आब दिल्लीक स्कूल मे सेहो पढि सकैत छी मैथिली, मुदा कि मैथिलीभाषी रखता मैथिली विषय

१६ जुलाई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!

एखन सामाजिक संजाल मे दिल्लीक उपमुख्यमंत्री मनीष शिशोदिया द्वारा कयल गेल घोषणा जे पंजाबी व ऊर्दू भाषा जेकाँ मैथिली सेहो दिल्लीक सरकारी विद्यालय मे ऐच्छिक विषयक रूप मे पढायल जायत तेकर चर्चा खूब जोर-शोर सँ चलि रहल अछि। मैथिली भाषा-साहित्यक पृष्ठपोषक लोकनि मे ई खबरि बहुत पैघ रोमांच उत्पन्न कएने अछि। मैथिली लेखक संघ केर महासचिव विनोद कुमार झा एहि निर्णय केर स्वागत करैत मैथिली भोजपुरी अकादमी आ एकर कार्यकारी मुखिया यानि उपाध्यक्ष नीरज पाठक सहित दिल्ली सरकार प्रति आभार केर शब्द रखैत एकरा क्रान्तिकारी महत्वक निर्णय बतौलनि अछि। ओ मैथिलीभाषाभाषी केँ एहि तरहें पठन-पाठन मे निज मातृभाषा लेल अधिकार भेटबाक बात केँ बहुत दूरगामी निर्णय बतौलनि अछि। जाहि अधिकार लेल देशक कतेको आन भाषा एखनहुँ लालायित अछि ताहि ठाम दिल्ली मे प्रवासक क्षेत्र मे रहनिहार लाखों मैथिलीभाषाभाषीक बच्चा केँ अधिकार देबाक बात बहुत पैघ महत्वक होयबाक बात ओ कहलनि अछि। तहिना मैथिली मंचक चर्चित उद्घोषक किसलय कृष्ण सेहो एहि महत्वपूर्ण कार्य लेल अकादमी, दिल्ली सरकार आ विशेष रूप सँ उपाध्यक्ष पाठक केँ धन्यवाद दैत आभार सेहो प्रकट कयलनि अछि। ओ कहलनि अछि जे ई पहिल बेर भेल जे अपन एक दशकक इतिहास मे अकादमी द्वारा बहुत उच्च महत्वक निर्णय लैत मैथिलीभाषाभाषी केँ उपहार देल गेल अछि। एहि लेल ओ अकादमीक पूर्वक क्रियाकलाप केर शिथिलता आ औपचारिकता पर व्यंग्य प्रहार सेहो कयलनि अछि, संगहि वर्तमान उपाध्यक्ष नीरज पाठकक सक्रियता मे अकादमी द्वारा विगत किछेक समय मे कतेको रास महत्वपूर्ण डेग उठेबाक सन्दर्भ दैत वर्तमान निर्णय काफी दूरगामी आ सकारात्मक होयबाक बात कहलनि अछि।

एम्हर मैथिल जनमानस मे जेना सामान्य तौर पर देखल जाइत छैक जे केहनो उपलब्धिक संग मेक्चोबाजी करब नहि छोड़त, तहिना किछेक मैथिली जगत् केर चर्चित चेहरा मेक्चोबाजीक क्रम केँ सेहो निरन्तरता मे रखलनि अछि। हुनका लोकनिक हिसाब सँ ई केवल दिल्ली विधानसभा चुनाव सँ पहिने मैथिलीभाषाभाषी लेल एकटा लौलीपप – लोकलुभावन घोषणा मात्र थिक। विचित्र टिप्पणी दैत कियो लिखलनि अछि जे ‘कन्हा कुकुर माँड़हि तिरपित’, यानि मैथिलीभाषाभाषी बड़ा छुद्र स्वभावक होइत छथि, बस एहि घोषणा मे बहि जेता ताहि तरहक घोषणा कय दिल्ली सरकार द्वारा हुनका लोकनिक वोट ध्रुवीकरण करबाक एकटा जाल बिछेबाक मनसाय ओ लोकनि रखलनि अछि। हुनका कतेको लोक ईहो बुझेलखिन जे जतय किछु नहि ओतय एतबो बात बड पैघ महत्वक भेल। खैर, ई सब त मिथिलाक लोकक सौभाग्य-भाग्य थिक, ओ लोकनि भोजन पेट मे गेलाक बाद बरद जेकाँ आपस मे सींग लड़ेबाक खेल नहि खेलाइथ ई कहियो संभव भेल जे एहि प्रसंग मे होयत! ई सब चलिते रहत।

सर्वाधिक गम्भीर आ परिस्थितिक अनुकूल विचार रखलनि अछि हालहि पुनर्निर्वाचित अखिल भारतीय मिथिला संघक अध्यक्ष विजय चन्द्र झा – ओ लिखलनि अछि “अखिल भारतीय मिथिला संघक प्रयास सँ दिल्ली मे तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित द्वारा बनाओल गेल मैथिली अकादमी के उपाध्यक्ष चिरंजीवी नीरज पाठक, एकर सदस्य श्री कैलाश मिश्र के संग प्रतिनिधि मंडल के सामने दिल्ली सरकारक उपमुख्यमंत्री माननीय श्री मनीष शिसोदिया जी दिल्ली के स्कूल मे मैथिली के पढौनी सुरुह करता एहि लेल अखिल भारतीय मिथिला संघक पुरा परिवार दिशि सँ उपमुख्यमंत्री जी आ मैथिली अकादमी केर प्रतिनिधि मंडल सभ सदस्य के हार्दिक बधाई आ शुभकामना। ई बहुत पुरान मांग अहाँ सभहक ऐच्छिक बिषय के रुप मे मानल गेल। एहि मे सरकार के बहुत किछु केनाई छैक। आब अछि परीक्षा दिल्ली मे रहनिहार मैथिल भाइ लोकनिक जे अपना अपना बच्चा सभ के मैथिली के ऐच्छिक बिषय राखि पढौनी करक प्रेरणा दियैक। पुनः प्रतिनिधि मंडल के बधाई।
जय मिथिला जय मैथिली।”

सच मे, दिल्ली मे रहनिहार होइथ किंवा मूल भूमि मिथिला (बिहार) मे रहनिहार वा नेपालक मिथिलाक्षेत्र केर मैथिलीभाषाभाषी कियैक नहि होइथ – मैथिली विषयक पढौनी जतय उपलब्ध अछियो ताहि ठाम अपनहि भाषा पढाई करय सँ कतराइत छथि। हुनका सब केँ होइत छन्हि जे मैथिली त घरक भाषा थिक, ई त ओहिना अबैत अछि, स्कूल मे पढबाके अछि त आर-आर भाषा पढिकय वीरता देखाबी। यथार्थतः मातृभाषा पढबाक-बुझबाक आ ताहि मे महारत हासिल करबाक शैक्षणिक महत्व सँ बिल्कुल अनभिज्ञ ई भाषाभाषी अपनहि मधुर आ प्राचीन भाषा मैथिलीक बड पैघ शत्रु सेहो बनि गेल छथि। घर मे अपन धियापुता सँ पर्यन्त गैर-मैथिली भाषा मे बाजिकय वीरता आ शौर्य धारण करबाक जिनका मे भ्रान्ति होइछ, तिनका लेल दिल्ली जेहेन महत्वपूर्ण राज्य आ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे मैथिलीक पढाई कतेक महत्वपूर्ण होयत एहि दिशि लक्षित धारणा रखैत सम्माननीय अभिभावक आ मैथिली-मिथिला क्षेत्र मे कतेको दशक कार्य करबाक अनुभवी व्यक्तित्व बड़ा गहींर बात लिखलनि अछि – “आब अछि परीक्षा दिल्ली मे रहनिहार मैथिल भाइ लोकनिक जे अपना बच्चा सभ केँ ऐच्छिक विषय राखि मैथिली पढौनी करबाक प्रेरणा देता।”

पूर्वहु मे उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा निगम अन्तर्गतक विद्यालय मे मैथिली पढौनी करेबाक लेल एनसीईआरटी आ अन्य शैक्षणिक निर्देशनालय आदि संग सहकार्य करैत एहि लेल निर्णय कयल गेल छल। मुदा ओ निर्णय एखन धरि कागज आ सरकारी फाइल टा मे सीमित रहबाक नियति स्पष्टे अछि। जखन कि मैथिली भाषा केर पढाई आब कतेक लाभदायी छैक जे लोक एहि सँ संघ लोक सेवा आयोग केर महत्वपूर्ण परीक्षा तक पास करैत आईएएस तक बनि सकैत अछि, परञ्च मैथिलीभाषाभाषी केँ त आब टका कमेबाक ततेक जल्दबाजी छन्हि जे लोकसेवा आयोग लेल के मैथिली पढाबय गेल बच्चा केँ… घरहु केर व्यवहार गैर-मैथिली मे भेले सँ सम्मानित अनुभव करैत छथि ई लोकनि। तथापि, सरकार केर ई निर्णय त आखिर संविधानक अधिकार देबाक लेल भेल अछि। आब अहाँ केँ चाही या नहि चाही से अहाँ पर अछि।

हरिः हरः!!