनकर एहि अवस्थाक कारक तत्त्व बुझाइत अछि। हिनका सब द्वारा सोशल मीडियाक सार्वजनिक मंच मानू जेना कोनो मनमानी करयवला खेलौना बनि गेल अछि! अगबे नाम आ प्रतिष्ठा चाही, ताहि लेल कोनो हद पार करय लेल आतुर रहैत छथि। कोनो नव उपलब्धिक स्वामित्व दोसर केँ भेटि जेतैक ताहि सँ ई वर्ग काफी जलन आ ईर्ष्याक अनुभूति करैत अछि।
एहने एक दुखद आ निन्दनीय पोस्ट स्व. काशीकान्त मिश्र ‘मधुप’ जी केर अंश सँ अपन नाम केँ प्रतिष्ठित कयनिहार सज्जन ‘शंकर मधुपांश’ केर लिखल देखि अत्यन्त छगुनता मे पड़ि गेलहुँ। हुनकर पोस्ट एकटा अटैक छल मैथिलीक पढौनी लेल देल गेल दिल्ली सरकारक मंजूरी पर, आ घुमा-फिराकय हतोत्साहित कय रहल छल मैथिली अभियानी लोकनि केँ।
चूँकि दिल्ली मे बहुत मेहनत आ लगन सँ साहित्यिक क्रान्ति लेल हमहूँ काज कएने छी, मधुपांश जीक बात सँ आहत भेलहुँ, एक पूज्य विभूतिक सन्तति मे एहि तरहक नकारात्मक चर्चा सरेआम फेसबुक सँ केहेन सार्थकता भेटि रहल अछि सुधरैत मैथिली दिनमान केँ… ई प्रश्न चुप नहि रहय देलक। एतेक पैघ उपलब्धि लेल हमरा सब केँ प्रसन्नताक सीमा नहि अछि। उम्मीद करैत छी जे लगभग ५ मिलियन मैथिली भाषाभाषी लेल दिल्ली सरकार एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी द्वारा घोषित मैथिलीक पढौनी निश्चित एकटा पैघ अवसर देत। ऐच्छिक विषयक रूप मे दिल्लीक सरकारी विद्यालय मे पंजाबी, ऊर्दूक संग मैथिलीक पढाई निश्चित मैथिलीभाषाभाषी लेल वरदान होयत। संगहि जे विद्यार्थी (प्रतियोगी छात्र) संघ लोक सेवा आयोग केर परीक्षा मे मैथिली रखता तिनका सभक लेल स्पेशल कोचिंग तक केर व्यवस्था करत दिल्ली सरकार।
राज्य द्वारा अधिकार भेटला सँ सभक हित होयबाक अछि। मातृभाषा मे शिक्षाक महत्व केँ बुझबाक व्यवस्था आ माहौल बनेबाक बदला सोशल मीडिया पर नकारात्मक चर्चाक केहेन लाभ? हम बुझैत छी जे किछु उच्च जाति-समुदायक लोक लेल मातृभाषाक कोनो महत्व नहि अछि, सिवाये खरखाँही लूटबाक आ अपन पुरुखाक नाम पर वाहवाही लूटबाक ओ सब आर किछु नहि कय सकैत छथि। एहेन लोक अपन बेसी संख्या मे अपन धियापुता संग हिन्दी अंग्रेजी मे बजैत अछि। ओकरा दिल्ली सरकारक ई घोषणा आ एहि लेल सदिखन सुझबुझ संग काज कयनिहार अभियानी आ विशेष रूप सँ मैथिली भोजपुरी अकादमीक उपाध्यक्ष नीरज पाठक केर योगदानक उपेक्षा करब, मानहानिक कुचेष्टा करब, हतोत्साहित करब फेसबुकिया खेल थिक। एकर असली लाभ त ओहि वर्ग केँ भेटतैक जेकर बच्चा एखनहुँ दिल्लीक झुग्गी-झोपड़ी मे रहिकय सरकारी विद्यालय सँ शिक्षा ग्रहण करैत छैक। ओकरा लेल ई अवसर स्वर्णिम हेतैक।
हरिः हरः!!