सावन विशेष आलेख
सावन मास मे कि खाय, कि नहि खाय
– साभारः वेब दुनिया, अनुवादः प्रवीण नारायण चौधरी
श्रावण मास मे किछु खास चीज बिल्कुल नहि खायल जाइत अछि। एहि बरसैत-गरजैत मौसम मे किछु फल सब्जी केँ नहि खेबाक चाही। कियैक तँ एहि सब्जी सभ मे एहि समय विषैलापन बढ़ि जाइत छैक जे स्वास्थ्य लेल ठीक नहि होइछ।
आउ बुझैत छी जे सावन मे कि खाय आ कि नहि खाय
एहि मास मे वर्षा ऋतु पूरे जोर पर रहैछ। सूर्य केर रौदा कम भऽ जाइछ। ताहिक चलते पाचन मे मदद करयवला एंजाइम नहि बनि पबैछ। विशेष रूप सँ पेप्सिन और डाइसटेस ३७ डिग्री पर एक्टिव रहैत छैक।
बरसात या चौमासाक समय तापमान कम भेला सँ एकर सभक एक्टिविटीज कम भऽ जाइत छैक। दोसर दिश बीमारी सेहो एहि समय बढ़ि जाइत अछि।
व्रत मे खाएल जायवला फ्रूट्स विशेषकय पपीता मे पेप्सिन बॉडी केँ भेटैत छैक। मौसम केर संधि या ऋतु परिवर्तन केर समय शरीर मौसम परिवर्तन केँ जल्द स्वीकार नहि कय पबैछ, ताहि सँ ऋषि-मुनि लोकनिक द्वारा एहि समय व्रत रखबाक परम्परा शुरू कयल गेल। व्रत रखला सँ शरीर केँ स्वास्थ्यवर्धक और सात्विक आहार भेटैत छैक जे इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) केँ मजबूती दैछ।
एहि कारण नहि खाएल जाइछ पत्तेदार सब्जी
बरसात मे पालक, मेथी, लाल भाजी, बथुआ, बैगन, कोबी, पत्ता कोबी जेहेन सब्जी नहि खेबाक चाही। एकर पाछूक वैज्ञानिक कारण ई छैक जे बरसात मे इनसैक्ट्स (कीट, फतिंगा, भुआ आदि) केर फर्टिलिटी (जन्मदर) बढ़ि जाइत छैक। कीड़ा-मकोड़ा अधिकाधिक पनपय लगैत छैक। ई सब पत्तेदार सब्जी सभक बीच तेजी सँ पनपैत छैक। ताहि लेल बरखाक मौसम मे पत्तेदार आर किछु विशेष साग नहि खेबाक चाही।
घाघ-भड्डरी सेहो कहैत छथि, “चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठे पन्थ अषाढ़े बेल, सावन साग न भादों दही, क्वांर करेला न कार्तिक मही, अगहन जीरा पूसे धना, माघ मिश्री फागुन चना, ई बारह जे देय बचाय, वैह घर बैद कबहुँ न जाय।” घाघ और भड्डरी केर ई कहावत कहैत अछि जे हरेक मास कि खेबाक चाही, कि नहि।
एहि समय जे कम खाइत अछि ओकर शरीर बेसी समय धरि फिट रहैत छैक, ओतहि बेसी खेनिहार ढलि (स्वास्थ्य खसि) जाइत छैक। उपवास कयला सँ शरीर शुरू मे परेशान होइत छैक, मुदा समयक संग ओकरा भूखे पेटे रहबाक आदति पड़ि जाइत छैक। १२ घंटा तक किछु नहि खायवला लोकक शरीर मे ऑटोफागी नामक सफाई प्रक्रिया शुरू भऽ जाइत छैक। बेकार कोशिका सभ केँ शरीर साफ करय लगैत छैक। भूख और उपवास नव कोशिका सभक निर्माण मे फायदेमंद छैक। ऑटोफागी केर खोज वास्ते २०१६ मे जापानी वैज्ञानिक योशिनोरी ओसुमी केँ नोबेल पुरस्कार भेटल छलन्हि।
आइ-काल्हि कैंसर केर मामिला सेहो तेजी सँ बढ़ि रहल अछि। एना मे उपवास वला दिन सात्विक भोजन करब, प्याज-लहसुन और मांसाहार सँ परहेज करब और सिर्फ फल आदिक ज्यादा सेवन कयला सँ अहाँ नहि केवल स्वस्थ रहैत छी, बल्कि कैंसर केर आशंका सेहो कम भऽ जाइत अछि। उपवास कयला सँ जीवन लंबा भऽ सकैत अछि कियैक तँ डायबीटीज और कैंसर जेहेन बीमारी सभक खतरा सेहो कम भऽ जाइत अछि। संगहि व्रत करयवला काफी हल्का सेहो महसूस करैत अछि। व्रत रखला सँ शरीर मे एहेन हॉर्मोन निकलैत छैक जे फैटी टिश्यूज़ केँ तोड़य मे मदति करैत छैक, यानी अहाँक वजन कम भऽ सकैत अछि। रिसर्च मे सेहो ई बात साबित भऽ चुकल अछि जे शॉर्ट टर्म फास्टिंग यानी किछु समय लेल उपवास रखला सँ शरीरक मेटाबॉलिज्म तेजी सँ बढ़ैत अछि जाहि सँ वेट लॉस मे मदति भेटैत छैक।
व्रत रखला सँ शरीर शुद्ध होइत अछि। शरीर सँ जहरीला तत्व बाहर निकलैत छैक, बशर्ते अहाँ व्रत केर समय फल आर सब्जीक सेवन ज्यादा करी। आयुर्वेद केर अनुसार, व्रत रखला सँ शरीर मे जठराग्नि (डाइजेस्टिव फायर) बढ़ैत छैक। एहि सँ पाचन बेहतर होइत छैक। एहि सँ गैस केर समस्या सेहो दूर होइत छैक।
व्रत हमरा लोकनिक शरीर केँ हल्का रखैत अछि। हल्का शरीर सँ मन सेहो हल्का रहैत छैक आर दिमाग बेहतर तरीका सँ काज करैत छैक। व्रत पूरे सेहत पर सकारात्मक असर डालैत अछि।