मिथिलानी लोकनिक विद्वत् चर्चा – दहेज मुक्त मिथिला समूह पर

विद्वत् चर्चा आ विषय-विमर्श

संयोजकः वंदना चौधरी, समूहः दहेज मुक्त मिथिला (फेसबुक समूह)

वंदना चौधरीः सुप्रभात सब गोटे के। आय एकटा विषय दैत छी, जाहि पर अहाँ सब अपन-अपन विचार कम सँ कम १० लाइन में लिखू से आग्रह। विषय अछि आधुनिक शिक्षा, नीक या बेजाय, एकर कारण और परिणाम की? विचार बेसी लंबा और बेसी छोट नै हुए से ध्यान राखब। समय आय सँ तीन दिन तक। सब सँ बेसी जिनकर विचार नीक होयत हुनका तीन गोटे के क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता सेहो घोषित कएल जायत समूह पर। जय मिथिला, जय जानकी🙏

  • Babita Jha Good question good morning
  • Sharda Jha आधुनिक काल में या कालांतर में, कखनौ शिक्षा अति आवश्यक छैक और हमेशा रहत। आधुनिक युग में जुड़ल रहैक लेल, आधुनिक शिक्षा लेनाइ जरूरी अछि और नीक अछि। मुदा हर चीज के दू स्वरुप होएत अछि, एकटा नीक और एकटा ख़राब।अपना सब के बच्चा के संस्कार सँ नींव मजबूत राखऽ पड़त, और बेजाय परिणाम नइ हुए ताहि लेल, हमेशा बच्चा सब सँ गप-शप‌ करैत, तर्क-वितर्क करैत ओकरा सब सँ सम्पर्क बना कय, हर विषय केर पूर्ण ज्ञान देबाक प्रयास करैत रहबाक जरूरत छ‌ैक।
  • Prakash Jha शिक्षा आ बेजाए!! कथमपि नै भs सकैत अछि।
    देश विदेश के भूमंडलीकरण के समयानुसार एवं दिन प्रतिदिन बढ़ैत तकनीकी विकास के कारण आधुनिक शिक्षा आब अत्यंत आवश्यक भs गेल हँ। आधुनिक शिक्षा सँ छात्र/छात्रा के आंतरिक अभिरुचि सेहो जागृत होइत छैक, संगहि सोच सेहो बदलैत छSee more
  • Jaya Jha जरूर लिखब ,लेकिन आराम स, नीक टॉपिक , वर्तमान म शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश….
  • Raksha Karn सब सँ पहिने बच्चा केँ नैतिक शिक्षा के आवश्यकता छैक।
  • Soni Priyaranjan शिक्षा के वास्तविक अर्थ अय किछ सीख क अपना आप के पूर्ण बनेनाय अगर हमरा जीवन में शिक्षा नय रहत त हम पूरा पशु के समान ही रहि जायब । आधुनिक शिक्षा में बहुत चीज नीको अय त किछ खराबो अय। आबके शिक्षा एहन भ गेल अय जे हम सब ठीक स सुइत नय पाबय छी भोरे भोर स्कूल के लेल तैयार हेब पड़ैत या। आ जखन बच्चा स्कूल स घर आबय या माता पिता अपन काम पर चयल गेल रहय या जय स बच्चा टीवी, फोन्स मे वयस्त भ जाय या । आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नैतिक ज्ञान के आभाव भ गेल अय। पहिले लोग संयुक्त परिवार मे रहय छल त सब ज्ञान परिवार के लोग स प्राप्त करय छल पर आय गुगल पर सर्च क’ के पता करय या पर फायदा इ अय जे तरह-तरह के ज्ञान प्राप्त भ जाय या। ओना आधुनिक ज्ञान मशीनी ज्ञान भ गेल अय। खेल कूद पर जादा ध्यान नय द क बच्चा सब खाली टीवी, मोबाइल, लैपटप पर जादा ध्यान दय या । पहिले के शिक्षा मे नैतिकता रहे जय स बच्चा मे सच्चाई, ईमानदारी, दया, धर्म के ज्ञान छल।। पर आब ई सब के आभाव अय । 🙏🙏
  • Raksha Karn कोन भाषा मे भेजू?
  • Minu Jha शिक्षा के मतलब डिग्री प्राप्ति नहि बल्कि विषय-वस्तु के सही ज्ञान होयबाक चाही। स्कूल मे ड्रेस नहि, राष्ट्रीय गान नहि, प्राइमरी लेवल मे कोनो एक्जाम नहि, लेकिन धान के थाल भेल खेत मे लऽ जा कय धन रोपनी, एक्टिव बोर्ड पर पढाई नहि: ईहा आइ के युग के जरूरी छैक। 
  • Raksha Karn आज की शिक्षा प्रणाली में खामियां ज्यादा है। वजह यह है कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार है। यह तो सभी को पता होगा कि हमारी शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से कागज़- कलम ज्ञान उन्मुख है। शिक्षित लोगों को हमारे देश के मानव संसाधन के रूप में पैदा करने की प्रक्रिया में शिक्षा का असली अर्थ निश्चित रूप से खो गया है। शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिकता और रचनात्मकता की कमी है। जब राजनीति स्कूल में सिखाए गए पाठ्यक्रम को प्रभावित कर रही है तो इन दो चीजों को हासिल करना बहुत मुश्किल है।

    गौर करें तो हम पाएंगे कि हमारी शिक्षा प्रणाली परंपरागत शैक्षणिक तरीकों में फंस गई है जिसके लिए हमें ऑलराउंडर होने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, चाहे वह कोई अनुशासन या पेशेवर क्षेत्र हो, कंप्यूटर ज्ञान सबसे बुनियादी आवश्यकता है, जो एक कर्मचारी को भर्ती करने से पहले कंपनी की मांग होती है। फिर भी, हमारी शिक्षा प्रणाली में कंप्यूटर एक वैकल्पिक विषय के रूप में हैं, और अंग्रेजी, एक विदेशी भाषा, जिसका अध्ययन करने के लिए सब बाधित हैं।

    इसके अलावा, मूल्यांकन की संरचना रचनात्मक और स्वतंत्र सोच के लिए कोई जगह नहीं छोड़ती जो कि एक बड़ी कमी है, छात्रों को एक वांछनीय कर्मचारी बनने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है | वांछित कार्यबल योग्यता, रचनात्मकता और प्रतिभा है, जिसमे अक्सर अल्प भुगतान और पर्याप्त अवसरों की कमी होती है। कहीं कहीं शिक्षा प्रणाली के बजाय हमारी अर्थव्यवस्था भी बेरोजगारी के लिए कारक मानी जाती है। शोध से पता चलता है कि मैट्रिक उत्तीर्ण और स्नातक के मुकाबले स्नातकोत्तर में बेरोजगारी अधिक है। यह अधिक आबादी, बीमार बुनियादी ढांचे और अल्प भुगतान के कारण है। इससे हमारे देश में मस्तिष्क और बुद्धि की क्षति भी होती है।

    यह प्रणाली अपने मूल रूप में कई-कई विषयों की सामान्यत जानकारी देकर शिक्षित होने का बोझ तो हम पर लाद देती है, पर वास्तिवक योग्यता और व्यावहारिकता का कोना तक भी नहीं छूने देती। इस प्रकार आज हमें अपनी शिक्षा पद्धति के दोषों को निकाल कर वास्तविकता को समाहित करने की जरूरत है। जिससे आज जो समस्यायें युवा पीढ़ी के सामने आ रही है, वह न आयें, वह खूब कमाये, और सुख एवं शांति से अपनी जीवन यात्रा तय करें।

  • Shobha Thakur शिक्षा क मुल्य सिर्फ़ शिक्षित व्यक्तिये समैझ सकैय य बाकी लेल त भैंस क आगु बिन बजैनैय और आधुनिक शिक्षा क मतलब इ नैय कि हम बहुत आधुनिक भ जाऊ और अपन संस्कृति क छोड़ी दौऊ बल्कि हम अपन संस्कृति और संस्कार क अपनैय क जे समाज म कुरीति य ओकरा हटावी और प्रयास-रत रही और जखने हमर संस्कृति और संस्कार हमरा संगे रहत त परिणाम सदिखन नीके हैत। आधुनिक शिक्षा क कारण अपन मिथिलांचल म दहेज मुक्त क आगमन भ गेल । त आधुनिक शिक्षा बेजाय केना……..

    शिक्षा संगे संस्कारी बनी,
    हरदम मंगल हैत परिणाम।।
    आधुनिकता क अपनैय क,
    आधुनिक शिक्षा क नैय करयो अपमान।।।।।।।

    छोट सन प्रयास……..✍️🙏

  • Pravin Narayan Choudhary बहुत सुन्दर सहभागिता

आधुनिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक छै । आइ मनुष्य चाँद के तऽ छोड़ू, मंगल तक पहुँच गेल । एकर पाछाँ आधुनिक शिक्षा प्रणाली अछि ।आइ जे एतेक आगू विश्व जा रहल अछि तकर पाछाँ सेहो आधुनिक शिक्षा प्रणाली अछि ।

सड़क, पुल, यातायात, फोन, मोबाइल, टेलीविजन सब एकरे कमाल छैक । तहन सवाल ई छै जे एकर उज्जर पक्ष मात्र छै की ???? बड्ड निराशाजनक जवाब अछि-नईं । युद्धके तांडव, बम गोलाबारी और एहन कतेक विध्वंसकारी परिणाम सेहो अहि आधुनिक शिक्षा प्रणाली के देन अछि ।

तखन ???? की आधुनिक शिक्षा प्रणाली सऽ मुँह मोड़ि लेल जाए । एकर जवाब अछि नईं- आधुनिक शिक्षाक संग संगै शास्त्रक ज्ञान सेहो देल जाए, जाहि सऽ नीक बेजाए के विवेक सेहो जागृत हेतैक ।

नोट- वंदना चौधरी जीक topic