मैथिली-मिथिलाक ‘दिन-भैर’
८ मई २०१९. मैथिली जिन्दाबाद!!
१. परशुराम जयन्ती पर विभिन्न आयोजन

२. मैथिली लेल चर्चित प्रकाशक ‘नवारम्भ प्रकाशन’ उधारक चपेट मे
साहित्यकार श्याम दरिहरे आह्वान करैत कहलनि अछि जे नवारम्भ प्रकाशन आर्थिक संकट मे घेरा गेल अछि, से जे कियो एहि प्रकाशन सँ किताब प्रकाशित करबाबैत छी ओ अपन मूल्य समय पर प्रकाशक केँ दय देल करियौन। प्रकाशक अजित आजाद स्वयं तगाता किछु विशेष सिद्धान्तक कारण सँ नहि कय पबैत छथि, ताहि लेल ई बात हमरा लिखय पड़ि गेल अछि – ओ अपन पोस्ट मे लिखलनि। हुनकर पोस्ट जहिनाक तहिना निम्न अछि –
“एखन हैदराबाद आएल छी। नवारम्भ प्रकाशनसँ प्रकाशित हमर उपन्यास “हमर जनम किए भेलै हो रामा”क लोकार्पण भेल। ओही क्रममे अजित आजादजीसँ बात भेल। पता लागल जे अनेक लेखक बन्धु पुस्तक प्रकाशन-मूल्य सही समय पर नवारम्भकेँ चुकता नहि करैत छथिन। सभ लेखक मित्रसँ आग्रह जे शेष राशि सही समय पर भुगतान कऽ देथिन। बहुत मोसकिलसँ अजितजी नवारम्भ ठाढ़ कएलनि अछि। हमरा सभक आलसक कारणे जँ ई बन्न भेल तऽ मैथिलीक बड़ पैघ हानि होएत। तें हमर आग्रह जे केओ गोटे पुस्तक प्रकाशनक पश्चात भुगतानमे आलस नहि कए मातृभाषाक संवर्धनमे अपन योगदान करथि। ई बात अजितजी अपना मुँहे कहिओ नहि कहताह। तें हमरा ई आग्रह करऽ पड़ि रहल अछि।
– – – – श्याम दरिहरे।”

४. मैथिली भाषा-साहित्य लेल साहित्यांगन शीर्षक मे जमीनी क्रान्ति अननिहार सामाजिक-साहित्यिक अभियन्ता मलय नाथ मंडन विगत किछु समय सँ चुनावक स्थिति-परिस्थिति पर गम्भीरतापूर्वक नजरि गड़ौने छथि। ओहो अपन विशेष बात पूरे हिन्दुस्तान केँ बुझेबाक हिसाबे हिन्दी मे लिखैत रहैत छथि। ओनाहू हिन्दी पत्र-पत्रिका मे पत्रकारिता सँ जुड़ल मलय नाथ मंडन जी हिन्दी मे लिखियोकय अपन मातृभाषा मैथिली एवं मिथिलाक यथार्थ राजनीतिक-सामाजिक स्थिति मे सुधार लेल निरन्तर मंथन करैत रहला अछि। हुनक आजुक चिन्तन मे रहल बात यथारूप मे एना अछि, “जब तक हम दल और व्यक्ति के प्रति प्रतिबद्धता जताते रहेगें, लम्बे समय तक कुछ नहीं होने बाला है। हमें वहाँ से बाहर आना होगा। अपने मुद्दे को लेकर खड़ा होना होगा। उसे वोट में तब्दील करना होगा। फिर जाकर कोई सुनने के लिए तैयार होगा। फिर हम उसके प्रति प्रतिबद्ध हो लेंगे। जिससे उसका और मेरा दोनों काम निपटता रहेगा। मुद्दा आधारित किसी भी दल और नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता सकून देने बाला होगा। ये सिर्फ मेरे और मेरे विचारों से सहमति रखने बालों के लिए। आप भी अपने विचारों से श्रेष्ठ हो सकते हैं।” डिस्क्लेमर सहितक ई विचार केँ स्वीकारबाक व नकारबाक लेल ओ स्वतंत्रता सेहो देलनि अछि।
५. मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार गंगेश गुञ्जन आइ-काल्हि ‘उचितवक्ता-डेस्क’ केर शीर्षक मे फेसबुक पर मैथिली-मिथिलाक अपन जमाना आ आधुनिक जमाना बीच एकटा तादात्म्य बैसबैत देखाइत छथि। हुनक चिन्ता ओ चिन्तन मे कठोर आलोचना सेहो रहैत अछि। उचितवक्ताक रूप मे ओ आइ एहि विन्दु पर संकेत कयलनि अछि से हुनकर पोस्ट मे देखी –
“।। अरिपनक आयु ।।
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कोनो सिया सुकुमारि,कोनो मैथिल किशोरी मिथिला में आब तुसारी नै पूजैए। किएक नै पूजैये? तें कि तुसारीक अरिपनो मेटा गेल ? से अरिपन आब आंगन-भगवती चिनवार सं उठि क’ स्मृति मे पड़ि गेल। कोनो एक दिन तुसारी मैथिलीक स्मृतियहु सं मेटा जायत। आस्था, परम्परा,रीति- रेवाज सभक किछु युगीन जीवनक उपयोगिता आ औचित्य होइत छैक। मुदा समाजक जीवन मे तकरो आयु अनन्त काल नहि।
अरिपनहुक अपन शुभाशुभ आयु-और्दा होइत छैक। तकर वियोग में रहब कि आजुक ललना लेल युगक योग्य कोनो नव आयोजन ओ अरिपन ताकब-आनब? सोचबाक विषय आब ई !
कलम केर कोनो गाछ सुखा जाइत छैक तँ दोसर गाछ रोपल जाइत छैक।
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(उचितवक्ता डेस्क)”
६. शास्त्र-पुराण ओ मिथिलाक इतिहासक संग लोकरीति मे दखल रखनिहार विद्वान् अध्येता रमण दत्त झा पुनः पूरे हिन्दुस्तान केँ हिन्दी मे मिथिलाक बात बुझबैत लिखलनि अछिः
मैथिल महर्षि द्वय गौतम (सामवेद व छन्दोग्योपनिषद् का प्रणेता) व याज्ञवल्क्य (शुक्ल यजुर्वेद, ईशावास्योपनिषद् व वृहदारण्यकोपनिषद् के प्रणेता) का प्रभाव सम्पूर्ण मिथिला पर रहा है। इनके द्वारा प्रतिपादित वेद, वेदान्तों का सार है कि – ‘‘वेद वेदान्तों का अध्ययन अध्यापन करते हुए पुत्र-पौत्रादि को धर्मात्मा बनाते हुए सम्पूर्ण जीवन परिवार में रहते हुए (अर्थात् गृहस्थ जीवन) जो व्यतीत करते हैं, उसे स्वर्ग प्राप्ति के साथ-साथ मोक्ष (पुनर्जन्मादि द्वन्द्व से मुक्ति) प्राप्त हो जाती है। अतएव मिथिला के लोग वैदिक परम्परा (शुक्ल यजुर्वेद सामवेद व उपनिषदों ) के कारण गृहस्थ जीवन के अवधारणा को अपनाए तथा सन्यास जीवन से दूर रहे। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह रहा कि मिथिला को शासित करने वाला किसी भी राजवंश के (इक्ष्वाकुवंश, जनक वंश, पालवंश, सेनवंश, कर्णाट वंश, ओइनवार वंश व खण्डवला वंश) राजा लोग सन्यासी नहीं हुए। साथ ही मिथिला के कोई भी ऋषि मुनि भी सन्यासी नहीं हुए। सभी पारिवारिक जीवन व्यतीत किए।
७. वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार विभूति आनन्द आजुक दिवस केँ ‘प्रायः मातृदिवस’ मानि माय लेल समर्पित एक रचना रखलनि अछि –
आइ प्रायः मातृदिवस, तें पुनः
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माय
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माय गे,
जी मे पानि अबैए,
बगिया नै बना देबें !
माय गे,
पेंट मे लग्घी भऽ गेल,
थप्पड़ नै ने मारबें !
माय गे,
बड़ जाड़ लगैए,
गाँती जँ बान्हि दितें !
माय गे,
दुधुआ पिया दे ने !
माय गे,
घुघुआ पर नै झुला देबें !
माय गे,
चन्ना मामा कतय छथिन ?
माय गे,
एकटा खिस्सा कह ने !
माय गे,
तों चुप किए छें !
तों आब नै छें की ?
मुदा से मोन कहाँ मानैए ! ●
८. शंकर कुमार मिश्र पंजिकार द्वारा किछु महत्वपूर्ण जानकारी पंजी परम्परा सँ प्राप्तिक आधार पर निम्न रूप मे देल गेल अछिः
किछ गोटे के कहब छ्न जे शिव सिंह कामेश्वर सिंह के पुर्वज छलथ,
जखन कि शिव सिंह :- काश्यप गोत्र के ,
कामेश्वर सिंह :- शान्डिल गोत्र के छलथ.
शिवसिंह के पुर्वज ओईनी गांव के छलथ जे कि समस्तीपुर – मुजफ्फरपुर के बीच कोनो स्टेशन या होल्ट अछि.
बागमती के किनार मे गजरथपुर जगह पर राजा शिव सिंह के राजधानी छल ! जे कि शिव सिंह द्वारा विद्यापति के देल गेल विस्फ़ी गांव के ताम्रपत्र लिपि पर लिखल अछि. राजा हरि सिंह देव के राजपंडित कामेश्वर ठाकुर छलथ. जखन शिव सिंह के वंशज समाप्त भेल .तखन महेश ठाकुर के राजगद्दी देल गेल ! सुगौना (राजनगर) मे शिव सिंह के वंशज अखनो मौजुद छथ. कामेश्वर सिंह के पुर्वज राजेग्राम के छलथ, बाद मे भौआरा (मधुबनी) आ ओकर बाद दरभंगा भेल. कामेश्वर सिंह के दियाद अखनो मधुबनी- रांटी मे मौजुद छथ
राजा शिव सिंह ( ओइनिवार )वंशावली
1 . आयन ठाकुर ओइनी ग्रामोपार्जक
2 . अतिरेप ठाकुर
3 . विश्वरूप ठाकुर
4 . गोविन्द ठाकुर
5 . लक्ष्मण ठाकुर
6 . राजा कामेश्वर ठाकुर
7 . राजा भोगेश्वर ठाकुर
8 . राजा गुणेश्वर ठाकुर
9 . राजा कीर्ति सिंह
10 . राजा वीर सिंह
11 . राजा देव सिंह
12 . राजा शिव सिंह
13 . रानी लखिमा ठकुराइन शिव सिंह की पत्नी
14 . राजा पद्म सिंह रानी विश्वास देवी पत्नी
15 . राजाहृदयनारायण सिंह
16 . राजा हरिनारायण सिंह
17 . राजा रूपनारायण सिंह
18 . राजा रूद्रनारायण सिंह उपनाम केस नारायण राज्य समाप्तिद्ध
संकलन पोथी
मैथिली विवाह पंजी पद्धति
लेखक :- डॉ शंकर कुमार मिश्र पंजीकार
📱 9430587363
९. लेखिका वंदना झा अपन एक सुन्दर सन रचना ‘सुखायल फूल’ शेयर करैत मैथिल समाज सँ अपन चिर-परिचित अन्दाज मे एकटा प्रश्न सेहो पुछलीह अछिः
” सुखायल फूल “
समाजके किछु कहि रहल ई
सुखायल फूल,
आंजुरमे चूड़ होइत ई
सुखायल फूल,
देवताके नहि चढतन्हि ई
सुखायल फूल,
भंवरा के नहि चाही ई
सुखायल फूल,
प्रेमीके नहि चाहियन्हि ई
सुखायल फूल,
प्रेयसीक खोंपामे नहि ई
सुखायल फूल,
सुगन्धित आब नहि रहल ई
सुखायल फूल,
मालीक लेल निर्रथक ई
सुखायल फूल,
आब कोनो काजक नहि ई
सुखायल फूल,
कतय भसाओल जायत ई
सुखायल फूल,
मनुक्ख जीवनक यथार्थ ई
सुखायल फूल,
समाज के किछु कहि रहल ई
सुखायल फूल……🤔🤔
© वन्दना झा,
पहिले सँ प्रकाशित रचना
जिज्ञासा ?
” हे ओऽ… ओऽ तऽ अपने बड़का कलाकार अछि ” एहि ठाम ‘कलाकार ‘ केर अर्थ की ? एतय कलाकारक अर्थ ‘Artist’ या किछु आओर ?
१०. बुटवल सँ बी. के. झा सर एकटा खूब सुन्दर चुटकुला गढिकय पठौलनि अछि फेसबुक परः
मिसिर जी कऽ हवाई जहाज चढ़ैकऽ शौख भेलन्हि । कियो कहलकैन्ह पासपोट बनाबय पड़’त । मिसिर जी पासपोट बनाबय दड़िभंगा ऑफिस गेलैथ । ओतय एगो फारम भरबा लेल देलकन्हि । मिसिर जी फारम भ’रऽ बैसलाह ।
Applicant’s Name –
सुनील कुमार मिश्र, ग्राम – सिंघिया, जिला – मधुबनी
पता ठिकाना सब भरला क बाद एक ठाम छलै
Enter your PAN details –
मिसिर जी लिखलैथ – मगही पत्ती, चून कम, कथ डबल, बाबा 120, तुलसी 500, दिलबहार जाफरानी, दिलखूश किमाम, कतरा सुपारी, काला पत्ती आ कनेक चून हाथ मे ।
मिसिर जी गदगद छलाह- रौ बँहि, हवाई जहाज मे पानो दई छैक ।
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तहिना प्रकाश झा सेहो नव चुटकुला ‘डेन्जरोवाच’ केर शीर्षक सँ देनाय आरम्भ कयलनि अछि जेकर आजुक एपिसोड मे ई कहल गेल अछि –
डेंजरोवाच्-
दूर्वाक्षत काल एकटा पंडीजी मंत्र पढ़ै छेथिन आ बाँकि गोटे केवल मूँह पटपटबै छेथिन! कोनो उपलेन आ व्याह के विडियो देख लिय
हरिः हरः!!