अनुत्तरित प्रश्नः गांधारी
– डा. लीना चौधरी
अहाँ कखनो विचलित नइ भेलउं गांधारी अपन आँखि पर बान्हल पट्टी केँ मन पर बान्हैत? धृतराष्ट्र संग विवाह अहांक विवशता छल… अपन पिताक राष्ट्र और अपन लोकक प्राण रक्षा लेल। कियैक कि अहां बुझैत छलियैक जे हस्तिनापुर सं आयल प्रस्ताव केँ नइ मानबाक परिणाम अहांक राष्ट्र केर विनाश होयत। परंतु कि अहां केँ बुझल छल जे ई प्रस्ताव कोन भाइ के लेल अछि? शायद नइ। ताहि लेल अहां अपन निराशा केँ छुपाबक लेल अपन आँखि पर टा नहि मनहु पर मे पट्टी बान्हि लेलहुँ। अहां अपन कृत्रिम अंधता केँ पातिव्रत्य केर नाम द देलहुँ। ई केहेन अहांक पातिव्रत्य धर्म जे आन्हर पति केर आँखि बनबाक बदला अहाँ अपनो अंधत्व अपना लेलहुँ? कि अहाँ केँ धृतराष्ट्र (पति) केर आँखि नहि बनबाक चाहैत छल आर हुनका उचित ओ सही केर ज्ञान करबैत नहि रहक चाहैत छल? आकी अहां ई पट्टी अपन लालसा केँ नुकेबाक लेल बान्हि लेलहुँ? कि अहां केँ कहियो मन नइ केलक अपन संतान सभक बालसुलभ चंचलता और सहज हंसी सँ उल्लासित मुख देखितहुँ? हुनका सब केँ निहारितहुँ और ममत्व लुटबितहुँ अपन मातृत्व अपन सन्तान पर? गुरुकुल जाइत संतान केँ हृदय सं लगा आखिक नोर पोछि आंचर भिजबितहुँ? अहांक आँखिक पट्टी अहांक संतान सभ केँ बहुत पीड़ा देने हेतनि। हुनको त इ दंश सदिखन डसइत हेतनि। कहीं अहाँ केँ ई भय त नहि छल जे अहाँक अंदर केर वेदना अहाँक संतान रूप मे सवाल नहि पूछि लियए? अहाँ एहि विवाह केँ मानलहुँ त लेकिन हृदय सँ अपनेलहुँ नहि। जँ अपनबितहुँ तँ धृतराष्ट्र (पति) केर आँखि बनितहुँ, शकुनी केँ सद्बुद्धि बनितहुँ आर दुर्योधन केर सलाहकार बनि सही मार्गदर्शन करबितहुँ।
राष्ट्र केर लालसा की केवल दुर्योधन केँ छलैन या अहूं केँ छल? अहूं त कखनो हुनका रोकबाक प्रयत्न नइ केलहुँ? दुर्योधन अहांक लाडला, अहांक स्वप्न केँ मूर्तरुप, जखन ओ भरल सभा में द्रौपदी केर चीरहरण करबाक प्रयास केलक और ओहु सँ पहिने द्रौपदी केर अस्मिता पर सवाल केलक, कि अहांक मन नइ केलक अपन आखिक पट्टी उतारि ओकरा ओकर अनुचित बात केर लेल सजा दी? अंततः अहां पट्टी तऽ खोललहुँ अपन आँखि सँ, ओही दुर्योधन केँ अपन मातृकवच सँ सुरक्षित करबाक लेल। त कि ई अहां केर राज लालसा नहि छल जे अहां दुर्योधन केँ जीवित देखय चाहि रहल छलहुँ ओकर अनुचित पक्ष रहलाक बादहु? तखन एक स्त्री केर अस्मिताक सवाल पर अहां मौन धारण केने रहलहुँ। एहि केर कारण अहां सब किछु गमा देलहुँ। अपन प्रिय संतान सेहो। मुदा अहांक चुप्पी अनेक सवाल छोड़ि गेल हम सब स्त्रीक लेल जे अनुत्तरित अछि। गांधारी! सवाल त बहुत अछि लेकिन सभक जबाब मौन अछि.. अहीं जेकाँ। बस हमर सभक हिस्सा आयल अछि अंतहीन लड़ाई स्त्रीक अस्तित्व और अस्मिताक लेल।