गिरगिट
“जय मिथिला भाइसाहब। अपने सब द्वारा आरम्भ कयल ई अभियान जे जनक-जानकी केर मिथिला केँ संविधान मे पुनर्स्थापना करायब, ई बहुत नीक लागल। हम चाहब जे हमरो किछु योगदान एहि मे लागि जाय।” ई कहैत दिल्लीक दिलवाली भूमि पर एक सम्भ्रान्त युवा मिथिला आन्दोलन मे प्रवेश करैत छथि। अपन पहुँच आ समर्पण केर अनुपम उदाहरण ठाढ करैत ओ किछुए समय मे बहुतो अभियानी केँ प्रभावित करैत छथि। लेकिन हुनकर लक्ष्य रहैत छन्हि किछु आर आ ओ अपन छुपल मानसिकता सँ मिथिला आन्दोलन केँ केवल सीढी बनाकय एकरा यूज करबाक ध्येय सँ काज करैत रहैत छथि। ई बात सब त नहि बुझि पबैत अछि, लेकिन मिथिला आन्दोलन केँ सही स्पिरिट मे जमीन पर ठाढ करबाक सपना देखनिहार ओहि युवाक गतिविधि केँ शंकाक दृष्टि सँ जरूर देखैत रहैत अछि।
एम्हर युवा तुरक अभियानीक प्रवेश केर गोटेके मास मे मिथिला आन्दोलन काफी लोकप्रिय आ चर्चाक विषय बनि गेल रहैत अछि। लेकिन महात्वाकांक्षी युवा बीच अति-महात्वाकांक्षी तत्त्व-मानसिकताक प्रवेशक कारण आन्दोलन आगू जेबाक बदला कनिकबे समय मे ठमैक जाइत अछि। नेतृत्व आ दृष्टिकोण विकास केर स्तर पर मतान्तर साफ झलकय लगैत अछि। मिथिला सँ गहींर जुड़ाव रखनिहार अपन मुद्दा पर कायम त रहि जाइत छथि, लेकिन हुनका संग जुड़ल लोक केँ ई नव महात्वाकांक्षी युवजन तरे-तरे मुस जेकाँ कुतैर-कुतैर तहस-नहस कय दैत छथि। आब एहेन महात्वाकांक्षी लेल मिथिला केर मुद्दा सँ ऊपर भऽ जाइत अछि ‘पूर्वाञ्चल’। ओ आब ‘जय पूर्वाञ्चल’ भाइसाहब केर नारा लगबैत देखा जाइत छथि।
पूर्वाञ्चल एकटा सोचल-बुझल राजनीतिक ध्रुवीकरण केर मसाला थिक। ई विगत किछु दशक सँ दिल्ली मे निर्माणाधीन अवस्था मे कहि सकैत छी। हालांकि लगभग सब राष्ट्रीय राजनीतिक दल अपन पूर्वाञ्चल यूनिट ठाढ कय चुकल अछि, लेकिन पूर्वाञ्चल मे मिथिलाक कतेको महात्वाकांक्षी सज्जन एहि भरोसे प्रवेश करैत छथि जे काल्हि एहि नाम पर विधायक, सांसद, पार्षद आदिक टिकट लय चुनाव लड़ब आ अपन राजनीतिक लक्ष्य सिद्ध करब। एहि लेल अहाँ केँ कियो रोकत नहि, अहाँ जरूर एहि तरहक सिद्धि लेल प्रयास करू। लेकिन मिथिला मे प्रवेश कय पुर्वाञ्चल मे गेनाय आ फेर पुर्वाञ्चल सँ निकलिकय राष्ट्राञ्चल मे गेनाय आ पूर्व केर नीति आ कार्यगति केँ ध्वस्त करबाक कुत्सित मानसिकता सँ मुक्ति पेनाय अहाँ लेल बहुत जरूरी अछि।
जहिना गिरगिट अपन अनुकूलताक वास्ते रंग बदैल लैत अछि, किछु तहिना अहाँ महात्वाकांक्षी नेता युवजन अपन मौलिकता केँ षड्यन्त्रपूर्वक कमजोर कय आगाँ उपलब्धिक सपना देखैत छी से गिरगिटिया चाइल अहाँ केँ लम्बा दूरी मे लाभ नहि दय सकत। राजनीतिक त अपना जगह पर अछिये, आब अखिल भारतीय मिथिला संघ समान सांस्कृतिक-सामाजिक संस्था पर सेहो नजरि गड़ा देलहुँ… ई त आर अहाँ लेल जानलेवा होयत। ई अक्षम्य अपराध अहाँ पहिनहुँ कय चुकल छी। मिथिला राज्य निर्माण सेना केँ ध्वस्त कय देलियैक। एहेन कोनो अभियान नहि जाहि मे अहाँ नहि पैसलहुँ आर ओकर हश्र न अहाँ सँ आ ने आन सँ… किनको सँ किछु छुपल नहि अछि। ताहि हेतु हम कहब जे कृपापूर्वक अपन उच्च लक्ष्य केँ साधय लेल ‘मिथिला’ केर पैर केँ नहि थकुचियौक। गिरगिट केर महत्व आजुक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्यक राजनीति मे बड बेसी छैक, खूब पाय खर्च केला सँ कोनो उपलब्धि हासिल भऽ जाइत छैक… अहाँ ओहि दिशा मे लागू। मिथिलाक पवित्रता केँ कृपया कलंकित जुनि करू।
हरिः हरः!!