नेपालक उपप्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव द्वारा टीवी स्टूडियो सँ बहिर्गमन

१३ मई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!

नेपालक एक चर्चित टीवी न्यूज चैनल ‘एवी न्यूज’ केर एक अन्तर्वार्ताक दरम्यान पत्रकार सुशील पांडे संग आपसी बहस आ तिरस्कारक अनुभूति कय देशक उपप्रधानमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री उपेन्द्र यादव बीच वार्ता सँ स्टूडियो छोड़ि बाहर निकैल गेलाह। ई घटना एकटा नव बहस केर जन्म दय देलक अछि। सोशल मीडिया पर एखन ई बहस जोर-शोर सँ चलि रहल अछि जे आखिर एक उपप्रधानमंत्री जेहेन उच्च ओहदा पर रहल नेतृत्ववर्गक व्यक्तित्व संग पत्रकारक भाषा आ शैली केहेन हेबाक चाही। वीडियो लिंक पर देखल जा सकैत छैक जे पत्रकारक प्रश्न पूछबाक शैली आ जबाब पूरा सुनने बिना बेर-बेर निजी विचार आ स्वाभिमान केँ ठेस पहुँचेबाक शैली मे दम्भयुक्त विचार-वचन केर प्रयोग अन्ततोगत्वा कोन तरहक दुष्परिणाम केर जन्म देलक। एहि क्रम मे मंत्री जी केर भाषा सेहो अपन मर्यादा केँ ताख पर राखि पत्रकार सुशील पांडे प्रति कतेको रास शब्द एहेन प्रयोग कयल गेल जे वास्तव मे पत्रकारहु लेल मर्यादा लंघबाक आ अपन सीमा बिसरिकय मंत्री सँ एहि तरहक व्यवहार करबाक उकसाहट पैदा केलक।

वर्तमान संविधान मे समाजवाद केर उल्लेख आ नेपालक नव बहुमतीय सरकारक पैघ-पैघ सपना मुदा कार्यगति अपेक्षानुकूल नहि रहबाक विन्दु पर पत्रकार सुशील पांडे जी नेपालक उपप्रधानमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री उपेन्द्र यादव संग साक्षात्कार केर पहिल प्रश्न जे सरकार मे सहभागी रहैत अहाँ कि सन्तुष्ट छी, ताहि पर उपप्रधानमंत्री यादव बजलाह जे जनता सन्तुष्ट त हमहुँ सन्तुष्ट, जनता असन्तुष्ट त हमहुँ असन्तुष्ट… ताहि पर सवाल दोसर अबैत अछि जे जनता त असन्तुष्ट आ निराश होइत जा रहल अछि ताहि पर अहाँक कहब की… तखन मंत्रीजी ओहि मे सेहो जनताक भावना संग ऐक्यबद्धता जनौलनि। पुनः तेसर प्रश्न जे जनता निराश होबय मे अहाँक ऐक्यबद्धता अछि की… ओ कहलखिन जे ‘हँ निराश हुअय मे’।
एतय सँ पांडे जी पत्रकार केर खनकदार हँसी आर फेर नेताजी पर सवाल जे ‘ई अवस्था त अहाँ सभक कारण भऽ रहल छैक जनता केर…!’ पुनः जबाब मे मंत्री जी स्पष्ट करैत कहैत छथिन जे देश आइये नहि बनलैक अछि। वर्षों सँ नेपालक अवस्थाक कारण ई हाल अछि…। ताहि ठाम सँ उपेन्द्र यादव जी जबाब देनाय शुरू केला आ वर्तमान सरकारक स्वरूप बतेलथि जाहि मे ‘जनताक महात्वाकांक्षा अधिक होयबाक, आकांक्षा बढबाक, आशा बढबाक… लेकिन तेकरा पूरा करबाक अवस्था नहि सहजहि उपलब्ध नहि रहबाक कारण जनताक अपेक्षा अनुरूप कार्यप्रगति नहि भऽ पेबाक बात कहैत छथि। ओ स्पष्ट करैत छथि, वा करबाक प्रयास करैत छथि आर एहि कारण जनताक निराशा बढबाक बात ओ कहलनि।
लेकिन पत्रकार जी बहुत बढियाँ सँ अपन पत्रकारिताक धर्म केँ प्रतिष्ठित करैत ई ‘जनताक महात्वाकांक्षा बढबाक’ उत्तर वला मंत्री जी केर पंक्ति केँ पकड़िकय कहलखिन जे महात्वाकांक्षा त नेता सभक बढलैक। मंत्री जी अपन तर्क नेपालक सीमित संसाधन आ न्युनतम् विकसित राष्ट्रक परिस्थिति अनुकूल कोनो विकासक कार्य एतेक कम समय (१ वर्ष मात्र) मे जनताक सामने आबि जेतैक से अवस्था नहि रहबाक बात कहैत छथि। पत्रकार आ नेता मे उपप्रधानमंत्री समान उच्च पदाधिकारी बीच वार्ताक मर्यादा तनावग्रस्त होइत देखाइत रहैत अछि। 
 
एहि बीच आपसी बातचीत मे पत्रकार महोदय बेर-बेर मंत्री जी केर बात पूरा होय सँ पहिने प्रश्न पर प्रश्न आधे-बात सँ मंत्रीजीक बात पकड़िकय पूछय लगैत छथिन। मंत्री जी द्वारा जखन स्थिति-परिस्थिति आ अपेक्षा-आशा पर अपन बात राखि रहल छथि तखनहि हुनका द्वारा ग्रोथ रेट, एवरेज पर कैपिटा इनकम आदि बढबाक बात कहैत रहबाक संग-संग पत्रकार जी बड़ा मखौल उड़बैत कहैत छथिन जे पानि पड़ि रहल अछि, बरखा भऽ रहल अछि, मौसम नीक देखा रहल अछि… ई सब त सामान्य बात भेल मंत्री जी…. असामान्य (विशेष बात आ विचार केर विषय) पर अपन स्थिति स्पष्ट करू। तखन मंत्री जी कहैत छथिन ‘असामान्य बात लेल ई कोनो जादू-मंतर त नहि न थिकैक जे अलादीन केर जादुइ चिराग लय केँ घुमा देबैक आ काज निकैल जेतैक…’।
एहि क्रम मे फेर पत्रकार जी कहैत छथिन जे हम त अहीं सभक कहल बातक अनुसार बात पूछि रहलहुँ अछि… आर, तखन मंत्री जी अपन चिरपरिचित शैली मे हुनका कहलखिन जे सुनू न पहिने… अहाँ सब ठाम मे एना नहि कूदू… पत्रकार पुनः टोकलखिन जे कुदबाक काज त अहाँ नेता लोकनिके रहि गेल अछि… ताहि पर स्थिरता सँ बात सुनबाक, शान्त भऽ बात सुनबाक लेल मंत्रीक आग्रहपूर्वक दबाव सेहो बनबैत छथि पत्रकार जी पर। आर ओ स्पष्ट शैली मे कहय चाहि रहल छथि जे संसारक सबसँ दरिद्र देशक सूची मे रहल, अत्यन्त न्यून विकसित देश नेपाल एक्के वर्ष मे, राजनीतिक अस्थिरता रहल देश मे स्वीटजरलैन्ड जेकाँ समृद्धि आबि जेबाक स्थिति नहि अछि। ताहि पर पुनः पत्रकार जी कहलखिन जे हमर प्रश्न स्वीटजरलैन्ड बनेबाक नहि अछि, हम अहींक मंत्रालय द्वारा १ लाख टका केर न्युनतम रकम कैन्सर रोगी केर लेल अस्पताल केँ देबाक बात छल से सरकार नहि दय रहल अछि… एहि पर फेर मंत्री जी कहैत छथिन जे पहिल बात त अहाँ केर सुनलहबे बात गलत अछि, सरकार केँ १ लाख केर रकम देबाक बात नहि छैक। ८ टा रोग केर विपन्न वर्गक रोगी केँ १ लाख जतेक केर सुविधा अस्पताल केँ देबाक बात छैक। एहि पर आपसी दोहोरी बहस होइत छैक। जाहि अस्पताल केँ नहि भेटलैक तेकरो भेटतैक, देरी भऽ सकैत छैक यदा-कदा – मंत्री जी एहि भाव मे जबाब दैत छथिन।
 
एहि विन्दु पर पत्रकार द्वारा मंत्री केँ ई कहि देनाय जे अहाँ केँ जानकारी नहि अछि। मंत्री जी कहलखिन जे तखन अहीं केँ बेसी बुझल अछि त फेर हमरा सँ पूछबाक जरूरत की..! एहि अन्तर्वार्ता मे ‘छाती पर हाथ राखिकय’ कहबाक बात तक पत्रकार करैत छथि। आपस मे वार्ताक जे सीमा, प्रश्नक शैली, जानकारीक दम्भ, ई सब विन्दु पर नोंक-झोंक होइत देरी प्रेस स्वतंत्रताक बात अबैत अछि। आर फेर मंत्री जी सेहो मर्यादा सँ उठिकय अपन भाषा केँ हल्लूक करैत छथि, ताहि मे कतहु दुइ मत नहि। चर्चे-चर्चा मे मंत्री जी पत्रकार ओ प्रेस केर स्वतंत्रता आइ कतय धरि पहुँचि गेल सेहो मोन पाड़िकय इशारा मे किछु संकेत करय चाहैत छथि। पुनः ओहि विन्दु पर पत्रकार जी मंत्री जी पर अपन विज्ञ शैली मे शाब्दिक आक्रमण करैत छथिन आर स्थिति एतेक तक बिगैड़ जाइत छैक जे मंत्री हुनका सँ शिष्ट होयबाक आग्रह करैत छथि। ताहि पर पत्रकार जी अपन नियंत्रण लगभग हेराकय हुनका सँ शिष्टाचार सीखबाक कोनो आवश्यकता प्रेस अथवा पत्रकार केँ नहि रहबाक बात कहैत छथि। आर, मंत्री जी हुनक एहि तरहक व्यवहार पर अन्तर्वार्ता मे सहभागी नहि रहि सकबात मनसा जतबैत देरी ओ सीधे कहि दैत छथि जे जँ प्रश्नक जबाब देबाक हिम्मत आ मानसिकता नहि अछि त अहाँ बाहर जा सकैत छी। 
एकटा मर्यादित पद पर आसीन उच्च व्यक्तित्व आ तहिना मर्यादाक क्रम मे सम्मानजनक स्थान पर रहल पत्रकारिता धर्म निभेनिहार व्यक्तित्व बीच जखन आपसी नोंक-झोंक एहि कदर बाट सँ विचलित भेल, तखन स्वाभाविके रूप सँ मंत्री जी लेल स्टूडियो छोड़ि बाहर जेबाक दोसर कोनो विकल्प नहि रहि गेल छल। सोशल मीडिया मे पत्रकारक पक्ष केर समर्थन मे आर तहिना विपक्ष मे रहल आमजनक मनस्थिति ई देखा रहल अछि जे आगामी समय मे एहि तरहक घटना दोहराबय सँ पहिने सब कियो जरूर उचित रूपें विचार करत। नेपाल मे मीडियाक स्वतंत्रता पर एखन दोसरो दिश बड़ा गम्भीर विमर्श चलि रहल छैक जे किछु अंश मे एहि साक्षात्कार मे सेहो देखल जा सकैत अछि। अस्तु, सभक शुभ हो! ई आलेख कोनो एक विचारक पक्ष अथवा विपक्ष लेल नहि बल्कि निरपेक्ष रूप सँ सब बातक चिन्तन-मनन करैत देश ओ जनताक हित लेल सोचबाक वास्ते मात्र मैथिली मे लिखल गेल अछि।
हरिः हरः!!