सम-सामयिक विषयः जल-संकट
– प्रवीण नारायण चौधरी

जलक भंडार क्षेत्र मे जल-संकट केर कथा-गाथा मिथिला (भारत) केर केन्द्रभूमि दरभंगा-मधुबनी सँ आयब आरम्भ भऽ गेल अछि। साधारण हैन्डपम्प सँ मात्र ४० फीट केर पाइप सँ खूब बढियाँ पानि चापाकल द्वारा भेटि जाइत रहय, आब ताहि सँ गहींर पाइप देलो पर एहि साधारण चापाकल सँ पानि नहि अबैत अछि। समर्सिबल मोटर (Submersible Motor) केर प्रयोग कएने बिना पानि उपलब्ध नहि भऽ पाबि रहल अछि। एक समर्सिबल सिस्टम केर इन्सटालेशन मे हाल १ लाख टका (भारतीय रुपया) खर्च होइत अछि।
सोशल मीडिया मे दरभंगा आ मधुबनीक कतेको सुजान-सज्जन ओहि ठाम देखल जायवला जल-संकट केर बारे मे लिखब आ चिन्तन करब आरम्भ कय देने छथि। सामाजिक-राजनीतिक अभियन्ता सब सेहो अपन प्राथमिकताक सूची मे जल संकट केर समाधान लेल व्यग्र होइत देखा रहला अछि। कियो-कियो एतेक तक लिखलनि अछि जे सुतली राति मे आब जँ कियो पड़ोसी जगबैत छथि तऽ बुझू जे हुनका घर मे पीबयवला जल खत्म भऽ गेलनि आर ओ पेय जल उधार (पैंच) मांगय इमरजेन्सी मे आयल छथि।
केना भेलैक ई जल-संकट?
जमीनक नीचाँ जे जल-भंडारण किंवा जल-स्तर रहबाक चाही ओ धीरे-धीरे आर नीचाँ गहींर मे चलि गेलैक। स्पष्टतः जलक जतेक मात्रा जमीनक नीचाँ जमा रहबाक चाही से आब नहि छैक। जल चक्र (water cycle) केर साधारण सूत्र मुताबिक बरसातक जल वा नदी द्वारा आनल जल वा पोखरि, इनार वा अन्य जल-ठहरावक क्षेत्र द्वारा संग्रहित जल केर अभाव मे समुचित वाष्पीकरण नहि भऽ सकबाक कारण जल-चक्र भंग भेला सँ एहि तरहक अवस्था भऽ सकैत छैक।
आधुनिक भवन निर्माण योजना मे वर्षा जल संग्रह केर संयंत्र सेहो पहिने सँ सोचि लेल जाइत छैक। छत सँ ग्रहण कयल गेल जल केँ उचित ढंग सँ संग्रह कय कोनो निर्धारित जल संग्रह टैंक मे ओकरा सुरक्षित राखनाय, पुनः ओहि जल केँ उचित प्रक्रिया सँ फिल्टर केला उपरान्त घरक कामकाज व पेयजल केर रूप मे प्रयोग केनाय, एहि दिशा मे अभियांत्रिकी काफी विकसित हेबाक बात देखल जा रहल अछि। महानगरीय क्षेत्र मे बनल लगभग सब पैघ भवन मे एहि तरहक व्यवस्था अनिवार्य छैक।
दरभंगा-मधुबनी शहरी क्षेत्र मे पूर्वकाल सँ जलसंग्रह क्षेत्र पोखरि-इनार हेबाक बात विदिते अछि। मिथिलाक्षेत्र मे जीवनचक्र लेल उपयोगी जल प्रति साकांछ रहबाक नियति एहि सँ बुझल जा सकैत अछि जे बिना पोखरि-इनार खुनौने कोनो जमीन बसोवास योग्य नहि होइत छल। लेकिन वर्तमान पीढी मे एकर ठीक बिपरीत अवस्था देखल जाइछ। पोखरि-इनार-डोबरा-चभच्चा आदि केँ भाथि-भरिकय लोक ओकरा आबादी विकास लेल वासडीह जेकाँ उपयोग करय लागल अछि। खासकय शहरी क्षेत्र मे ग्रामीण क्षेत्र सँ उपैटिकय लोक बसबाक ललक मे ई काज बेसी कय रहल अछि। एकटा मुख्य कारण ई थिक एहि क्षेत्रक जल-संकट केर।
दोसर बात, नेपाल सँ कोसी, बागमती, कमला, बलान, गंडकी, आदि छोट-पैघ अनेकों नदीक जल केँ बाँध परियोजना जेहेन अवैज्ञानिक आ अनुपयोगी बाढि सँ बचबाक उपायक रूप मे प्रयोग भेलाक कारण एहि जलग्रहण केर प्रमुख स्रोत नदी सभक जल केँ बाँधक भीतरे-भीतर सीधे गंगा नदीक बहाव मे जोड़िकय अन्य क्षेत्र केँ जल मुफ्तहि मे देल जा रहल अछि। अधिकांश जल एहि तरहें गंगाक बहाव मे मिलि बंगालक खाड़ी (सागर) मे मिलिकय एहि क्षेत्रक लेल अपन कोनो उपयोगिता नहि सिद्ध कय पाबि रहल अछि।
समाधान केर उपाय ताकब जरूरी

हरिः हरः!!