पटना, २० दिसम्बर २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!
मोन पड़ै छथि कविचूडामणि मधुप (०२.१०.१९०६ – २०.१२.१९८९)
“पुष्पित पुञ्जक पुञ्ज कुसुम सँ,
मण्डित निभृत निकुञ्जक माझ,
गुञ्जित-मधुकर-निकर बनौने-
छल जै ठाँ दिन रहितहुँ साँझ।
नयनक आधाहुक आधासँ
राधा! बाधा देखह आबि,
तै निकेत सँ वंशीसँ
संकेत करथि मोहन खन गाबि।
– राधाविरह
‘राधाविरह’ महाकाव्य पर साहित्य अकादेमीक पुरस्कारक घोषणा (दिसम्बर, १९७० ई.)क पूर्वहि ‘राधाविरह मे सौन्दर्य चेतना’ विषयक हमर एक लेख मिथिला-मिहिर मे प्रकाशित भेल छल। ओही सन्दर्भमे मधुप जीक ई पत्र अछि।
पुण्य-तिथिक अवसरपर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि!