माछ मारय पर प्रतिबन्धक बावजूद कोशीमे मारल जा रहल अछि माछ (रिपोर्ट)

जितेन्द्र ठाकुर, ११ जुलाई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!

विराटनगर । सप्तकोशी नदिमे वर्षाक मौसममे माछ मारय पर रोक लगेलाक बादहु ई नहि रुकि सकल अछि।

प्रत्येक वर्ष तीन महीना सप्तकोशी नदीमे भेटयवला माछक जीरा देबाक सीजन आर माछक संख्या बढबाक समय होयबाक कारण जेठ, अषाढ आर सावन मासमे माछ मारयपर रोक लगायल जाइत अछि। लेकिन रोक लगायल समय मे पर्यन्त एहि वर्ष माछ खुल्लमखुल्ला मारल जेबाक काज भऽ रहल अछि।

कोशी टप्पु बन्यजन्तु आरक्ष पश्चिम कुशहा सुनसरी द्वारा सूचना निकालिकय तीन महीना सप्तकोशीमे माछ मारय पर प्रतिबन्छ लगायल गेल छैक। रोक लागल समयमे प्रतिदिन माछ मारबाक क्रम नहि घटि सकल अछि। माछ मारयवला समुदाय (मल्लाह) द्वारा माछ मारिकय आरक्षण क्षेत्र भीतर पड़यवला बाजारमे खुलेआम सप्तकोशीक माछा महंग दरपर बेचैत आबि रहल अछि। वर्षाक सीजनमे माछ कम भेटैछ कहैत दोब्बर मोलमे माछ बेचैत आबि रहल अछि।

एखन सप्कोशी नदीक माछक मूल्य ५ सय टका सँ ७ सय टका प्रतिकिलो बेचैत देखल जा रहल अछि। तीन महीना छोड़ि आर समय मे आरक्षण द्वारा माछ मारय लेल एक महीनाक पुर्जी देल जाइत अछि। आरक्षणका प्रमुख संरक्षण अधिकृत (वार्डेन) राम देव चौधरी द्वारा तीन महीना माछ मारयपर रोक लगेबाक बात कहल गेल। ओ कहलनि जे सूचने जारी कय केँ माछ मारयपर रोक लगायल गेल अछि। आरक्षण द्वारा माछ मारय लेल १ महीनाक पुर्जी देबाक बदला मे १०० टकाक राजश्व लेल जाइत अछि। हाल माछक जीरा (बच्चा) देबाक समय रहबाक कारण पुर्जी बन्द करबाक बात ओ बतौलनि आ कहलनि, “राष्ट्रीय निकुञ्ज तथा बन्यजन्तु संरक्षण ऐन अनुसार प्रतिबन्ध लगायल तीन महीना भीतर माछ मारैत पकड़ेला पर १० हजार टका हर्जाना वा २ वर्ष कैद वा दुनू हेबाक प्रावधान अछि।”

सप्तकोशी नदीमे माछक संख्या बढेबाक आर माछक भण्डारणमे वृद्धि करबाक वास्ते प्रतिबन्ध लगेलाक बादहु आरक्षण क्षेत्र मे पड़यवला विभिन्न स्थानीय तहकेर माछ मारनिहार सब माछ मारिकय बजारमे महंग रेट मे बेचल करैत अछि।

आरक्ष क्षेत्र भीतर सुनसरीक कोशी गाउँपालिका, वराहक्षेत्र नगरपालिका, उदयपुरक वेला नगरपालिका संगहि सप्तरीक सप्तकोशी आर कञ्चनरुप नगरपालिका पड़ैत अछि। सप्तरी सँ बेसी सुनसरीक क्षेत्र सभमे बेसी माछ मारल जेबाक अवस्था देखल जाइछ। वार्डेन चौधरी द्वारा प्रतिबन्ध लगेलाक बादहु साधनस्रोतक अभावमे माछ मारय पर रोक पूर्णरूप सँ नहि लागि सकबाक बात बतेलनि। ओ माछ मारयवला समुदाय केर जीविकोपार्जन करबाक माध्यम सप्तकोशी नदी सँ माछ मारबाक बाध्यता रहबाक स्थितिक कारण माछ मारबाक काज कम नहि हेबाक बात कहैत छथि। “समुदाय सेहो बात नहि बुझि सकबाक कारण रोकय मे कठिनाई भऽ रहल अछि। किछु दिन पहिने मल्लाह समुदाय केर लोक पुर्जी लेबाक लेल आयल छल मुदा वापस कय देने रही, तैयो ओ सब जीविकोपार्जन मे कठिनाई एबाक बात कहैत रहल छल।”

सप्तकोशीमे माछ मारय लेल दैनिक आर समय ३४ जन पुर्जी लैत रहबाक बात आरक्षण द्वारा जनायल गेल। सप्तकोशीमे भेटयवला माछ नेपाले भरि मे विख्यात अछि आर नदीमे भेटयवला माछ साहर, काँटी, बुआरी, जलकपुर तथा गोछ सहितक प्रजातिक माछ खेबाक वास्ते पड़ोसी मुल्क भारत सँ सेहो लोक सब कोशीक्षेत्र मे आयल करैत अछि। सप्तकोशी नदीमे एक सय ५० प्रजातिक माछ भेटैत छैक। अत्यधिक रुचिगर एहि नदीक माछ राजधानी काठमान्डू आर पड़ोसी मुल्क भारत मे सेहो बिक्री-वितरण कयल जेबाक संग-संग अन्य पश्चिम मुलुकमे बसोबास कयनिहार नेपाली समुदायक लेल उपहार स्वरुप एहि ठामक माछ संगे कीनिकय लेल जायल करैत अछि। यद्यपि उचित संरक्षणक अभाव आर चेतनाक कमी मे विषादी एवं विद्युतीय धाराक प्रयोग करैत सेहो आइ-काल्हि माछ मारल जाइत अछि, आर कतेको रास माछक प्रजाति आब लोप होयबाक कगार पर सेहो पहुँचि गेल अछि।

फोटो क्याप्सन : सुनसरी कोशी गाउंपालिका स्थित हरिपुर चौकमे कोशीक माछा बेचैत व्यापारी। तस्बिर : मैसेन्जरमे ।