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सोनम केर अंगना मे

लघुकथा

– वंदना चौधरी

सोनम केर माय अपन बेटा सोहन जे कि इंजीनियर छलैन्ह हुनका लेल कनियाँ तकैत छलीह। कनियाँ एहेन जे कि खूब पढ़ल-लिखल आ देखैयो में खूब सुंदर होयबाक संग घरेलू कामकाज में सेहो दक्ष होइथ। दोसर तरफ सोनम केर लेल सेहो सेटल लड़काक तलाश छलैन्ह। मुदा पहिने सँ एकटा शर्त रखने छलीह जे “हमर बेटीक विवाह हम जॉइंट फैमिली मे नहि करब कियैक तँ काज बेसी करय पड़तनि। और हमर बेटी मास्टर्स डिग्री एहि लेल थोड़े केने छथि जे घरक काज करती?”। स्पष्टे छैक जे सोनमक माय अपन बेटी सोनम लेल एक अलग सपना देखने छथि जखन कि बेटाक विवाह कराकय जे घर पुतोहु आबथि ओ धरि हुनका सब सेवा-सुश्रुषा पूरा कय केँ दैथि। खैर, विवाह भेलनि। बेटाक विवाह उपरान्त पुतोहु सँ सब काज करेबाक मानसिकता रहबाक कारणे अपने जेहो काज करैत छलीह से छोड़ि पुतोहु पर आश्रित भऽ गेलीह आर ओम्हर बेटी सोनम सँ दिन मे चारि बेर व्हाट्सअप वीडियो कौल कय केँ ई चेक कयल करथि जे कहीं बेटी सँ ओकर सासूरवला कोनो तरहक काज तऽ नहि करबाबैत अछि। ई बात धीरे-धीरे पुतोहु सेहो भाँपि रहल छलन्हि आ ओम्हर बेटी केँ सासूर मे हुनका द्वारा उल्टा रीत रहबाक कारण एडजस्टमेन्ट मे काफी दिक्कत देबय लगलनि। एकटा समय एलैक जे सोनम सासूर सँ झगड़ा-झंझटि कय अपन नैहरा वापस आबि गेलीह। आर पुतोहु अपन सासुक दू-नेत बुझि अपन पति केँ या त अपना संग बाहर परदेशहि मे रखबाक लेल अथवा हुनका स्वतंत्र रूप सँ अपन पैर पर ठाढ भऽ अलग जिन्दगी चलेबाक जिद्द पकड़ि लेलीह। ओ बजलीह जे हम अहाँक बहिन जेकाँ भले मास्टर्स डिग्री नहि कएने छी मुदा एतेक लुरि-बुद्धि अछि जे कतहु दोकानो मे कप-प्लेट माँजि अपन जीवन चला लेब। सोनम केर माय लग जखन ई बात हुनक पुत्र बजलाह आ मायक सहमति सँ आगूक निर्णय करबाक लेल सोचलनि तखन ओ किंकर्तव्यविमूढावस्था मे आबि गेलीह। हुनकर नजरि पर सँ अपन हठक चश्मा हँटि गेल छलन्हि। ओ स्वयं अपन पुतोहु लग जाय क्षमाप्रार्थना करैत कहली, “कनियाँ, अहाँक निर्णय केँ हम बदैल सकब से निष्ठा निर्वाह नहि कय सकलहुँ, धरि हम एखन ई निर्णय कयलहुँ जे बेटी सोनम केँ तुरन्त सासूर पठायब ई आदेशक संग जे ओकरा सासूर मे केना सासूरक लोक संग निर्वाह हेतैक तेना पहिने रहत। आपस मे सामंजस्य बनेबाक जिम्मेदारी बेटी केँ स्वयं देखय पड़त। अहाँ सेहो जँ बनि सकी त हमर बेटीक स्थान पर बेटिये बनिकय रहब त हम अपन अपराध प्रति क्षमा भेटबाक बोध कय सकब।” सोनमक भाउज भले कम्मे पढल-लिखल छलीह, लेकिन सासुक अन्तर्ज्ञान पटरी पर आयल देखि तुरन्त अपन निर्णय बदलैत बजलीह, “माँ, हम अपन निर्णय नहि बदलब, लेकिन हम जतय रहब हिनका अपना संगे रखबनि आर जहिना माँ प्रति हमर भावना रहल ताहि सँ बेसी हिनका प्रति हमर भावना आ समर्पण रहत। हम चाहब जे सोनम बौआ सेहो एहिना अपन सासु संग रहती। बेटी लेल सासूरे स्वर्ग होइत छेक।” आर एहि तरहें फेर सब कियो अपन-अपन जीवन केँ सकुशलताक संग पटरी पर आनि सकलथि। कहबी कोनो बेजा नहि छैक – जहाँ सुमति तहाँ सम्पत्ति नाना, जहाँ कुमति तहाँ विपत्ति निदाना!! पाठक लोकनि सेहो अपन विचार जरूर राखथि एहि कथा पर।

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