नेपाल विभिन्न भूकंप सँ त्रस्त: प्राकृतिक भूकंप, राजनीतिक भूकंप, प्रतिक्रियावादी भूकंप

विशेष संपादकीय – मैथिली जिन्दाबाद!!

अप्रैल २५, २०१५ शनि दिन, समय करीब १२ बजे दुपहरिया – काठमांडु जे नेपालक राजधानी थीक, तहिना पर्यटक सँ भरल रहयवला क्षेत्र पोखरा आ सगरमाथा (माउन्ट एवरेस्ट) केर आधार शिविर वला भूभाग – लगभग एहि तिनू क्षेत्र सँ एकसमान दूरी पर रहल पहाड़ी जिला लमजुंग मे भूकंपक केन्द्र सँ धरतीक मात्र १० किमी निचाँ सँ उठल कंपन नहि केवल नेपाल केँ बल्कि भारत, चीन, भूटान, बंगलादेश, आदि समस्त महाद्वीप केँ हिला देलक। आर जगह जन व धनक क्षति कम देखल गेल मुदा नेपालक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र आर उपरोक्त प्रमुख राष्ट्रीय क्षेत्र मे एकर असर एतेक तीव्र व घातक छल जे आइ धरि तक कुल जन-धनक क्षतिक आकलन निस्तुकी नहि कैल जा सकल अछि।

cartoon jeff koterba
अन्तर्राष्ट्रीय जगत् केर प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट जेफ कोतेर्बाक नेपालक वर्तमान परिस्थिति पर सहज-सुन्दर आ यथार्थ चित्रण करैत एहि कार्टून केँ आजुक संपादकीय केर संग राखल गेल अछि।

भूकंपक तुरन्त बाद जाहि द्रुतगति सँ भारतक वायूसेना, गोरखा रेजिमेन्ट, रिटायर्ड गोरखा सेना (नेपालहि मे बसोबास कएनिहार) आ अनेको भारतीय राज्य सरकार, सरकारी व गैर-सरकारी संघ-संस्था आदि द्वारा राहत तथा उद्धार कार्य संपन्न कैल गेल तेकर मात्रा व मिडिया पर चर्चा देखिकय विश्वक समस्त सहयोगी मुल्क द्वारा अपन-अपन ढंग सँ सहयोग पठेबाक कार्य शुरु भऽ सकल छल। भूकंपक उपरान्त ७ दिन धरि नेपाली मिडिया, नेपाल सरकार, नेपाली राजनीति, नेपाली जनमानस, नेपाली सरकारी व गैर-सरकारी संस्था आदि पूर्ण रूपेण मूक अवस्था मे चलि गेल छल, कारण काठमांडु मे केन्द्रित समस्त प्रविधिक जैड़ मानू उखैड़ गेल छल आ बाकीक नेपाल किंकर्तब्यविमूढ बनि गेल छल। सरकारो हत्ते-पत्ते आकस्मिक काल केर घोषणा कए जेना-तेना स्वप्राण रक्षा प्रथमत: केर सिद्धान्त पर हाथ-पैर शिथिल कए लेलक। लेकिन एहि मे कतहु दुइ मत नहि जे नेपाल प्रहरी, सशस्त्र प्रहरी सेना, यथासंभव मिडियाकर्मी आदि देशपर टूटल विपत्ति मे एकजुट भऽ अपन कर्तब्यपालन आ स्वप्राणक रक्षा दुनू पूर्ण सजगता सँ कए रहल छल। मूल रूप सँ जे क्षेत्र घायल भेल ओ देशक केन्द्र अछि, केन्द्र घायलावस्था मे रहला पर अन्य भाग स्वत: पीड़ाक अनुभूति सँ बौक बनबे करैछ। तथापि राष्ट्रप्रेम, जन-जन प्रति सौहार्द्र आ परोपकारक भावना सँ भरल लोक यथासाध्य स्वयंसेवा मे लागल रहल

दोसर दिशि एहि छोट हिमालयी संप्रभु राज्य मे राजनीति अपन संपूर्ण अंग-प्रदर्शन करैत जाहि तरहें आइ हालक किछु वरिस मे नंगट-नाच कए रहल अछि सेहो देशक केन्द्रकेँ लहूलुहान अवस्था मे देखि अवाक् रहि गेल छल, समस्त नाच-गाना-डिस्को-केसिनो आ घर-घर मे टाइम-पास करय लेल खेलल जाइवला रईसी खेल पप्लू-मैरिज सबटा स्थगित भऽ गेल छल। मुदा दोसर दिशि भारतीय मिडिया जे नेपाल मे काफी लोकप्रिय मानल जाइछ, ताहि पर ‘आजतक ने यों मारा, भारत ने यों उखाड़ा… मैं-हम-मैं-हम भारत-भारत-भारत’ जे अनघोल कए देलक ई बात किछु नेता आ किछु मिडिया केँ अपन ‘टीआरपी’ पूर्णरूपेण ध्वस्त करैत देखेलय आ एम्हर छोट-छोट पराकंपन सब होइते रहितो राजनीतिक कंपन पुन: अपन गति पकड़नाय चालू कए देलक। कतहु सँ समाचार आयल जे फल्लाँ देशक करोड़ों टकाक राहत सहयोग विमान भारतक कब्जा मे रहल त्रिभुवन अन्तर्राष्ट्रीय विमानस्थल पर अवतरण नहि कए सकल, तऽ कतहु सँ शुरु भऽ गेल जे भारतीय मिडिया नेपाली जनमानसक आत्मसम्मान पर लात प्रहार करैत मजाक उड़ा रहल अछि। तुरन्ते मे समाचार भेटय लागल जे भारत नेपाल पर कब्जा करबाक दृष्टिकोण सँ एतेक रास वायूसेना आदि उतारि देलक अछि। कतहु भारतीय मिडियाकर्मी केँ नेपालक प्रहरी केँ धौंस दैत देखायल जाय लागल। लोकक ध्यान छूटल, राहत व उद्धार कार्य मे कम, भारत-नेपाल संबंध पर बेसी जाय लागल। एहि बीच किछु गानल-चुनल होशियार आ बुधियार नेपाली सरोकारवाला अपन कृतघ्न मानसिकता सँ भारतक सेना व मिडिया प्रति आक्रोश अभिव्यक्त करैत आम नेपाली जनमानस मे पुन: भारत व भारतक सहयोग प्रति नकारात्मक अभियान प्रसार करय लागल। परिणाम भेल जे पुन: भारतीय मिडिया व राहत कार्य एहि सब सँ प्रभावित भऽ कतहु-न-कतहु मद्धिम पड़ि गेल आ एतहु राजनीति अपन नंगटे-नाच करैत देखायल।

एहि सब बीच फेर सँ जोरदार झटका पैछला मंगल दिन यानि १२ मई केँ आयल आ फेर सँ सैकड़ों मकान ढहि गेल, सैकड़ो जन केर जान चलि गेल आ नहि जानि कतेको फेर सँ धन केर हानि भेल – फेर केन्द्र ओतहि या ओहि सँ आसपास आ नोकसानीक सघनता सेहो लगभग ओतबे दूर मे। एक बेर फेर सब अवाक्! चुप्प!! एम्हर कियो हल्ला कए देलक जे मंगल आ शनि दुनू नेपाल सँ दु:खी छथि, कियो कहय जे प्रकृति विरुद्ध क्रियाकलाप होएबाक कारणे एना वसुधा कछमछा रहली अछि, कियो कहलक जे पहाड़ मे अनाचार-कदाचार बढि गेला सँ ई घटना ओहि केन्द्र मे घटित भऽ रहल अछि। कहनिहारक अन्ते नहि भेल छल कि कतहु सँ विज्ञानक हवाला दैत कहि देल गेल जे १२ रिक्टर केर महामहामहाभूकंप एखन आबय लेल बाकिये अछि। आब तऽ चुप्पी सहजहि छैक! अवाक्! राजनीति फेर मुड़ि गेल भारतक मुह ताकय लेल – एकटा विशेष आपाद समीक्षा दस्ता भारत सँ पठायल गेल अछि। वार्ता पुन: जारी होयत।

एतबा काल धरि जे राहतक नाम पर करोड़ों-अरबों डलर आ राहत-सामग्री इत्यादि विभिन्न देश व ठाम सँ आयल अछि तेकरा ऊपर सेहो जोर-शोर सँ राजनीति चलबाक खबड़ि हवा मे उड़ि रहल अछि। कतहु सुनबा मे अबैत अछि जे हजारों त्रिपाल कोनो माननीय एमपी अपन गोदाम मे चोरा केँ राखि लेने छथि, कतहु सुनबा मे आयल जे केकरो देल राहत कियो बँटबा रहल अछि आ अपन ब्रान्डिंग करय लेल फोटो खिंचाकय समाचार बनबा रहल अछि…. प्रधानमंत्री राहत कोष केर व्यवस्थापन मे सेहो कतेक दान कएनिहार बढि-चढिकय दान कय रहला अछि। स्वच्छता नहि जाइन कियैक लेकिन कतहु हेरायल जेकाँ बुझायल। राहत देबाक पाछाँ परोपकारक भावना करम प्रति-उपकार आ स्वार्थक मात्रा बहुत बेसी देखाय लागल। नहि जाइन, एहि प्राकृतिक वन-जल-पहाड़ व पौराणिक धार्मिक स्थल सब सँ भरल देश नेपाल मे एना स्वच्छता पर ग्रहण कियैक लागल अछि! ई बड पैघ प्रश्न बुझाइत अछि।

आब जखन राजनीति होइते छैक तऽ सत्ताधारी आ विपक्ष बीच सेहो टेनामेनी नहि होइक तऽ काज चलत… कोनो मिडिया लिखि देलक जे एहि विपत्तिक घड़ी मधेशवादी नेता सब कतय नुका गेल… आ कि मधेशवादी नेता सब अपन-अपन एल्बम खोलि ओ फोटो सब सार्वजनिक करय लगलाह जे ओ सब कोन-कोन ठाम राहत शिविर लगौलनि आ कोना भूकंप पीड़ित सबकेँ राहत पहुँचौलनि। ई सब छोट-मोट हँसी-ठट्ठा होइते छल कि राजनीतिक तौर पर कमजोर पड़ि गेल नेता द्वारा पुन: वीभत्स आ सांप्रदायिक टिप्पणी सेहो आबि गेल। कियो कहि देलखिन जे राहत कार्य नेपाल सरकार द्वारा जानि-बुझि कमजोर तरीका सँ कैल जा रहल अछि जाहि सँ राजा महेन्द्रक समय जेकाँ ओ पहाड़ी लोक सब जत्थाक-जत्था मधेश मे प्रवास करय लेल आबि जायत। कहाँ दैन राजा महेन्द्र पहाड़ सँ लोक सबकेँ मधेश यानि तराई भूभाग जेकरा नेपाल मे मधेश कहल जाइत छैक आ जे भारतक सीमा सँ जुड़ल क्षेत्र सेहो थिकैक, ताहि ठाम बेसी पहाड़ीक बसोबास हेतैक तऽ मधेशी यानि मधेश मे रहनिहार पर नियंत्रण रहत। आइयो माइर एतबे बात लेल छैक जे मधेश सँ पहाड़ी एमपी-एमएलए नहि बनय आ मधेश-पहाड़ बीच सत्ताक फिफ्टी-फिफ्टी कैल जाय। जखन कि पहाड़ीवर्गक राजा रहि आयल छैक, तऽ पहाड़ी केँ शासकवर्ग मानल जाइत छैक, पहाड़ीवर्गक वर्चस्व ताहि हेतु बेसी छैक, शिक्षा-दीक्षा-संस्कार सेहो मधेशी जनवर्गीय जनसंख्या सँ पहाड़ी मे अछिक छैक… यैह सब झर-झंझैट मे नेपाल आइ लगभग एक दशक सँ राजनीतिक तौर पर उलझन मे छैक जे कोन तरहक संविधान, केहन संघियता आ केहन भविष्यक राज्य शासन प्रणाली, प्रशासन आदि हो।

बिल्कुल मानू जेना हिन्दुस्तान मे हिन्दू-मुस्लिम बीच एकटा दरार राजनीतिक शक्ति द्वारा जानि-बुझि राखल जेबाक दृष्टान्त भेटैत अछि, किछु तहिना एतय मधेशी-पहाड़ी बीच एकटा देवाल ठाढ राखि देशक सांप्रदायिक सौहार्द्रकेँ राजनीति केनहार लोक अपन मुठ्ठी मे राखय चाहैत छैक। एहेन विपत्तिक घड़ी मे भारतीय मिडिया वा भारत सरकारक देखायल उदारता पर गलत टिप्पणी केनाय, फेर मधेशवादी नेता केँ खोरनाठी सँ पकेनाय, फेर मधेशी नेता द्वारा पहाड़ी नेताक मानसिकता पर प्रश्न दगनाय, आर एहि सब बात सँ कमजोर आ बिना कोनो मजबूत दृष्टिकोण वा सिद्धान्तक नेपाली आम जनताकेँ उकसेबाक कार्य होइत छैक, ई एहि नेपाल देशक हित मे कदापि नहि कहल जा सकैत अछि। एक तऽ प्रकृतिक प्रकोप सँ भूमि मे कम्पन आ ताहि पर सँ राजनीति व जनाक्रोशक कंपन – ई समग्र मे एहि राष्ट्र पर सही मे कोनो महाग्रहक अभिशाप होएबाक संकेत देखा रहल अछि।