अहाँ सच मे सीया छी

लघुकथा

– रूबी झा

गौतम आ गीता दुइ भाइ-बहिन रहैथि, दुनू भाइ बहिन केर विवाह भ गेल रहैन । आ हुनक माय-बाबूजी केर देहान्त भ गेल रहैन। दुनू भाइ-बहिन में बहुत ज्यादा स्नेह-प्यार रहैन। एक दोसर लेल चौबीसो घंटा तैयार रहैय छलखिन्ह। सीया (गौतम केर कनियाँ) सँ “देखू! हमरा अहि दुनियाँ में अपन कहैय बला त बहिन के अलावा कियो नै अछि। तेँ हमर बहिन सँ किछु कहियो गलतियो भ जाय तँ ओकरा माफ कय देबैक, आखिर नैहर के अलावा ओकरा और तँ कियो छहियो नै। हम अहाँ ओकर माय-बाप, भाइ-भाउज सब किछु छियैक।” समय दुनू भाय-बहिन केर बहुत सुंदर सँ बीति रहल छलैन । एक दिन अचानक गौतम केँ समाद एलैन जे अहाँ के बहिन-बहनोइ अस्पताल में छथि से चलियौक जल्दी सँ। ई दौड़ल-दौड़ल गेलाह, ओतय जा अचंभित भ गेलाह। बहिन-बहनोइ दुनू मृत पड़ल रहथिन्ह हुनकर ननकिरवा-ननकिरवी दुनू अस्पताल में जोर-जोर सँ कनैत रहथिन्ह, जे कि एक और तीन साल के रहथिन्ह । गौतम भगिना-भगिनी केँ समेटिकय कोरा लेला आ ओतय जे लोक सब रहथिन्ह तिनका भरल आँखि नोर लय केँ पूछैय लगला जे कि भेलैय हमरा बहिन-बहनोइ केँ। ओतय जे लोक सब रहथिन्ह ओ सब कहैय लगलखिन्ह जे चारु सड़क किनारे पड़ल छलाह तँ हम-सब उठा कय एतय लेने एलियैन। हिनका सभक एक्सीडेंट भऽ गेल छलैन, कने-कने क हुकहुकि छलैन ओ अहाँ के नाम पता बता दुनियाँ सँ चैल गैली। गौतम दुनू बच्चा केँ लय केँ अपन पत्नी केँ सामने पहुँचला आ कहला सीया एकर दुनू के माय-बाप नहि रहलैक, आय सँ हम अहाँ एकर माय-बाप छियैक। अपन बच्चा सब केर संगे एकरो दुनू के पालू-पोसू । हाँ एकटा बातक ध्यान राखब मामा-मामी नैह ई दुनू अहाँ के माय आ हमरा बाबूजी कहय।सीया अपन आँचर पसारि दुनू बच्चा केँ समेट लेली। आ कनिकबो अपन बच्चा सँ कम स्नेहक छाहैर में नहि रखलीह। भगिनी केर विवाह खूब धूम-धाम सँ केलथि आ भगिना केर अपना सम्पत्ति में सँ बेटा जेकाँ हिस्सा देलथि। गौतम हमेशा सीया सँ कहैय छलखिन्ह अहाँ महान छी, हम ताउम्र अहाँक ऋणी रहब, अहाँ सच में सीया छी।