नेपालदेश मे मैथिली लेखनक अवस्था

मैथिलीक समग्र स्थिति सँ इतर एकर लेखनक अवस्था सेहो कोनो बेस विकसित नहि देखाइछ। हालांकि नेपालीक बाद दोसर सर्वाधिक प्रचलित भाषाक रूप मे मैथिली मानल जाइछ। मैथिलीक लेखन इतिहास सेहो नेपाली सँ बेस प्राचीन आ समृद्ध हेबाक कारण मातृभाषा अनुरागी द्वारा एकरा बचाकय रखबाक प्रयास होइत रहल अछि। मैथिली मे कोनो देखार काज लिखित आ प्रकाशित रूप मे देश-काल-परिस्थितिक कारण तेहेन उल्लेख्य भले नहि देखाइत हो, लेकिन यदा-कदा चर्चा आ विमर्श मे ई सब बात सोझाँ अबैत अछि जे मैथिली भाषा-साहित्यक लेखन अवस्था छिटफुट सही लेकिन निरन्तरता मे रहि आयल अछि। एकल भाषा नीति प्रबल रहितो महाकवि विद्यापति केर स्मृति दिवस सँ मैथिली भाषाभाषी अपन भाषा-साहित्य पर निरन्तर चिन्तन करैत रहबाक इतिहास नेपाल मे सेहो भेटैत अछि। संचारक्षेत्र मे मैथिली मे समाचारपत्र-पत्रिका सेहो काठमान्डू, राजविराज, जनकपुर, विराटनगर, लहान आदि सँ प्रकाशित होयबाक कय गोट उदाहरण भेटैत अछि; तखन निरन्तर प्रकाशन, पाठक लेल लोकप्रिय आ ताकि-ताकिकय पढयवला संचार-सामग्रीक अभाव हेबाक बात विज्ञजन कहैत छथि। बाजार-वितरणक अवस्था सेहो विपन्न आ नगण्य भेटैत अछि। लेकिन जनकपुर आ राजविराज एहि मामिला मे आर सँ बेस श्रेष्ठतर आ उच्चकोटिक योगदान दैत अछि। काठमान्डू सँ ‘अप्पन मिथिला’ केर प्रकाशन सेहो महत्वपूर्ण होयत रहल अछि। आउ, एहि सम्बन्ध मे ४ तारीख (मार्च) जनकपुर कला साहित्य आ नाट्य महोत्सव मे एकटा महत्वपूर्ण विमर्श मे भाग ली।
विमर्शकार लोकनि मे अनुभवी व्यक्तित्व सब छथि – १. डा. रामभरोस कापड़ि ‘भ्रमर’, २. रोशन जनकपुरी, ३. डा. सुरेन्द्र कुमार लाभ, ४. महेन्द्र मिश्र, ५. करुणा झा। पाँचो गोटे गणमान्य व्यक्तित्व अपन सृजनकर्म सँ मातृभाषा मैथिली केँ नेपाल मे नव ऊँचाई धरि पहुँचाबैत आबि रहला अछि। नेपालहि कि भारतहु मे हिनका लोकनिक व्यक्तित्व आ योग्यता केर लाभ मैथिली भाषा-साहित्यक विभिन्न विधा पर राखल जा रहल विमर्श मे कतेको बेर मैथिलीभाषी लाभ उठौलनि, हमहुँ एक लाभार्थी आ मुमुक्षु बनि एहि गुरुवर्ग श्रेष्ठ व्यक्तित्व लोकनि सँ बहुत किछु बुझबाक-गुनबाक अवसर पेने छी। एहि गरिमामयी सत्रक संचालनक भार देबाक लेल आयोजक मैथिली विकास कोष केँ पुनः आभार जे हम सब आइ फरिछाकय सब स्थिति-परिस्थिति पर चर्चा करब।
१. मैथिली भाषा केर लिखित इतिहास
२. मैथिली भाषा मे पाठ्य-पुस्तक केर लेखन आ व्यवहार
३. बहुभाषिक शिक्षा मे मैथिली भाषा आ माध्यम केर अवस्था
४. सरकारी आ गैर-सरकारी विज्ञापन मे मैथिली
५. राष्ट्रीय संचार – यथा गोरखापत्र व अन्य समाचारपत्र मे मैथिली
६. स्थानीय संचार मे मैथिली
७. उच्च शिक्षा मे मैथिली
८. साहित्यक विभिन्न विधा मे मैथिली – उपन्यास, कथा, कविता, नाटक, आदि
९. सरकारी कामकाज मे मैथिली
२. मैथिली भाषा मे पाठ्य-पुस्तक केर लेखन आ व्यवहार
३. बहुभाषिक शिक्षा मे मैथिली भाषा आ माध्यम केर अवस्था
४. सरकारी आ गैर-सरकारी विज्ञापन मे मैथिली
५. राष्ट्रीय संचार – यथा गोरखापत्र व अन्य समाचारपत्र मे मैथिली
६. स्थानीय संचार मे मैथिली
७. उच्च शिक्षा मे मैथिली
८. साहित्यक विभिन्न विधा मे मैथिली – उपन्यास, कथा, कविता, नाटक, आदि
९. सरकारी कामकाज मे मैथिली
एहि सब विन्दुक अलावे विभिन्न विन्दु पर विमर्श करैत एहि सत्र केँ उपयोगी बनेबाक प्रयास रहत।
हरिः हरः!!