नौमन सिद्दिकी, दुबई। ५ जून २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!
आइ इस्लाम धर्मक बहुत पैघ पाबनि ‘ईद उल फित्र’ अछि। इस्लामिक महीना केर ९वम् महीना रमदान केर महीना होइत छै। रमदान केर नाम ठाउँ अनुसार रमजान कहिकय सेहो सम्बोधन करैत कयला जाइछ। रमजान विशेषत: एसिया देश मे सम्बोधित होइत अछि। इस्लाम धर्मक मान्यता अनुसार कुरान केर अवतरण एहि महीना मे भेल कहल गेल छैक। इस्लाम धर्म केर ५ टा स्तम्भ मे सँ १ टा स्तम्भ रमजान सेहो छै। इस्लामिक क्यालेन्डर मूलतः चन्द्रमा केर गति पर आधारित रहला सँ ई महीना मे कभी-कभी २९ दिन के आ कभी-कभी ३० दिन के उपवास राखल जाइत छै। मुस्लिम समुदाय एहि महीना केँ बहुत परम पवित्र महीना के रूप मे मनबैत अछि।
मुस्लिम समुदाय केर आस्था अनुसार कुरान केर अवतरण रमजान महीनाक २७वाँ दिन यानी ‘शब-ए-क़द्र’ के राति मे अवतरण भेल मान्यता स्थापित अछि। एहि सँ मुस्लिम समुदाय केर लोक ई महीना मे कुरान के पाठ बेसी करैत नजर आबैत अछि, अधिक मात्रा मे कुरान केर पाठ करला सँ बेसी पुण्य होइत छैक से मान्यता एहि समुदाय के छैक।
उपवास के दिन सुर्योदय सँ पहिने मुस्लिम समुदाय किछु खान-पान करैत छैक जेकरा शेहरी के नाम सँ जानल जाइत छै। सूर्यास्तमय के समय रोजा खोलि के खाइ के इफ्तार कहल जाइत अछि।
इस्लाम धर्म के मान्यता अनुसार कोनो भी समय मे अप्पन कमाई के किछु हिस्सा गरीब या दुःखी समाज के लेल अलग राखबाक मान्यता छैक। एहि मान्यता के जकात आ फित्र कहल जाइत अछि। रमजान के महीना मे अप्पन कमाई के किछु हिस्सा अप्पन धन-दौलत अनुसार निकालि के गरीब आ दुखिया लोक के देबाक प्रचलन छैक। विशेषतः एहि महीना मे अपन पडोसी, गरीब, मानवता आ असहाय के खयाल करय के बहुत पैघ मान्यता अछि। रमजान मे अपन रिस (तामस), अहंकार आदि पर संयम राखिकय मानवता के सेवा मे लगाबक महीना छी।
एहि महीना मे राति के प्रार्थना के तरावीह कहल जाइत अछि। महीना भरिक रोजा (उपवास), राति मे तरावीहक नमाज, कुरान तिलावत (परायण पाठ), एतेकाफ बैठक यानी गामक लोक केर अभ्युदय-उत्थान लेल अल्लाह सँ दुआ (प्रार्थना) करैत मौन व्रत रखबाक प्रक्रिया, जकात, दान-धर्म, अल्लाह केँ शुक्र (आभार) अदा केनाय – एहि समस्त विशेषताक संग पूरा महीना बितलाक बाद शव्वाल केर पहिल तारीख के उल-फ़ित्र मनायल जाइत अछि।
ईद के समय बच्चा सब के हाथ मे किछु रुपिया-पैसा द के कहैत रही जे बाहर जो आ कोनो गरीब, फकीर आ कोनो असहाय आदमी भेटि जाउ त ओकरा ई पैसा द दिहनि। ईद के दिन घर-आंगन मे अनाज, कपड़ा और किछु ल क बैठनाइ आ जरूरतमन्द लोक सब केँ देबाक खुशीक अनुभव आइ विशेष रूप सँ हमहुँ याद कय रहल छी। मात्र मुस्लिम टा के नहि और दोसर धर्म प्रति श्रद्धा राखय वला के सेहो देला पर एकटा मुस्कान एखन तक हमरा स्मृति मे अबैत अछि, ताहि पर ओ असहाय लोक के आशीर्वाद भेटल छलय – “ईश्वर अल्लाह जेकरा मानय छहक बाबू से तोहर कल्याण जरूर करथुन”। आइ ईद पर अपन गाम सँ दूर छी, परन्तु गाम के याद कय रहल छी, सभक लेल दुआ कय रहल छी।