बाबाजी लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर महाकाव्यक रचना: मैथिली कवि निरज केर महारचना

बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर ऐतिहासिक कृति रचना: प्रो. अरविन्द मिश्र निरज द्वारा महाकाव्य केर रचना सँ मैथिली साहित्य जगत् मे उल्लास

सुभाषचंद्र झा, सहरसा। मई १७, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

niraj laxminath gosaiमिथिलाक सिद्ध संत शिरोमणि योगीराज परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं महाकाव्यक रचना मैथिली मे भेल, जनिकर रचैता प्रो. अरविन्द कुमार मिश्र ‘नीरज’ छथि। एहि महाकाव्य केँ 15 सर्ग मे छन्दोबद्ध कयल गेल अछि। जाहि मे गोसाईंजी उपाख्य, बाबाजी केर महिमाक गुणगान भेल अछि। श्री नीरज कहलनि जे महाकाव्यक रचना बाबाजीक प्रेरणा सँ पूरा भऽ सकल। ओ कहलनि जे बाबाजी के महत्ता आनो धर्मक लोक स्वीकार करैत छलाह, जाहि मे जॉन साहेब, गौस खॉ हुनक शिष्य छलनि। हुनकर जन्म सुपौल जिलाक परसरमा गाम मे 1793 ईंं. मे भेलनि मुदा कर्म छेत्र सहरसा केर वनगॉव छलनि। ओहिठाम हिनकर कुटिया आइयो विद्यमान छन्हि। जतय हिनकर खराऊं केर पूजा कयल जाइछ।

 

संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं केर विभिन्न गाम व ठाम पर आध्यात्मिकताक प्रसारक संग ओहि सब ठाम आइयो हिनक अनुयायी द्वारा विभिन्न रूप मे बाबाक स्मृति-गान कैल जाइछ। दरभंगा जिलाक कुर्सों गाम सीताराम भगवानक मन्दिर केर निर्माण लेल बाबा केँ प्रेरणासूत्र मानल जाइछ। बाबा दरभंगा-मधुबनीक सीमा, कमला-बलानक किनार, गाम फैटकी मे अपन कुटी बनौने छलाह। ओतहि सँ अपन कीर्तिनिया व भक्त अनुयायीक संग विभिन्न गाम मे भ्रमण करैत धर्मक प्रचार-प्रसार करैत छलाह। कदाचार-अनाचार विरुद्ध लोक केँ धार्मिक अनुष्ठान प्रति आस्था जगबैत अपन सिद्ध वाक् सँ कतेको केँ तारि दैत छलाह। वर्तमान समय मे हिनकर स्मृतिशेष कुटिया मधुबनी जिलाक लखनौर, रहुआ, फैटकी, बेगुसराय केर शकपुरा, नेपालक फूलहर केर खूब चर्चा होइत अछि। एहि ठाम आश्रम/कुटिया मे भक्त सब पूजा करैछ।

बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर महाकाव्यक रचयिता: प्रो. अरविन्द मिश्र 'निरज'
बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर महाकाव्यक रचयिता: प्रो. अरविन्द मिश्र ‘निरज’
बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर महाकाव्यक रचयिता: प्रो. अरविन्द मिश्र 'निरज'
बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर महाकाव्यक रचयिता: प्रो. अरविन्द मिश्र ‘निरज’

बाबा केर भजनावली, वेद रत्नावली, श्रीकृष्णरत्नावली, योगासार समुच्चय, अकुलागम तंत्र, बंदीमोचन, विवेकरत्नावली, आदि अनेको पुस्तक लिखल आइयो जनमानस लेल उपलब्ध अछि। रचनाकार निरज कहैत छथि जे आइयो कोनो बातक अन्तिम फैसला बाबाजी टा पर छोड़ि देल जेबाक परंपरा विद्यमान् अछि। विद्यापति धाम केर संरक्षक विमलकान्त झा कहैत छथि जे कोसी केर साईं बाबा कहायवला लक्ष्मीनाथ गोसाईं पर मे बहुत गहिंर आस्था अछि, यैह कारण सँ बाबाजी केर कुटिया मे पहूचैत देरी सत्य केँ लोक सहजहि स्वीकार कय लैत अछि।

महाकाव्यक रचना हेतु निरजजी केँ साधुवाद दैत रचना मैथिली मे लिखबाक विशेष हर्ष व्यक्त कएलनि। बाबाजी रचित भजन, चलु कंत वहि देश, जहॉ निज घर अपना पंचरंग महल देखिमत भूलहू, यह सुख जानहू निष्ठा सपना आदि प्रसिद्ध अछि। कहल जाइछ जे बाबाजी अपन कुटिया मे आइयो सब दिन अबैत छथि। हिनक कुटियामे आइयो ओछाइन-बिछाउन प्रतिदिन सजाकय लगाओल जाइछ, शयन आरती उपरान्त कुटिया केँ बाहर सँ बन्द कय देल जाइछ। परञ्च भोर मे ई ओछाइन-बिछाउनक हालत किछु तेहेन बनि जाइछ जेना मानू बाबाजी राति ओतहि विश्राम कएने होइथ। वर्तमान समय मे कुटी पर भव्य सनातन धर्म मन्दिरक निर्माण सेहो कैल गेल अछि। आबयवला समय मे बनगाँव एकटा बड पैघ पर्यटन केन्द्र केर रूप मे विकास करत ताहि संभावना केँ नहि नकारल जा सकैत अछि। बाबाजीक अनुयायी आइ देश-विदेश सब ठाम बाबाजीकेर स्मृति मे अनेको कीर्तिक स्थापना कय रहला अछि। ताहि घड़ी निरज केर ई रचनाक प्रासंगिकताक महत्ता सहजहि अनुमान लगाबय योग्य अछि।