शिक्षा जगत् मे राजनीति प्रवेश सँ विश्वविद्यालयक बदहाली: खिस्सा बीएनएमयू मधेपुराक

विशेष सम्पादकीय

जाहि मिथिला केँ जनकक समय सँ शिक्षा पेबाक केन्द्र मानल गेलैक अछि ओतय वर्तमान कतेक विपन्न छैक जे एक विश्वविद्यालय बनेबाक वास्ते सेहो लोक केँ ऐँड़ी-चोटी एक करय पड़लैक।

मिथिला राज्य निर्माणक बात आ बिहार राज्यक विभाजनक बात करिते कतेको बुझनुक लोक केँ अगिया-बेताल होइत देखल जा सकैत अछि, मुदा पता हेबाक चाही जे एकमात्र पहिल विश्वविद्यालय (मिथिला विश्वविद्यालय) केर निर्माणक खिस्सा बुझब तऽ पता चलि जायत जे निर्माणक प्रति कोना कूराजनीति कैल जाइछ।

मिथिला विश्वविद्यालय (वर्तमान नाम ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा एवं भुपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा) केर निर्माणक इतिहास:

मिथिला क्षेत्र मे विश्वविद्यालय निर्माण हेतु एक महान् विद्वान् परिकल्पक डा. अमरनाथ झा केर पहल पर स्वतंत्रता पूर्व आवाज उठल। हिनक समर्थन मे कतेको रास तात्कालीन विद्वान् शिक्षाविद् जेना डा. आर. सी. मजुमदार, डा. ए. एस. अटलेकर, डा. सुनीत कुमार चटर्जी आदि एहि क्षेत्र मे अलग विश्वविद्यालय केर माँग करनिहार मे सँ प्रमुख रूप सँ आगाँ अयलाह। एहि माँग केँ कतेको बेर राज्य विधायिका आ संसद मे सेहो उठायल गेल। २७ जनवरी, १९४७ – सरस्वती पूजाक दिन डा. अमरनाथ झा केर अध्यक्षता मे पंडित हरिनाथ मिश्र केँ महासचिव बनबैत दरभंगा आ लहेरियासराय केर परिष्कृत समाज एहि लेल समिति गठन केलनि। १९६८ मे UGC केर टीम दरभंगा आयल, ओ सब अपन सिफारिश मे विश्वविद्यालय खोलबाक मान्यता देलक। तखन राज्य सरकार एकटा समिति आ एहेन स्थापनाक संभावना पर अध्ययन करबाक लेल जिम्मेवारी प्रदान केलक। तथापि प्रगति शिथिल रहल आ फेर निरन्तर माँग केँ नजैर मे रखैत भारत सरकार द्वारा श्री टी. पी. सिंह, सचिव, शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय, श्री आर के छाबड़ा, सचिव, UGC आ श्री एन. डी. जे. राव, शिक्षा आयुक्त (बिहार) केर एक संयुक्त समितिक गठन केलक जे मिथिला विश्वविद्यालयक केर माँग पर प्रतिवेदन बनेबाक लेल निर्देश देलक। एहि समिति द्वारा ‘मेरिट’ केर आधार पर पृथक् आ स्वतंत्र विश्वविद्यालय खोलबाक सिफारिश भेल। प्रतिवेदन मे एहि क्षेत्र सामाजिक-आर्थिक अवस्थापर सेहो प्रकाश देल गेल। एवम् प्रकारेन १९७२ मे मिथिला विश्वविद्यालय केर स्थापना एक अध्यादेशक मार्फत कैल गेल। एहि अध्यादेश मे बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर आ भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर केर क्षेत्रक सीमा केँ दरभंगा आ कोसी प्रमंडल केँ अलग करैत मिथिला विश्वविद्यालयक निर्माण कैल गेल।

आगू बढी… पहिने तऽ हेब्बे नहि करय, आ आब एतेक मेहनत आ विद्वत् बहस उपरान्त भेबो कैल तऽ आब ओतय राजनीति पसारय लेल तात्कालीन बिहार सरकार कोनो कसेत बाकी नहि रखलक… एहि पर कहियो बाद मे विस्तार सँ प्रकाश देल जायत। संक्षेपमे, मिथिला प्रति कतहु न कतहु सरकारी विद्वेश भावना हर क्षेत्र मे शुरुवे सऽ रहल अछि। एहि क्षेत्रक इतिहास आ विद्वता सँ कियो बहुत जरैत अछि। काफी ईर्ष्या सेहो करैत अछि। आ जखन ओहि सब पर गौर सँ देखल जाइत अछि तऽ एना लगैत अछि जे मिथिलाक बिहार मे होयब कहियो सार्थक नहि होयत। नाम बदलबा सँ लैत एहि विश्वविद्यालय मे पदस्थापन, परीक्षा विभाग, पुस्तक, पुस्तकालय, महाविद्यालय अंगीकरण आदि कतेको सम्बन्धित कार्य मे असीमित राजनीतिक क्रियाकलाप सँ मिथिला विश्वविद्यालय बदनामी बेसी आ नाम न्युनतम कमेलक। एकर नाम ललित नारायण मिश्र केर नाम एहि विश्वविद्यालय मे जोड़बाक लेल सेहो अनेको कृत्य सब कैल गेल। जैड़ मे राजनीति केर असर पाछाँ काल १९९२ मे एकरा फेर सँ विभाजन करैत कोसी क्षेत्र लेल अलग विश्वविद्यालय केर निर्माण कैल गेल। ताहि समय एकमात्र राजनीतिक शक्ति जेकर बिहार मे शासन स्थापित होइते अनेको निर्णय एहि तरहक केलक जेकरा पर कतेको विवाद भविष्य धरि रहत, एकटा भुपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा केर निर्माण भेल।

भुपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय: जन्मकाल सँ राजनीतिक अखाड़ा

bnmuई स्पष्ट अछि जे मिथिला विश्वविद्यालय केर निर्माण मे दशकों खर्च भेल, मुदा मिथिला विश्वविद्यालय केँ तोड़िकय मधेपुरा मे दोसर विश्वविद्यालयक निर्माण शीघ्रहि कय देल गेल। एतय शुरुहे सँ मिथिला विश्वविद्यालयक तूलना मे दोब्बर-तेब्बर बेसी राजनीति, फर्जी डिग्रीक गोरखधंधा, मनमाफिक लबिस्ट केँ उच्च पद पर नियुक्ति आ आबद्ध महाविद्यालय सब मे सेहो आवश्यकता सँ बेसी राजनीति मात्र कैल गेल। शिक्षण व्यवस्था मे सुधारक आ परीक्षा सत्र आदि केँ नियमित बनेबाक ढकोसला नाटक टा कैल गेल। बिहारक राजनीति एहि क्षेत्रक शिक्षा व्यवस्था केँ पूर्ण मटियामेट करबाक कोनो कसैर बाकी नहि राखय चाहैत छल।

बीएनएमयू पर कोसी टाइम्स केर रिपोर्ट: मई १४, २०१५.

कोसी क्षेत्रक एकलौता बी० एन० मंडल विश्वविद्यालय केर अपन स्थापनाकाल फरवरी 1992 सँ विवादक संग यात्रा चलैत रहल अछि। कोसी इलाका केर कतेको छात्र-छात्रा केर उम्मीद और सपना केँ धूमिल कय ‘मंडल’ नाम केँ मलीन करयवला एहि विश्वविद्यालय केर अतीत एतय नाम लिखौनिहार छात्रसबकेँ आइयो कना रहल अछि। आब सिंडिकेट सदस्य सत्यजीत यादव केर शिकायत पर पटना सँ डीएसपी तारणी प्रसादक नेतृत्व मे निगरानी विभागक एक टीम मंडल विवि मे व्याप्त अनियमितता केर जांच करय ले पहुँचल अछि। अगर निगरानी टीम फाईल सबहक तह मे जाइत सही जांच करय तऽ घोटाला आ अनियमितताक बहुत पैघ सूची सोझाँ मे आओत।

बी एन मंडल विवि मे कैल्ह जखन पूर्वक घोटालाक जांच करयवला विजिलेंस केर टीम मधेपुरा पहुंचल तऽ विवि केर विभाग सब मे हड़कंप मचि गेल। विवि केर अधिकारी और कर्मचारी निगरानीक टीम सँ अपन आँखि चोरबैत नजैर पड़लाह। काफी देर तक मांगल जा रह फाइल तक विजिलेंस केर टीम केँ नहि भेट रहल छल। मंडल विवि केर कोनो भी अधिकारी एहि विषय मे किछो कहबाक लेल तैयार नहि छलाह। विजिलेंस केर टीमक सामने तक आबय मे ओ सब आनाकानी कय रहल छलाह और एलाक बाद पूछल गेल सवाल केर जबाब मे दोसरक कान्ह पर जिम्मेबारी-जबाबदेही फेकि अपने अलग होएबाक देखाबा कय रहल छलाह।

बता दी जे चारि सदस्यीय विजिलेंस केर टीम मे डीएसपी तारणी प्रसाद, इन्स्पेक्टर जितेन्द्र कुमार सिंह, सब-इन्स्पेक्टर प्रवीण कुमार, कांस्टेबल मनोज कुमार शामिल छथि। भेटल जानकारीक अनुसार विजिलेंस टीम पूर्व के कुलपति आर. के. चौधरी तथा आर. पी. श्रीवास्तव केर कार्यकाल मे  भेल वित्तीय अनियमितता केर आरोप सब जांच करत. एहि अनियमितता मे पूर्व वीसी आर. पी. श्रीवास्तव केर कार्यकाल वर्ष 2010 मे दिल्ली सँ कीनल गेल एक करोड़ एक लाख केर पुस्तक समेत विश्वविद्यालय द्वारा खरीद कैल गेल कुल करीब दस करोड़ रूपया केर पुस्तक शामिल अछि। एकर अलावे हजारीबाग केर जयमंगल इंटरप्राइजेज सँ दुइ करोड़ केर प्रयोगशाला उपकरणक खरीद, वर्ष 2010 मे ही बी.ए. पार्ट वन केर दरभंगा गेल उतरपुस्तिकाक जांच वास्ते 67 लाख रूपया केर भुगतान, पूर्व वीसी आर. पी. श्रीवास्तव के कार्यकालक दौरान वित्तीय रोकक बावजूद ऑडिटोरियमक निर्माणक लेल बैक डेट मे काटल गेल 61 लाख रूपयाक चेक आदि सँ सम्बंधित करीब दर्जन भैर आरोप सबहक जांच करत।

आब देखबाक अछि जे बीएन मंडल विवि केर तलघट मे बैसल अनियमितताक तह तक निगरानीक ई टीम आँखि दौड़ा पबैत अछि या फेर इहो टीम पहिले आयल अनेको निगरानीक टीम सब जेकाँ देखाबटीक जाँच सतहे पर सँ घोटाला और अनियमितताक किछु छिटफुट सबूत केँ समेटि कय वापस राजधानी पटना लौटि जाइत अछि….!

उपरोक्त जाँच पर विद्यार्थी नेताक प्रतिक्रिया:

बीएनएमयू मे भेल जाँच पर हमर प्रतिक्रया: मुरारी कुमार झा ‘मयंक’, जिला संयोजक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्

mayank abvpबहुत खुश तऽ नहि छी, तैयो उम्मीद जागल जे बीएन मंडल विवि प्रशासन अपना आपकेँ सुधारबाक लेल आगाँ तत्पर देखायत। विवि हमेशा सँ छात्र केँ ठकबाक अलावा किछु नहि केलक अछि। कि पता ई जाँच सेहो आन जाँच जेकाँ मैनेज कय लेल जाय। आइ विश्वविद्यालय मे पढाई-लिखाई तऽ होइते नहि अछि। सिर्फ राजनीतिक दल केर प्रतिनिधि सबहक अड्डा बनि गेल अछि। विश्वविद्यालय एकहु टा मानक केँ पुरा करबा मे सक्षम नहि अछि। लेकिन जांचकर्ता केँ नहि तऽ पहिले कोनो कमी देखेलनि, नहिये एहि बेर। महाविद्यालय मे जखन पढाई- लिखाई नहि होइत छैक तऽ दोसर काज कियैक? छात्र केँ लूटिकय ओकरा बर्बाद करबाक ई एकटा साजिश थिकैक नितीश सरकारक जाहिमे विवि सँ लैत सरकारी पदाधिकारी तक शामिल अछि। जाँच तऽ एकटा देखावा थिकैक जे विवि कतहु राजनीतिक मुद्दा नहि बनि जाय।

निष्कर्ष:

पाठक वर्ग स्थापनाक इतिहास सँ वर्तमान अनियमितताक संपूर्ण रिपोर्ट पढलाक बाद स्वत: निर्णय कय लेब जे बिहार एहि क्षेत्रक संग केहेन न्याय चाहैत अछि। केकर पौ-बारह भऽ रहलैक अछि।