मैथिली कविता – एक दिन

कविता

– ममता झा

एक दिन

एक दिन सब के जिन्दगी शेष भ जैत

ई बात सब कियो जनई या,

लेकिन अंतिम दिन तक

स्वीकार बहुत लोग नई करै या

कियाक त जीबऽ के अभिलाषा बेसी छै।

किछु लोग जे जीवन स हैर गेल

अपने आप के लाचार बुझइत अइ,

हुनका लेल ई दू पंक्ति,

पीड़ा के सब भाव दबल अइ,

एहि मुस्कान में घाव दबल अइ।

सम्मान के लोग सामान बुझैया,

अही में गौरवान्वित होइया।

सासु केँ देखि कनियां मुंह फेरय

माया माय केर नहि छोड़ल गेल।