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मैथिली-मिथिला, संस्था आ समन्वय, केन्द्रीय नेतृत्व सँ नवनिर्माण – प्रवीण विचार

अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल संस्था सम्मेलन पटना मे प्रवीण
 
आइ सँ चेतना समिति पटनाक तत्त्वावधान मे आरम्भ होयत ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल संस्था सम्मेलन’ – काल्हि धरि चलत। ४ गोट महत्वपूर्ण विषय पर विज्ञ वक्ता द्वारा वार्तारम्भ करैत सब कियो मंथन करता जे विश्वक एहि प्राचीन भाषा, संस्कृति आ समाजक अवस्था मे कोना बेहतरी आनल जा सकैछ। ओना हमरा हिसाबे मंथन पिछला एक दशक सँ खूब जोर-शोर सँ बढि चुकल अछि, काफी रास योजना निर्माण सेहो भेल अछि, मुदा क्रियान्वयन धरि पहुँचय से उदाहरण बहुत कम भेटैत अछि।
 
बात हमरा लोकनि करैत छी ‘मिथिला’ केर – मिथिला एक पैघ भूगोल थिकैक। काज हमरा लोकनि गामहु स्तर पर नहि कय पबैत छी। बात आ काज मे फर्क केर कारण स्थिति उत्साहजनक नहि अछि। आर एहि तरहें हम सब बेर-बेर विमर्श लेल अलग-अलग परिकल्पना आ सूत्र प्रयोग करैत आपस मे बैसिकय तय करबाक लेल सोच बनबैत छी। क्रान्ति आरम्भ होयबाक ई प्रथम सकारात्मक चरित्र थिक। लेकिन आब एक दशक केर अनुभव तऽ हमहुँ समेटलहुँ – क्रियान्वयन केर अन्य अवयव केना जुटत ताहि दिशा मे काज बढेबाक आवश्यकता अछि।
 
‘हमर मिथिला – हमर गाम’ वा ‘अपन मिथिला – अपन इलाका’ – दू मे सँ जे कहू – एहि तर्ज पर जँ ‘मिथिला’ वास्ते हम सब कार्य करबाक विचार करी तऽ काज जल्दी होइत हम देखलियैक। दहेज मुक्त मिथिला – माँगरूपी दहेज केर प्रतिकार लेल स्वयंसंकल्प हेतु जनजागरण – एहि अभियान केँ हमरा लोकनि २०११ मे आरम्भ कयलहुँ आर सूत्र १-१-१ पर काज आरम्भ करैत आगू बढलहुँ। १ आदमी – १ सप्ताह – १ काज! जे व्यक्ति पहिने स्वयं संकल्प लय लेलनि जे हमरा दहेज प्रथा सँ दूर हेबाक अछि, ओ स्वयं स्वच्छ भेलाह आर आब ओ संकल्पित छथि जे दहेजरूपी गन्दगी मे फँसल कोनो परिवार, व्यक्ति, समुदाय तक सँ हम नहि सटब; आर स्वेच्छा सँ हमरा जे बेटी-बेटा केर विवाह मे खर्च करबाक सामर्थ्य रहत ताहि अनुरूपें मात्र कुटमैती करब, तेहेन सज्जन परिवार जँ भेटत तखनहि बेटा वा बेटी केर विवाह करब… यैह सब गोटेक मूल अवधारणा छल। शुरुआती दौड़ मे सोशल मीडिया सँ मूल धरातल धरि ई काफी लोकप्रिय भेल आर बाद मे संस्थाक समस्या जे होइत छैक… जे हम अध्यक्ष त हम अध्यक्ष, हमर जुति त हमर जुति, एहि हम-हम केर चक्कर मे ई संस्था, अभियान आ आन्दोलनक समग्रता सबटा गेल चुल्हीक आगि मे। खरखाँही टा लूटय लेल रहि गेल अछि ‘नाम’। १-१-१ सिर्फ रिक्त सूत्र सिद्ध भेल। कोनो व्यक्ति अपन धर्म केर निर्वहन मे ईमानदार छथि से देखय लेल जीह ललचायले रहि गेल। ई एकटा उदाहरण देलहुँ।
 
सिर्फ कोनो व्यक्ति केर दोष देला सँ सेहो सही नहि होयत, साधन जुटायब मुख्य समस्या बुझाइत अछि। मिथिलाक मूल जमीन पर साधनक उचित उपयोग केला सँ समाज मे सार्थक प्रभाव पड़ैत देखलियैक। तखन, साधन जुटेबाक स्रोत कि होयत? सब सँ पैघ सवाल यैह छैक। स्वैच्छिक कोष मे अपन योगदान देनिहार एक सँ दू बेर किछु देता आ तेकरा लेल दस बेर जयकारा लागय से अपेक्षा रखता – यथार्थतः हमर मिथिला समाजक सक्षम लोकक वृत्ति सामाजिक कार्य – दस केर हितक कार्य मे योगदान देलाक बाद समाज द्वारा नाम आ योगदानक देखाबटी प्रशंसा आ गुणगान, चरणवन्दना आदिक अपेक्षा बेसी देखल। सेहो करैत जँ चालाकी सँ समाजक लेल काज करब तखन आपस मे पेंच-पाँच आ छिटकीबाजी आ उपद्रवी मानसिकताक लोक द्वारा अनेकानेक दुष्प्रचार झेलू। आर, थाकिकय जखन काज करब छोड़ि देब तखन ई उल्हन फेर वैह दुष्प्रचार करयवला देता जे मिथिला समाजक लोक मे कुब्बत नहि, काज करबाक आ संग देबाक सोच नहि, आदि-आदि। यैह सब द्वंद्व मे रहैत काज करनिहार कोहुना-कोहुना काज निकालैत समाज केँ एकटा सही दिशा-दशा निर्धारित करैत मिथिला समाज आ समुदाय केँ विश्वक अन्य सभ्यता ओ पहिचानक समानान्तर आगू बढा रहल अछि। ई समग्र स्थिति थिक मैथिली-मिथिलाक।
 
भाषा-साहित्यक स्थिति मे मानकीकरण, शुद्ध-अशुद्ध आ संस्कृतहि जेकाँ धातु, शब्दरूपक संग-संग शब्दकोश आ व्याकरणक विभिन्न नियम-उपनियम मे पाण्डित्यक प्रयोग कय केँ मैथिली सेहो ओतबे आमजन लेल दुरूह भाषा बनिकय आइ विद्यालय सँ दूर भऽ गेल अछि। कतय एक दिशि प्राथमिक शिक्षाक माध्यम मैथिली आ शत-प्रतिशत साक्षरताक लक्ष्य पर बात चलैत अछि, दोसर दिश वास्तविकता ई जे बहुभाषिक शिक्षा प्रणाली मे मातृभाषा केर पढाई करबाक कोनो लौल तक नहि देखैत छी। महाविद्यालय मे मैथिली सम्मानजनक अवस्था मे त अछि, मुदा नौकरीक लोभ टा एकरा दिशानिर्देशन करैत अछि, यानि संख्या साक्षरो मे अत्यल्प मात्र मैथिली विषय सँ रोजगारक सपना देखि एहि विषय केर अध्ययन लेल सोच विकसित करैत देखाइछ। एम्हर साहित्य लेखन तैयो विश्व केर कोनो आन भाषा सँ मैथिली मे कम नहि, धरि पढैत के अछि, बाजार मे बिकाइत कतेक पोथी अछि, लोक केँ केहेन साहित्यक पोथीक मांग छैक… एहि सब सँ नितान्त दूर सिर्फ अपन मोनक मान रखबाक लेल लेखन, प्रकाशन आ मुफ्त वितरण ३०० सँ १०००-२००० प्रति केर ततबा पाठक धरि भऽ पबैत अछि। ई थिक मैथिली भाषा-साहित्यक वर्तमान। समाधान आब संस्था सँ नहि राज्यहु सँ संभव होयत कि नहि, हम दुविधा मे छी। तथापि, राज्य संग संस्था केर सहकार्य करैत पठन-संस्कृति आ लेखन संस्कार मे परिवर्धित सोच शुरू कयल जा सकैत अछि, हम एतबे टा कहि सकैत छी। भाषा केँ सहज बनेबाक आ सब कियो पढि-लिखि सकय, व्याकरण सहज होइ, पिंगलपन्थी एकदम नहि होइ आर साहित्यक समीक्षक लोकनि झुठौं के प्रमाणपत्र – तोहर नीक, ओकर खराब, तूँ शुद्ध, ओ अशुद्ध, आदि विभेदक भुमड़ी मे मैथिली केँ नहि फँसबथि। ई जहिना बहुल्य आमजनक भाषा थिक, तहिना एकर लेखन, पठन आ वाचन आदि केँ प्रवर्धन कयल जेबाक चाही।
 
हाल मैथिली लेखक संघ पटना द्वारा प्रारम्भ कयल गेल ‘मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल’ आ एकर कार्य प्रारूप अत्यन्त प्रभावकारी भूमिका निर्वाह करय लागल अछि। २०१४ सँ आरम्भ ई मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल भाषा-साहित्य संग-संग कला, फिल्म, रंगकर्म, लोकसंस्कृति, लोकपरम्परा आदि अनेकों महत्वपूर्ण विषय पर भारतक राजधानी दिल्ली धरि मैथिलीक वर्चस्व केँ स्थापित कय चुकल अछि। एहि तर्ज पर नेपालक जनकपुर मे सेहो जनकपुर साहित्य-कला तथा नाटक महोत्सव २०१६ सँ निरन्तरता मे अछि। तहिना मलंगिया आर्ट फाउन्डेशन द्वारा मलंगिया महोत्सव हमरा लोकनिक एक व्यक्तिगत सर्जक केर नाम पर आयोजित रहितो समग्र भाषा-संस्कृति-समाज-अर्थ-राजनीति केर पृष्ठपोषक रहबाक अकाट्य काज सब भारतक राजधानी दिल्ली मे देखौलक। सहरसाक संस्कृति मिथिला द्वारा सेहो २०१८ केर अन्त-अन्त धरि ३-दिवसीय लिटरेचर तथा फिल्म फेस्टिवल केर आयोजन आलोचक केर मुंह बन्द केलक जे मैथिलीक क्षेत्र संकुचित भऽ गेल अछि। दरभंगा आ बेगूसराय मे सम्पन्न २ गोट कथा-गोष्ठी पुरनका ‘सगर राति दीप जरय’ समान उच्च कोटिक साहित्यिक पृष्ठपोषण केँ पुनर्स्थापित करैत देखा रहल अछि। ‘मैथिली मचान’ सँ प्रख्यात एक गोट उपक्रम विश्व पुस्तक मेला दिल्ली मे विगत ३ वर्ष सँ आ भृकुटि मंडप काठमान्डू सँ लैत मधुबनीक राजनगर धरि मैथिलीक प्रतिष्ठा केँ बढा रहल अछि। मैथिली साहित्य सम्मेलन दिल्ली अपन स्थापनाक पहिल वर्ष २०१५ सँ निरन्तर २ सँ ३ महत्वपूर्ण कार्यक्रम सालाना करैत आबि रहल अछि। एतबा नहि, २-२ गोट लेखन पुरस्कार सेहो बँटैत लेखन संस्कृति केँ बढावा देबाक महत्वपूर्ण कार्य कय रहल अछि। स्वयं चेतना समिति द्वारा पटना सँ लैत मिथिलाक विभिन्न क्षेत्र मे एक सँ बढिकय एक महत्वपूर्ण आयोजन कयल जेबाक उदाहरण सोझाँ देखि रहल छी। वाचस्पति-भामती प्रतिमा अनावरण समिति ठाढी द्वारा आरम्भ वाचस्पति स्मृति उत्सव आब राजकीय उत्सव धरिक यात्रा पूरा कय लेलक। धर्मपुर उजान हो कि बिट्ठो सरिसवपाही – झंझारपुर क्षेत्र हो कि मधुबनीक गाम-गाम, दरभंगाक कुर्सों हो कि अन्य गाम – मैथिली भाषाक कार्यक्रम मे लगातार उल्लेखनीय वृद्धि होमय लागल अछि। आर ई सब बात सोशल मीडिया पर ‘मैथिली जिन्दाबाद’ केर प्रखर रूप केर दर्शन करबैत अछि।
 
मिथिला पुनः निर्माण केर क्रम मे अछि। तखन त कतेको प्रयास निरपेक्ष भाव सँ मैथिली केँ उच्च सँ उच्चतर धरि पहुँचेबाक लेल कयल जाइछ, कतेको निजी चमक-दमक केँ प्रदर्शन करबाक लेल सेहो कयल जाइछ, आलोचना-प्रति-आलोचनाक संग हमरा लोकनि निरन्तर बढि रहल छी। एक गोट नवारम्भ प्रकाशन साल भरि मे १०० सँ ऊपर पोथीक प्रकाशन कय ई सिद्ध कय रहल अछि जे अन्य-अन्य प्रकाशनक प्रकाशन सेहो जोड़ल जाय तऽ मैथिलीक स्थिति विश्व केर कोनो समृद्ध भाषा सँ कोनो हिसाबे कमजोर नहि। तैयो, उचित रूप सँ संगठित नहि रहबाक कारणे हमरा लोकनि नैराश्यता सँ ऊबार नहि पाबि रहल छी। चिन्ता घेरने अछि। कहीं हमर भाषा मरि नहि जाय…. ई डर अछि। डर नीक अछि। काज ताहि लेल किछु न किछु करैत छी, आर छिटफूट सही, काज बहुते होइत अछि। बहुत स्वार्थी आ छद्मभेषी सब एहि गंगा मे स्नान कय केँ देशक कय गोट पुर्वाञ्चली-पश्चिमाञ्चली केँ लोभबैत अपन स्वार्थक गोटी सेहो लाल करय लेल आली-हौसे करैत देखाइत छथि, चलू, अपने धियापुता थिकाह, हुनको कल्याण होइन्ह… धरि मैथिली केँ ओ लोकनि बन्हकी नहि राखि देथि से जागल रहय जायब सब कियो। मैथिली भोजपुरी अकादमी केँ जतेक धन्यवाद देबैक ओ कम होयत, कारण विगत किछुए समय मे हमर प्रिय निरज पाठक जी नेतृत्व लैत केजड़ीवाल सरकार सँ मैथिली लेल बहुत काज करौलनि, हुनक संस्थाक उद्देश्य अनुरूप भोजपुरी संग सहोदरी सेहो करौलनि। लगातार कय रहला अछि। महिला शक्ति सेहो जागि चुकल छथि। सखी बहिनपा नाम सँ एक गोट मुहिम आरती झा (दीदी) द्वारा नेपाल सँ शुरू होइछ आर विश्वक कोण-कोण मे रहनिहारि मिथिलानी सब ‘कि सखी त कि बहिन’ करैत ‘मैथिली-मिथिला’ केर झंडा फहराबय लालकिला पर पहुँचि जाइत छथि। बड़ा बेजोड़ माहौल अछि। उत्सवधर्मी मैथिल केँ उत्सवे सँ ज्ञान प्राप्तिक ओ पुरान ऋषि-मुनि परम्परा फेरो जाग्रत अवस्था मे देखाय लागल अछि।
 
संचारकर्म केर महत्व किनको सँ नुकायल नहि अछि। संचार बिना सब शुन्य छैक। मैथिली केर संचारकर्म सेहो लगभग १०० वर्ष सँ ऊपर इतिहास केर कय गोट शोध-पत्रिका सब प्रकाशित कय अपन दम-खम देखा चुकल अछि। लेकिन, ई जनतब जँ आम जनमानस सँ पूछब त ओ सब गोलगपट्ट – शुन्यसपट्ट, यानि कतहु किछु नहि जनबाक-बुझबाक बुझाइ सुनौता। तखन शोधपत्रिका आ इतिहासक लेखा-जोखा कोन स्तरक भेल जँ जनोपयोगी नहि सिद्ध भऽ सकल से बात स्वयं सोचय योग्य अछि। आर, एहि ठाम सेहो कोनो व्यक्तिगत वा संस्थागत प्रयास सँ समाधान आओत सेहो बात नहि अछि। एहि निराशा केँ राज्य द्वारा मात्र समाधान कयल जा सकैत अछि। सब सँ पहिने सरकारी विज्ञापनक भाषा मे मैथिली केँ बढावा देब परमावश्यक अछि। एहि दिशा मे चेतना समिति द्वारा विगत मे बिहार सरकार केर समक्ष कय बेर अनुरोध कयल जेबाक जनतब पूर्व मे भेटल छल। नेपाल मे ई स्थिति भारत सँ नीक अछि। नेपाल मे सरकारी विज्ञापन, एफएम, रेडियो, टेलिविजन, प्रिन्ट – सब मीडिया मे मैथिली केँ नीक पहुँच देखल जाइत अछि। प्राइवेट विज्ञापन सेहो मैथिली भाषा मे भेटैत अछि। मैथिली केर कार्यक्रम केँ स्पौन्सर भेटय मे आइ कतहु तकलीफ नहि देखल जाइछ। तखन स्थिति मे आरो सुधार आ प्रगतिक आकांक्षा सेहो बनल अछि। एखन आनलाईन वेब न्युजपोर्टल मार्फत समाचार सब बँटबाक प्रयास सेहो कतेको लोक करैत देखा रहला अछि। मिथिमीडिया, मिथिला मिरर, मिथिला प्राइम, मिथिला टाइम्स, मैथिली दर्पण, मिथिला दर्शन, अपन मिथिला, मैथिली जिन्दाबाद… कतेको रास ब्रान्ड चमकि रहल अछि। ई बढिते जायत एखन। बढबाको चाही। एखन त मात्र ५% लोक लेल मीडिया काजक सिद्ध भऽ रहल अछि, ९५% काज बाकी अछि।
 
जखन कि भारत मे मैथिली संविधानक अष्टम अनुसूची मे सूचीकृत भाषा थिक, तथापि सरकारक कोष सँ भाषावार अरबों-खरबों रुपयाक विज्ञापन देल जेबाक स्थान पर मैथिली मे विज्ञापन पर लाखो टका कतहु खर्च भेल होयत, ई नहि देखय मे अबैत अछि। ई हमरा लोकनिक वैह अवस्था केँ देखबैत अछि जेना डा. लक्ष्मण झा अपन कोनो पोथी मे लिखने छथि जे वी आर रोटन पिपुल…. हम सब सड़ल लोक छी जे सरकार द्वारा कयल गेल सब बात केँ जहिनाक तहिना स्वीकार कय लैत छी… विरोध करबाक कुब्बत अछिये नहि। ताहि सँ भारतक स्वतंत्रताक तुरन्त बाद पंजाब सीमा सँ लखनऊ धरि ७ टा सैन्य कमान्ड द्वारा देश अखन्डताक रक्षा भेल, जखन कि लखनऊ सँ इम्फाल धरि सिर्फ १ या २ गोट कमान्ड द्वारा सब किछु सामान्य राखल जा सकल। कहबाक तात्पर्य २२ भाषा मे मैथिली केर स्थान रहितो स्वयं मैथिलीभाषी जनमानस अपन क्षेत्र मे अन्य भाषाक प्रचार सँ सन्तुष्ट होयबाक कारण एहि भाषा केँ विज्ञापनहु लेल कोनो पाय नहि आबन्टित कयल जाइत अछि। तेँ, आवश्यकता ई अछि जे ‘चेतना समिति पटना’ राज्यक राजधानी मे, ‘अखिल भारतीय मैथिल संघ दिल्ली’ भारतक राजधानी मे, तथा ‘मैथिल महासंघ काठमान्डू’ नेपालक राजधानी मे सम्बन्धित सरकार संग मैथिली भाषा केँ जनप्रिय बनेबाक लेल कम सँ कम सरकारी विज्ञापन एहि भाषा मे करय लेल उचित दबाव बनाबय, एहि लेल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप केर तर्ज पर गाम-गाम केर लोक संग सहकार्य करैत अपनहि कार्यसंगठन निर्माण करैत जनसरोकारक विभिन्न विषय पर अपन भाषा मे काज करेबाक माहौल निर्माण करय।
 
एखन मैथिली फिल्म – म्युजिक वीडियो केर निर्माण एकटा नीक ट्रेन्ड देखा रहल अछि। गाम-गाम आ ठाम-ठाम केर बच्चा सब अपन भाषा केर गीत लिखैत अछि, गबैत अछि, अभिनय करैत अछि, फिल्म बनबैत अछि आ यूट्युब एकाउन्ट बनाकय हजारों-हजार केर संख्या मे मैथिली म्युजिक चैनल चलबैत अछि, पाय सेहो कमाइत अछि। बड़का फिल्म भले चित्रालय सभ मे रिलीज नहि भेलैक कहियो, वा भेबो केलैक त कम चललैक, लेकिन आइ विश्व भरि मे पसरल मैथिलीभाषी केँ प्रवासक्षेत्र मे जखन भाषाक कसक सतबैत छन्हि तखन ओ लोकनि यैह यूट्युब चैनल वा अन्य इन्टरनेट साइट सभक जरिये अपन भाषाक फिल्म, गीत, संगीत आदि सुनैत छथि। आइ जरूरत अछि जे हरेक संस्था अपन एकटा वेबसाइट राखय, सभक यूट्युब एकाउन्ट हो, सभक गतिविधिक समाचार (बुलेटिन) प्रकाशित होयबाक संग-संग संकलित भाषा-साहित्यक विभिन्न प्रकाशन आ लेखन सामग्री सभक संग आयोजित कार्यक्रमक वीडियो आ बात-विचार सब इन्टरनेट पर अवश्य राखथि। सब संस्था सामाजिक संजाल (सोशल मीडिया) केर भरपूर उपयोग करथि। एहि सब सँ बहुत नीक माहौल बनि रहल अछि। पिछला एक दशक केर क्रान्ति आ प्रगति विवरण सोशल मीडिया केर प्रभाव थिक ई कहय मे कोनो अतिश्योक्ति नहि होयत। एहि सब तरहक कार्य केँ प्रकाश मे अनलाक बाद मैथिल संस्थाक संचालनाधिकारी-पदाधिकारी लोकनिक बीच जे अनावश्यक अहं केर टकराव होइत अछि आर गुटबाजी चरम पर पहुँचि अन्ततोगत्वा संस्था चकनाचुर भऽ जाइत अछि, सेहो सब घटि जायत। सभक ध्यान काज पर रहतनि। काँकौड़पन्थी घटत। तखन सोशल मीडिया पर सेहो उकटा-पैंची आ उल्हन-उपराग होइत छैक। अपन दादागिरी लोक एतहु देखबैत अछि। से कने-मने चलिते रहत। सत्यमेव जयते – सत्य पर चलनिहार केँ एहि सब सँ कोनो तकलीफ नहि होइत छैक। ओ सही मार्ग पर बढैत रहैत अछि।
 
मैथिल समन्वय समिति द्वारा वैवाहिक परिचय सभाक आयोजन मुम्बई, दिल्ली आ मधुबनी मे करायल गेल अछि। भारतक आर्थिक राजधानी मुम्बई मे समन्वय समिति सेहो संस्था सभ केँ छिटफूट काज देखिकय समन्वय करबाक रणनीति सँ काज आरम्भ केलक। वैवाहिक परिचय सभाक आवश्यकता बहुत पैघ छैक। तखन सफलता-असफलता आ राजनीतिक उपयोगिता-अनुपयोगिता केकर कतेक छैक ताहि पर हम किछु एहि लेख मे नहि लिखय चाहब। कारण हम जाहि तरहक सोच आ समझ सँ घेरायल छी ताहि मे हमर विचार सदैव पूर्वाग्रही होयबाक संभावना मे रहैत अछि। कतेको केँ नीक लगैत छन्हि, कतेको रुसि रहैत छथि। रुसनहार ओना हमरा नीक लगैत अछि, लेकिन एहि लेखक उद्देश्य फराक होयबाक कारणे बस कने छुआ देल। निरपेक्षता आ निःस्वार्थ भाव सँ काज कयनिहारक आवश्यकता पर सदिखन जोर दैत रहल छी। एक गोट संस्था छात्र आ क्षेत्र लेल बनल – नाम थिकैक मिथिला स्टुडेन्ट यूनियन – स्थापनाक बुनियादी ईंट छलैक मिथिला राज्य निर्माण सेना केँ तोड़ि ओकर गोटेक ईंट द्वारा छात्रक नाम पर राजनीति सँ मूलधारक राजनीति आरम्भ करबाक, आर से बड़ा सफलतापूर्वक आरम्भ भेल। कार्यशैली प्रभावित करयवला भेलैक। तखन एकर नीतिकार आ रणनीतिकार एकरा राजनीतिक निरपेक्षताक चोला दैतो बेर-बेर कोनो मुद्दा पर पूर्व मे कयल गेल कार्य कयनिहार केँ बिना कोनो सलाह-मशवरा कएने सेना सब केँ हुलकाकय काज करबा लैत छथि आर बाद मे दोसर पर दोष मढैत छथिन, ताहि सभक कारण एकर स्वीकार्यता एखनहुँ सवाले मे अछि। लेकिन आसन्न सम्मेलन एहि दिशा मे सेहो सहकार्य करत आ समुचित नेतृत्व, सलाह, सुझाव आ पटना-दिल्ली मे उचित प्रतिनिधित्व दैत एकरा आर औचित्यपूर्ण आ महत्वपूर्ण बना सकैत अछि, ई कहब जरूरी अछि।
 
एखन मिथिलाक आर्थिक पृष्ठपोषण सब सँ बेसी जरूरी अछि। मिथिला कोष केर स्थापना आ रेवेन्यु जेनरेशन लेल सहकारी संस्थान केर तर्ज पर काज केँ बढायब समयक मांग अछि। पूर्वहु मे गोटेक आधेक सहकारिता प्रयास भेल अछि, लेकिन एहेन कोनो प्रयास समग्र मिथिला लेल प्रभावी हो तेकर संख्या कम आ निजी अथवा कोनो निहित क्षेत्र मे मात्र लोकप्रियता हासिल करयवला प्रयास छिटफूट भेल देखाइत अछि। मिथिला कोष मे जनही १ टका केर योगदान सँ करोड़ों मे पूँजी निर्माण संभव अछि। मिथिला कोष अक्षय रहय, ताहि लेल एहि कोष केर व्यवस्थापन आ दोहन उचित उद्यमशीलता केँ बढावा देबाक दिशा मे हो। यथा, मिथिला कोष द्वारा ऋण उपलब्ध करबैत पर्यटन उद्यमी केँ आगू बढेबाक काज कयल जाय। मिथिला पर्यटन सर्किट यानि नेपाल आ भारत केर मिथिला क्षेत्र मे अवस्थित धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक, शैक्षणिक, आदि महत्वपूर्ण स्थल पर भ्रमण करेबाक लेल भारत, नेपाल संग विश्व केर अन्य-अन्य देश मे आनलाईन बुकिंग करबैत पर्यटन उद्यमी केँ बढावा देबाक काज वर्तमान वैश्विक परिवेश मे सुलभ उद्यम बुझाइत अछि। सब कियो मिथिलाक ऐतिहासिकता सँ प्रभावित अछि, कनेक प्रोमोशनल काज केला सँ अपेक्षित हजारों-हजार लोक मिथिला भ्रमण पर औता। हुनका लोकनि केँ दूर-दूर केर क्षेत्र सँ मिथिला मे प्रवेश भेलाक बाद घुमनाय, खान-पीन, रहनाय आ स्थल सभक बारे मे विभिन्न भाषा मे लिखल रूप मे, बाजिकय, वा फिल्म केर जरिया सँ बतेनाय – ई सब काज करबाक बहुत रास काज भेनाय एतय बाकी अछि। आर, आजुक पीढी (मानव समुदाय) केँ विभिन्न प्राचीन सभ्यता सँ यैह सब चाही। मिथिला ताहि मे सर्वोच्च स्थान रखैत अछि। मात्र हम सब अपना-आप केँ एहि तरहक समारोह कय केँ ६ मे सँ ४ शास्त्र हमहीं सब लिखलहुँ कहिकय पीठ ठोकि घर बैसि गेला सँ कि भेटत, बरु ई बात संसार केँ कही। लोक सब एतय औता त हमरा सभक मिथिलाक विभिन्न कला, संस्कार आ व्यवहार केर विस्तार सेहो होयत। एहि सँ लाखों लोक केँ रोजगार भेटत। पूर्वाधार केर विकास होयत। हर गाम मे पर्यटकीय पूर्वाधार बनेबाक लेल स्वतः हजारों लगानीकर्ता लगानी करता। वर्तमान उदासीन माहौल मे क्रान्तिकारी विकास स्वस्फूर्त शुरू होयत। पलायन कयल लोक सब सेहो वापस अपन विकसित भूमि मिथिला मे वापसी करता। एक मिथिला कोष मे एतेक रास परिवर्तनक संग-संग हरेक संभाव्य क्षेत्र मे अलग-अलग योजना अनुसार काज करबाक अवसर भेटत। ई होयत काज।
 
तहिना सहकारिता संस्कृति केँ बढावा देला सँ छोट-छोट स्तर पर मासिक वा वार्षिक पूँजी निवेश कय समूह मे पूँजी निर्माण करैत अनेकानेक कार्य एतय संभव अछि। जलकृषि, फलकृषि, अनाज, सब्जी, पशुपालन, पशु आहार, आदि अनेकों क्षेत्र मे पूँजी निवेशक बड पैघ आवश्यकता एतय स्पष्ट देखाइत अछि। आर ई सब क्षेत्र मे पूँजी निवेश केला सँ कोनो जोखिम नहि, कारण ई सब अदौकाल सँ एहि ठामक आर्थिक अवस्था केँ आत्मनिर्भरता प्रदान केलक से प्रत्यक्ष देखाइत अछि। दूध, दही, मिठाई, फल, नीक-नीक पकवान, तरुआ-बघरुआ आ छप्पन भोग केर प्रचलन जतेक मिथिला मे देखैत छी, ततेक संसारक कोनो आन सभ्यता मे नहि भेटैछ। तखन आब एकरा औद्योगीकरण आ व्यवसायीकरण करबाक काज बाकी अछि। वर्तमान राज्य केर उदासीन रवैया सँ – समाज केँ जाति-पाति केर नाम पर विखंडित कय देला सँ – क्षेत्रक आर्थिक अवधारणा केँ ध्वस्त कय देला सँ – आरो विभिन्न नकारात्मक तथा अथबल क्रियाकलाप, सामाजिक आडम्बर आ ओकादि सँ फाजिल पैंचो-कर्जा लय केँ झूठक शान बघारबाक गलत नीति अवलम्बन सँ आइ मिथिला समाज दहोंदिश प्रवास करैत अपन जीविकोपार्जन आ स्वाभिमान रक्षा लेल बाध्य अछि। तेहेन अवस्था मे सहकारिता संस्थान आ निजी बैंकिंग प्रणाली केर विकास सँ एतुका कायापलट संभव होयत। सिर्फ दोसरक मुंह तकला सँ ‘राम राम आलसी पुकारा’ वाली कहाबत सिद्ध होयत, ताहि हेतु आब छोट-छोट काज, छोट-छोट पूँजी-निवेश, एहि तरहें आगू बढब आवश्यक अछि।
 
आब एकटा सब सँ महत्वपूर्ण सवाल अबैत छैक जे ई सब करबाक लेल प्रथम नेतृत्व के करय? के करत? ई सब सँ महत्वपूर्ण सवाल अछि जेकर जबाब तकबाक लेल वर्तमान सम्मेलन हमरा हिसाबे अत्यन्त उपयोगी थिक। हमरा हिसाब सँ मैथिल केर बहुत कम संस्था मे आत्मनिर्भरता छैक। जे कियो आत्मनिर्भर संस्था अछि, ओकरा नेतृत्व देल जाय। आत्मनिर्भर कहबाक मतलब ई भेल जे सिर्फ दोसर केर मुंह ताकिकय कोनो काज करबाक सामर्थ्य अपना मे देखब तेहेन नहि, बल्कि अपना पास एतेक सोच आ सामर्थ्य अछि जाहिक बदौलत उपरोक्त कार्य केँ अपना ढंग सँ निर्वाह करब। चाहे मिथिला कोष हो, चाहे मैथिल सहकारी संस्था, किंवा एहने कोनो अन्य परियोजना जे स्वयं विकसित कयलहुँ वा करब आ ताहि अनुरूपे आगू बढब – एहि लेल जे संस्था सब जाहि क्षेत्र लेल सक्षम छी से नेतृत्व करी। जिम्मेदारीपूर्वक नेतृत्व करी। हमरा नजरि मे ३ गोट एहेन संस्था हम देखि रहल छी जे छाता संगठन जेकाँ काज कय सकैत अछि। पूर्वहु मे कहल, फेर कहि रहल छी – बिहार केर राजधानी पटनाक चेतना समिति, भारतक राष्ट्रीय राजधानीक अखिल भारतीय मिथिला संघ तथा नेपालक राजधानीक मैथिल महासंघ, ई तीनूक अतिरिक्त नेपालक प्रदेश २ केर राजधानी जनकपुर केर मैथिली विकास कोष सेहो देखि रहल छी जे अत्यन्त प्रबल आ आत्मनिर्भर संस्था होयबाक चरित्र अपन विभिन्न आयोजन सँ देखा चुकल अछि। केन्द्रीय नेतृत्व एहि चारि गोट संस्था केँ देल जेबाक चाही। एकर अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्र लेल विभिन्न अन्य संस्था केँ सेहो हुनकर सहमति सँ हुनकर क्षेत्रक लेल उपयुक्त विभिन्न कार्यभार देबाक चाही। आर, कथित चारि गोट केन्द्रीय भूमिका निर्वाह करयवला संस्था सभक काज थिक जे बाकी क्षेत्र केन्द्रशासित प्रणाली जेकाँ बचल काज केर रेखदेख उचित ढंग सँ अपने करय।
 
अहमदाबाद मे हालहि संपन्न अन्तर्राष्ट्रीय मिथिला महोत्सव २०१९ एकटा नव आशा जगौलक अछि। शाश्वत मिथिला आ जानकी सेवा समिति अहमदाबाद केर पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता एकटा नव उदाहरण प्रस्तुत कयलनि। अत्यन्त सफल रहल ई कार्यक्रम आर बहुत जल्द आरो खुशखबरी ई लोकनि देता, विद्यापतिक जन्मस्थली विस्फी मे किछु विशिष्ट कार्य करबाक योजना पर ई लोकनि आगाँ बढि चुकल छथि। प्रोटोकोल केर कारण सब बात स्पष्ट नहि लिखि सकैत छी एखन। लेकिन बहुत पैघ खुशखबरी बहुत जल्दी प्राप्त होयत। भारतक राजधानी दिल्ली मे अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अतिरिक्त राजनीतिक काज लेल अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति, विश्व मैथिल संघ, मैथिली साहित्य संस्थान, मैथिली साहित्य सम्मेलन, मैथिल जनजागरण संघ आदि अनेकों संस्था अपन-अपन उद्देश्य लेल सर्वथा उचित कार्य करैत देखा रहल अछि। गुआहाटी मे पूर्वोत्तर मैथिल समाज, जमशेदपुर मे मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, राँची मे झारखंड मिथिला मंच कि झारखंड मैथिली मंच, दरभंगा मे विद्यापति सेवा संस्थान, विराटनगर मे मैथिली सेवा समिति, दहेज मुक्त मिथिला तथा मैथिली विकास अभियान, राजविराज मे मैथिली साहित्य परिषद्, बोकारो, पटना, लहान, काठमांडू, आदि अनेकों स्थान पर कार्यरत सैकड़ों संस्था जाहि मे सँ कतेको रास प्रतिनिधि एतय उपस्थित सेहो छथि – ई सब काफी लगन आ समर्पण सँ मातृभाषा, मातृभूमि आ मातृसभ्यता लेल कार्यरत छथि। बस आवश्यकता केन्द्रीय भूमिका केर छैक आर ताहि लेल चेतना समिति द्वारा ई पहल स्वयंसिद्ध कय रहलैक अछि जे आब सम्पूर्ण क्रान्ति सँ कियो नहि रोकत, एहि तरहें मिथिला केँ अपन स्वराज शीघ्र भेटत ई पूर्ण विश्वास अछि। बस कार्य-बँटवारा आ कार्य-प्रगतिक लेखा-जोखा समय-समय पर केना लेल जाय – ताहि पर एक नीक शुरुआत एतय सँ होइ, यैह नव सूर्योदय होयत। एहि सम्मेलन सँ निर्धारित कार्यक्रम, ताहि लेल सौंपल गेल जिम्मेवारी, केन्द्रक योगदान, हस्तक्षेप तथा अन्तिम प्रतिवेदन लेल समीक्षा ई सब किछु एहि सम्मेलन सँ तय कयल जाय। एहि क्रम मे हम या हमरा लोकनिक अभियान आ कि संस्था दहेज मुक्त मिथिला केँ जाहि तरहक प्रतिनिधित्व आ कार्यभार देल जायत, ताहि लेल सहर्ष तत्पर रहब। अस्तु! ॐ तत्सत्!! हरिर्हरिः!!
 
हरिः हरः!!

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