मैथिलीक सुप्रसिद्ध साहित्यकार राना सुधाकर केर ५ गोट विशिष्ट रचना

साहित्य

सम्माननीय स्रष्टा ‘राना सुधाकर’ दिश सँ……

१. गजल

बस कथा-पिहानी जीवन अछि
सुख-दुःख दर्दक गठबंधन अछि

ककरो सँ अपेक्षा राखब नहि
बिल्कुल पतझड़ केर मौसम अछि

अपनत्वक मतलब आइ कतऽ
सभक सम्बन्ध मे अनबन अछि

अछि गंधहीन अनुराग हमर
किनको आंगन नहि अरिपन अछि

आकृति मनोहर बिला गेल
चनकल असमय मे दर्पण अछि

२. गजल

फैसला ई आइ हो मैथिली के वास्ते
हौसला ई भाइ हो मैथिली के वास्ते

हेमनि मे जनमि गेल रावण आ कंस फेर
राइ-छाइ हो ओकर मैथिली के वास्ते

एना बिमरियाह बना राखू नहि अस्मिता
लिअ किछु दबाइ यौ मैथिली के वास्ते

स्वर्ग उत्सर्ग भाव हो अगर मोन मे
तऽ हेतय भलाइ किछु मैथिली के वास्ते

अपन अछि धरती आ अपने आकाश अछि
अन्तिम लड़ाइ हो मैथिली के वास्ते

झंडा उठाउ चलि कूदी मैदान मे
गुंजत विजय बधाइ मैथिली के वास्ते

३. गीत

किछु देखबा ल केकरो कहाँ छै मना
ऐ हमर चन्द्रमा! ऐ हमर चन्द्रमा!!

कियो देखलक अहाँ के – अहाँ के टिकुली
ई बुलकी झुलैत आ हँसैत हँसुली

कियो देखैत रहल केस कुन्तल घना
ऐ हमर चन्द्रमा! ऐ हमर चन्द्रमा!!

एक मिसिया भरि मुस्कीक जादूगरी
एना चमकत कखन धरि नयन के छुड़ी

दम सधने रहब हम कखन धरि एना
ऐ हमर चन्द्रमा! ऐ हमर चन्द्रमा!!

४. गजल

नहुँ नहुँ मेंही चंचल चितवन दैत रहल आभास
अधर भरल मधु मुस्की मधुवन करैत रहल परिहास

जे दिवाना सदति रहल ओइ चानक आइ ने चर्च कोनो
चर्चा छै जे चन्द्रमुखी के अछि श्रृंगार किछु खास

महुआ फूलक गंध कात मे आर हाथ मे यौवन किसलय
मन मे रहल सदति ई गुनधुन के उन्चास पचास

हँसैत बिछैत अछि गोइठा करसी करिलुठिया के होश कहाँ
आ मुरेर पर बैसल कोयली कुचरति रहल खखास

ललित गीत मंडित मुख मण्डल निरखति रहल चकोर ओना
बितैत रहल जुग जिनगी अहिना बढैत रहल बस पियास

५. गजल

अइ पनिघट पर पानि भरैले आब ने आबथि राधा कहियो
चन्दन सन गमगम कदम आ कृष्णक मिथिला आइ कहाँ

विद्यापति के ललित गीत के भूत-प्रेत सब नाचि रहल
धरती जरलय मंडन के आ राम-लखन सन भाइ कहाँ

नाच तमाशा टीवी पर सब भाषा मे देख रहल
कहू बटोही साँच-साँच छथि हमर मैथिली आइ कहाँ

कहाँ उठैयऽ टीस मोन मे बाध-बोन मे टेर कोनो
बाजि रहल अछि बोली सुगबा डोरी कतौ लटाइ कहाँ

गंगा के एहि माटि सँ होइतै सीता जन्म एक बेर ओहिना
पुनः राम पाथर केँ छुबितथि से सौभाग्य आब आइ कहाँ

हरिः हरः!!