अन्तर्वार्ता – मिथिलाक प्रत्येक व्यक्ति मे आइयो भेटैत अछि जनकल्याणकारी अन्तर्शक्ति
“मिथिला मे मृत्युभोज चलबाक चाही लिमिटेशन्स मे, कि जहिना चलैत छै ओहिना रहबाक चाही? अपन विचार देल जाउ। अपन ओपिनियन देबाक कष्ट करबै।” मैसेन्जर पर एकटा महत्वपूर्ण जिज्ञासा करैत छथि एक सज्जन। प्रश्न सब अबैत रहबाक कारण जतेक संभव होइत अछि अपन विचार सँ हुनका लोकनि केँ अवगत करबैत रहैत छी। हुनका कहलियनि, “मृत्युभोज शब्द सही नहि छैक। मिथिलाक लोक केँ अपन परम्परा मे ‘पंचदान श्राद्ध आ अन्नदान’ करबाक विधान छैक। ११ दुनी २२ सँ दुइ साँझ एकादशा आ द्वादशा ब्राह्मण-स्वजन भोजन केर बात छैक। एहि मे लोक आडंबर नहि करय, ई जरूरी छैक। देखौंस मे बिकाय नहि।”
पुनः ओ सज्जन एकटा ‘मृत्युभोज’ पर आइ-काल्हि कतेको गाम-ठाम मे चलि रहल विरोध सभा आदिक समाचार केर लिंक दैत कहलनि जे एहि विन्दु पर विचार राखब। फेर कहलियनि, “एहि में कि ओपिनियन दी! ई सब लोकक अपन आस्था आ विचार भेलय। सनातन धर्म केर व्यवस्था बहुत वैज्ञानिक छैक। हम एकर समर्थक छी जे श्राद्ध जरूर कयल जाय। अपन श्रद्धा आ सामर्थ्य अनुसार पितर प्रति समर्पण भाव राखि अन्नदान, वस्त्रदान, आदि जरूर करबाक चाही।” हुनकर जबाब आयल, “सोशल रिफोर्मेशन (समाज सुधार) मिथिला मे होबाक चाही। अपने एक आयरन मैन औफ मिथिला के रूप मे अनेको मंच पर अपन मिथिलाक प्रोफिशियेन्सी (प्रवीणता) के लेल प्रयास करैत छी। अपनेक सँ एक डिसिसिव ओपिनियन (निर्णयात्मक विचार) के उम्मीद करैत छी।
संयोग सँ हुनकर ई मैसेज यात्राक क्रम मे व्यस्त रहबाक कारण नहि देखि सकल छलहुँ। पुनः सहरसाक मिथिला कला साहित्य आ फिल्म महोत्सव उपरान्त ओ मैसेज कयलनि, “सुमन समाज जीक संग कतेको फोटो देखलहुँ। अहाँ हमर गाम (बनगाँव) गेल छलहुँ। बाबाजी कुटी, भगवती स्थान, बहुत खुशी भेल। रियली अहाँ मिथिला के आयरन मैन छी।” हम ताहि समय हुनकर २५ दिसम्बर केर उपरोक्त मैसेज आइये देखबाक बात कहैत ईहो बनगाँव निवासी छथि से जानि आरो बेसी उत्सुक भेलहुँ। फेसबुक सँ अहाँ किनको प्रोफाइल ओतबे बुझि सकैत छी जतेक ओ जानकारी दैत छथि। हिनकर प्रोफाइल विजीट कयला उत्तर एना बुझायल जे एक गंभीर अध्येता आ राष्ट्र लेल अत्यन्त उपयोगी व्यक्तित्व बेर-बेर हमरा सँ मिथिला आ एतुका समाज लेल किछु अपेक्षा राखि रहला अछि। ताहू मे जखन कियो बनगाँव (सहरसा) सँ भेटैत छथि तखन आरो हम गंभीरता सँ विचार करय लगैत छी, कारण ई गाम केर माटि मे हम ओ शक्ति देखलहुँ जे अपन विद्या, वैभव, पौरूष आ संकल्प सँ पानियो मे आगि लगा सकैत अछि ठाढे-ठाढ। एक सँ एक महान व्यक्तित्व सँ भरल ई गाम जहिना क्षेत्रफल मे नम्हर तहिना एतुका सब बात-व्यवस्था अछि विशाल।
ई सज्जन थिकाह ‘श्री विश्वरंजन भरद्वाज’। हिनकर बेर-बेर केर स्नेह आ आशीष सँ हम कृतज्ञ त रहबे करी, आयरन-मैन सुनिकय जोश बेसी ऊफान नहि मारय ताहि लेल नम्रतापूर्वक हिनका प्रणाम करैत कहल, “जी, अपने सभक स्नेह आ आशीष सँ मैथिली-मिथिला लेल नव तरीकाक काज करय चाहैत छी। नवतुरिया केँ नव-सन्देश दैत मिथिला केँ पुनःस्थापित होइत देखय चाहैत छी।” ओ फेरो कहला, “हमर गाम मे अहाँ एतेक डिस्टैन्स (दूर) सँ गेलहुँ एकरा लेल विशेष आभार। हमर गाम मे कीर्तन मे सेहो शामिल भेलहुँ। भांग के लेल आग्रह भेल कि नहि?” विहुँसैत कहलियनि, “जी श्रीमान्! २ गिलास पीलहुँ। भजन सब सेहो गेने रही। हमर फेवरेट स्थल थिक ई। अहाँ लोकनिक स्नेह भेटैत रहै य हमेशा।” ओहो हँसलाह आ गारि-फझेतक बदला फेरो कम्प्लीमेन्ट्री कमेन्ट देलनि, “बहुत ही डायनामिक! वर्क के संग अपने मे डायनामिक बिहेवियर। बिल्कुल फोरएवर! हैप्पी इंग्लिश न्यु ईयर टु यू।” हम आभार प्रकट करैत हुनकहु लेल नव वर्षक हार्दिक मंगलमय शुभकामना देल। आर तखन आरम्भ होइत अछि हमर अपन अभियान, मिथिलाक जन-जन मे छुपल अछि असीमित शक्ति, सब कियो छथि विद्यावान्-स्वाभिमानी आ सम्भ्रान्त। हुनकर शक्ति केँ सब कियो चिन्हय-बुझय आ ताहि सँ प्रेरणा पाबि मानव ओ मानवता लेल सब कल्याणकारी सिद्ध हो। यै त असल मिथिला होयत। मिथिला सब दिन संसार केर कल्याण लेल योगदान दैत रहल अछि, आइयो हमरा लोकनि सामर्थ्यवान् रहितो अपनहि राज्य मे पहिचानहीनताक कारण विपन्न छी। लेकिन हमर सभक काज अछि जे एहि शक्ति सब केँ चिन्ही आ दुनिया केँ चिन्हाबी। आउ, आब उपरोक्त चर्चित सज्जन यानि विश्वरंजन भरद्वाज जी सँ विस्तार मे परिचित होइ।
हमः भाइ, अहाँक प्रोफाइल देखि मोन भेल जे अहाँक परिचिति आ अहाँक भीतर रहल जिज्ञासा सभक विषय मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक केँ किछु लिखिकय दी।
१. अपन परिचय मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल दी।
२. क्राइम रिसर्च – क्रिमिनोलोजिस्ट – ई कोनो विशेष अध्ययन सँ जुड़ल आ आजुक समय मे एकर आवश्यकता राज्य केँ कतेक छैक?
३. अपन मिथिला आ मैथिली केँ बाहर रहैत कतेक मोन पाड़ैत छी?
४. अपन सन्देश युवातुरिया केँ कि सब देबैक?
विश्वरंजन जीः बिल्कुल प्रभु! नमस्कार, जय मिथिला, जय मैथिली। मदरटंग आ मदरलैन्ड के लेल जिनका मे अफेक्शन नहि अछि ओ मानव त पशु समान भेलाह। अपनेक क्युरियोसिटी (जिज्ञासा) के लेल हम आभार व्यक्त करैत छी।
हमः धन्यवाद। जबाब शीघ्रता से पठाबी। प्रतीक्षारत।
विश्वरंजन जीः हरि ॐ! प्रभु! जय मिथिला जय जानकी! जय बाबा बाणेश्वरनाथ! जय बाबाजी! क्राइम रिसर्च आ क्रिमिनोलौजी सँ हम २०११ तक जुड़ल छलहुँ जे कि क्रिमिनल साइकोलौजी सऽ रिलेटेड छै। एखन हम कैडेट्स एकेडमी केर डायरेक्टर छी जे कि मुखर्जीनगर (दिल्ली) मे छैक। एहि एकेडमी मे एनडीए, सीडीएस, एएफसीएटी, सीएपीएफ आ एसएसबी आदि मे भर्ती हेबाक लेल – सशस्त्र सेनाबल आदि मे जेबाक लेल तैयारी कराओल जाइत छैक। एतय एकटा साइकोलौजिस्ट केर भूमिका मेजर (बड पैघ) होइत छैक जे हमरे ओब्जर्वेशन (रेख-देख) मे एतय होइत छैक। एहि मे जे मैथिल फैकल्टीज हमर एकेडमी के पैरामीटर्स व एलिजिबिलिटी के फुलफिल करैत छथि ओहेन मैथिल फैकल्टीज केँ मौका सेहो देने छियन्हि। १२वीं के बाद ग्रेजुएशन लेल नवतुरिया सब जिनका आर्म्ड फोर्सेज आर पैरामिलीट्री मे एक अधिकारीक रूप मे कैरियर बनेबाक (भविष्य निर्माण करबाक) छन्हि हुनका सभक लेल अपन वेब एड्रेस शेयर करैत छी। www.cadetsacademy.in ।
निष्कर्षः अपन मिथिला मे चिन्तन संग समग्र कल्याण वास्ते कर्मठताक गुण लगभग हरेक व्यक्ति मे अछि। आवश्यकता ई छैक जे एक-दोसरक शक्ति केँ चिन्ही आ ताहि सँ आमजन केँ कोना लाभ भेटत से प्रयास सब कियो अपना-अपना स्तर सँ करी। विश्वरंजन जी केर एक परिचिति केर लाभ लाखों छात्र केँ हेतैक, एहि उम्मीदक संग आजुक ई अन्तर्वार्ता अपने सब धरि आनल अछि। शुभम् अस्तु!
हरिः हरः!!