आजुक विचार
विराटनगर, १६ जुलाई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!
सम्भ्रान्त केर सहज अर्थ लगैत छैक ओहि व्यक्ति सँ जेकर प्रतिष्ठा समाज मे स्थापित रहैत छैक, जे प्रतिष्ठित अछि, ओ सम्भ्रान्त अछि।
सम्भ्रान्तक परिभाषा पर साहित्यिक आ लौकिक दृष्टि राखू।
जिनका समाज सँ कोनो सरोकारे नहि, जे समाजक वास्ते कोनो तरहक योगदान देबाक लेल सचेष्ट तक नहि, तिनकर आउटर फैशन – बाहरी आवरण देखि कोनो तरहें सम्भ्रान्त कहब उचित नहि लगैत अछि।
सभक हित करय, हित लेल चिन्तन करय, नीक मार्ग पर चलय आ आरो केँ चलबाक वास्ते प्रेरणाक संचरण करय – वैह सम्भ्रान्त होइत अछि।
हरिः हरः!!