लघुकथा
– रूबी झा
बिलो रिक्सा चालक छलाह। दिन-राति मेहनत क अपन परिवार केर लालन-पालन करैत छलाह। ओ पाँच-प्राणी छलाह – अपने, कनियाँ आ हुनक दुटा बेटी आ एकटा बेटा छलैन। सब गोटे दिल्ली मे रहैत छलैथ। दिन बहुत नीक ढंग सँ बीत रहल छलैन। भगवान के लीला देखू, एक दिन शरीर हुनका धोखा द देलकैन और ओ बेरोजगार भ दिल्ली सनक महानगर मे घर बैसि गेलाह। घर त अपन छलैन पिताजी जमीन खरीद देने रहथिन्ह, लेकिन आय सँ करीब ३५-४० साल पहिने ओहि जमीन के मोल कुनू ज्यादा नहि रहैक और जमीन बेच लीतैथ त रहितथि कतय। तीनू बेटा-बेटी विद्यालय केर झोड़ा फेंकि लंचक झोड़ा लय नौकरी करय लगलैन। सबसँ पैघ बेटी बारहमीं मे, ओहि स छोट बेटी दसमीं मे, और बेटा आठमीं मे पढैत रहथिन्ह। सब केँ बिलो इंगलिश स्कूल में पढबैत रहैथि। बिलो के सहोदर भाइ जिनकर घर हुनकर घरक संगे रहैन ओहो रिस्ता तोड़ि लेलखिन्ह, और जतेक रिस्तेदार रहथिन्ह सब एनाय-गेनाय छोड़ि देलखिन्ह। एतेक तक जे बिलो केर कनियाँ जे फोन करथिन्ह कोनो रिस्तेदार ठीक स बातो तक नहि करथिन्ह ई सोचि जे कहीं पाय-कौड़ी नहि मांगि लियए। डाक्टर-वैद्य कहलकैन बिलो केर कनियाँ सँ जे बिलो आब नहि बचता, बड़की बेटी के विवाह क दियौक, कम-स-कम एकटा संतान केर विवाह अपन आँखि सँ देखि लेता। जेना-तेना बड़की बेटी केर विवाह करा देलखिन्ह। किछु दिन बाद बिलो अपन कनियाँ-बच्चा केँ छोड़ि दुनिया सँ विदा भ गेलाह। एक-स-एक विपत्ति केर दिन काटैत बिलो केर परीवार आगू बढल। आय धन-दौलत स परिर्पूण हुनक परीवार छैन, एकटा ने एकटा रिस्तेदार सब दिन अबिते जाइत रहैत छन्हि। कहल गेल छै ने जे जुड़य अपना त आदर करय आन।