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अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन जनकपुर – प्रवीण केर कार्यपत्र

प्रदेश १ मे मैथिलीक गतिविधि
अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन जनकपुर मे प्रस्तुत कार्यपत्र 
– प्रवीण नारायण चौधरी, भाषा-संस्कृति अभियन्ता एवं संपादक, मैथिली जिन्दाबाद आनलाइन न्युज पोर्टल, विराटनगर, नेपाल।  
विराटनगर, दुहबी, ईटहरी, इनरुवा, हरिनगरा, रंगेली – यैह किछु स्थान पर यदा-कदा मैथिली भाषा मे अधिकतर सांस्कृतिक कार्यक्रम सार्वजनिक रूप सँ आयोजन कयल जेबाक समाचार भेटैत अछि। विराटनगर कर्मक्षेत्र रहबाक कारण अपन खोज-अनुसंधान एहि स्थान केँ केन्द्र मानिकय राखि रहल छी। 
 
विराटनगर मे भाषा आन्दोलनक एक पृष्ठभूमि
नेपाल मे एकल भाषा नीति केर विरुद्ध किछेक पुरोधा यथा डा. अबध नारायण लाल, पं. मेघराज शर्मा, आदिक नाम भाषा आन्दोलनी आ हिन्दी मे सेहो शिक्षा-दीक्षा पूर्ववत् देबाक मांग करबाक बात चर्चा कयल जाइछ। ताहि सँ पूर्व मे नेपालक विभिन्न व्यवस्था भारतहि पर निर्भर छल, परञ्च १९५५ ई. मे श्री ५ महाराजाधिराज महेन्द्र वीर विक्रम शाहदेव द्वारा पिता राजा त्रिभुवन केर मृत्यु उपरान्त प्राप्त गद्दी पर एलाक बाद नेपाल केर निजता मे भारत आ भारतीयताक हस्तक्षेप आ व्यवस्थापकीय सहयोग पर निर्भरता सँ मुक्ति दियेबाक बहुतो प्रकारक डेग उठायल गेल। ताहि क्रम मे एकल भाषा – एकल भेष केर नीति अपनाओल गेल। लगभग २०१७ वि. सं. अर्थात् १९६० ई. केर आसपास ई सब नीति राजा महेन्द्र द्वारा नेपालक अपन राष्ट्रीयता केँ सबल बनेबाक दृष्टिकोण सँ उठायल गेल छल। लेकिन तराई क्षेत्र जाहि ठाम नेपालीभाषा सँ इतर अन्य भाषाभाषीक संख्या सेहो महत्वपूर्ण छल ताहि समय एकर प्रतिकार कयलनि जेकरा ‘भाषा आन्दोलन’ केर संज्ञा देल जाइत अछि।
भाषा प्रति मैथिल जनसमुदायक जागरुकता
विराटनगर मे मैथिली भाषाभाषी पुरोधा लोकनिक संख्या ताहि समय सेहो उल्लेख्य छल। चिकित्सा, अभियांत्रिकी, शिक्षण व उद्यम-व्यवसाय व्यवस्थापन सँ लैत सरकारी अड्डा आदिक कार्य मे पर्यन्त मैथिलीभाषीक संख्या कोनो आन भाषाभाषी सँ अधिक छल। सुशिक्षित-सुसंस्कृत समुदाय मे मैथिलीभाषी अपन पहुँच सब दिन उच्च रखैत रहलाह अछि। हालांकि निरक्षर आ अल्प साक्षर मैथिलीभाषीक संख्या बेसी रहल अछि। ताहि हेतु मजदूरवर्ग सँ उच्च व्यवस्थापन पक्ष धरि मैथिलीभाषीक उपस्थिति विराटनगर व आसपासक क्षेत्र मे बेसी रहल सब दिन। मोरंग जिलाक मुख्यालय पहिने रंगेली मे छल, ओतहु करीब-करीब यैह समीकरण ताहि समय सँ लैत आइ धरि बनले अछि। कालान्तर मे विराटनगर मे जिला मुख्यालयक संग-संग कोसी अञ्चल केर सेहो मुख्यालय बनि गेलाक बाद एहि ठामक विकासक गति जोर-सोर सँ बढल। उद्योगक विकास सँ लैत अन्य सब तरहक पूर्वाधारक विकास एतेक तीव्र गति सँ एहि ठाम भेल जेकरा कारण ई नेपालक दोसर सब सँ पैघ शहरक नाम मे सेहो ख्याति प्राप्त केलक। आर एहि सब गतिशीलता मे मैथिल जनसमुदाय केर योगदानक चर्चा उल्लेखनीय रहल अछि।
भाषा आन्दोलनक प्रभाव मैथिलीभाषी जनसमुदाय पर सेहो तीव्र गति सँ भेलनि। शिक्षाविद् ध्रुव नारायण लाल, अधिवक्ता काली कुमार लाल, इंजीनियर रमाकान्त झा, अधिवक्ता विपुलेन्द्र चक्रवर्ती, स्वास्थ्यकर्मी डा. अबधनारायण लाल, लक्ष्मण नेपाली, प्रा. प्रफुल्ल कुमार सिंह ‘मौन’, प्रा. गणेश लाल कर्ण, इंजीनियर गुणानन्द ठाकुर सहित दोसर पीढी मे डा. सुरेन्द्र नारायण मिश्र, प्रा. बद्री नारायण कंठ, सुरेशचन्द्र झा, परमानन्द झा, भूषण झा, रमानन्द झा, जागेश्वर ठाकुर, गयानन्द मंडल, रामरिझन यादव, जवाहर भंडारी, आदि अनेकों सामाजिक अभियन्ता आ भिन्न-भिन्न पेशा मे अपन अलग स्थान रखनिहार व्यक्तित्व लोकनि प्रथमत: मैथिली साहित्य परिषद् पुन: दोसर महत्वपूर्ण संस्था मैथिली सेवा समितिक स्थापना कय पंचायतकाल यानि २०२७ वि.सं. सँ निरन्तर भाषा-साहित्य सँ जुड़ल विद्यापति स्मृति पर्व समारोह, कवि सम्मेलन, आदिक आयोजन कय भाषिक जागरुकताक निर्वाह करैत आयल छथि।
पंचायतकाल मे कोनो अन्य भाषाक संस्था केँ भले दर्ता मंजूरी नहि कयल गेलैक परञ्च अपन भाषा-साहित्यक लेल उपरोक्त चर्चित सामाजिक अभियन्ता लोकनि कोनो न कोनो बहन्ने आयोजन सब करैत रहल छलाह। बाद मे २०४७ वि. सं. मे बहुदल प्रजातंत्र आ संवैधानिक राजतंत्र एलाक बाद २०४८ मे मैथिली सेवा समिति पहिल पंजीकृत संस्था बनिकय कार्यारम्भ कयलक, तहिना प्रा. गणेश लाल कर्ण केर अगुवाई मे मैथिली साहित्य परिषद् जे कि पहिल संस्था छल ओहो पंजीकृत भेल आ कार्यक्रम दू-दू गोट संस्थाक अगुवाई मे होइत रहल। 
बहुदलीय प्रजातांत्रिक व्यवस्थाक प्रवेशक संग किछेक वर्ष मे मैथिली भाषाभाषीक विभिन्न अन्य संगठन केर स्थापना चहुँदिश होमय लागल। भाषा एवं संस्कृति प्रति लक्षित सेवार्थ आ मैथिली गीत-संगीत-नृत्य आदिक क्षेत्र मे सेहो कार्य करबाक उद्देश्य सँ युवा अभियन्ता नवीन कर्ण केर संयोजन मे मैथिली विकास अभियान केर स्थापना कयल गेल जे आइ धरि निरन्तर भाषा-संस्कृति आ लोकपरम्पराक संग विभिन्न क्षेत्र मे महत्वपूर्ण योगदान दैत आबि रहल अछि। तहिना विराटनगरक एकमात्र महाविद्यालय मे छात्र लोकनि सेहो भाषाक आधार पर अपन एक संगठन अलग बनेबाक काज कयलन्हि। महेन्द्र मोरंग आदर्श बहुमुखी केन्द्रीय कैम्पस मे मैथिल छात्र संगठन केर गठन भेल। पूर्वाञ्चल युवा मैथिल संजाल किछेक उत्साही युवा अभियन्ता लोकनि मिलिकय अरविन्द मेहताक अगुवाई मे स्थापित कयलनि। ई छात्र संगठन, युवा लोकनिक समूह तथा लोकसंस्कृति एवं लोकपरम्परा केर संरक्षणार्थ स्थापित नव मैथिलीसेवी संस्था द्वारा पूर्वहि सँ होइत आबि रहल एकटा निश्चित मापदंडक साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम मे विविधता अनलनि। रेडियो मे एफएम केर लोकप्रियताक संग टेलिविजन आदि मे सेहो मैथिली भाषाक कार्यक्रम, गीतक रेकर्डिंग, फिल्म निर्माण, आदि बहुतो तरहक कार्य मैथिली भाषा मे शुरू कयल गेल।
मैथिली विकास अभियान केर ‘नव घर उठय पुरान घर खसय’ समान महत्वपूर्ण गीति एलबम केर निर्माण सँ लैत टीवी धारावाहिक आ फिल्म आदिक निर्माण मे सेहो युवा-युवती सब केँ प्रोत्साहित करबाक अनेकों टा कार्य कयल गेल। महेन्द्र मोरंग कैम्पस मे सेहो छात्र लोकनि समय-समय पर वक्तव्य प्रतियोगिता व अन्य युवा केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम सभक आयोजन करैत अपन भाषिक उपस्थिति बनौलनि। 
विराटनगर सँ प्रकाशनक दिशा मे सेहो थोड़ बहुत काज आरम्भ भेल लेकिन एकर जीवन सब दिन संघर्षमय आ अल्पायू मे मृत्यु प्राप्त करबाक जेकाँ मात्र रहल। मिथिला दीप, मिथिला टाइम्स, सौभाग्य मिथिला, मैथिली हँकार, आदि विभिन्न पत्र-पत्रिका – खबर पत्रिका सभक दर्ता आ प्रकाशन प्रारम्भ भेल, लेकिन आन मैथिली संचारकर्म जेकाँ बिना कोनो प्रकारक सहयोग आ विज्ञापन ई सबटा असमय मृत्यु केँ प्राप्त करैत रहल। विराटनगर मे प्रिन्टिंग प्रेस केर लाइन मे स्वयं मैथिल उद्यमी लोकनि आगू रहबाक कारण बहुत रास लेखक अपन-अपन पोथी सेहो एतय सँ प्रकाशित कयलनि, परन्तु तेहेन कोनो सुसंगठित अवस्था मे ई सब काज नहि होयबाक कारण एकरा सब केँ समेटबाक लेल किछु आरो समय आ गहींर शोध करबाक आवश्यकता अछि। भूषण झा केर एक पोथी जेकर नाम हमरा स्मृति मे नहि अछि, १९९० केर दशक मे एतय सँ प्रकाशित भेल छल। स्मारिका सब समय-समय पर विभिन्न संस्था द्वारा सेहो प्रकाशित होइत रहल अछि। राम रिझन यादव केर संपादन मे प्रकाशित मिथिला टाइम्स काफी समय धरि चलल, बाद मे विराटनगर सँ हुनक स्थानान्तरण होयबाक संग ओहो पत्रिका बन्द भऽ गेल। सौभाग्य मिथिलाक प्रकाशन नवीन कर्ण व अरविन्द मेहता आदिक संयुक्त लगानी सँ आरम्भ भेल, परञ्च कोनो बेसी दिन लेल नहि। राज्यप्रदत्त सुविधाक कमी हेबाक संगहि स्वयं मैथिलीभाषी पाठक आ लगानीकर्ताक उदासीनताक कारण ई सब दीर्घगामी नहि बनि सकल। 
वर्तमान समय, सृष्टि दैनिक (एक नेपाली पत्रिका) द्वारा अन्य भाषा केँ समावेशीकरण केर सुन्दर पहल मे मैथिली भाषाक लेख-रचना-समाचार-विचार आदि केँ ‘हिपमत परिशिष्ट’ अन्तर्गत प्रत्येक रवि दिन प्रकाशित कयल जाइछ। मैथिलीभाषी लेल एतबो जुड़ाव निरन्तरता मे रहबाक बात केर भरपूर सराहना कयल जाइछ, सृष्टि दैनिक केँ सेहो एकर लाभ भेटैत छैक जे मैथिलीप्रेमी पाठक जानि-बुझिकय रवि दिनक अंक जरूरे टा कीनैत छथि। एहि सँ पूर्व २०१५ केर अप्रैल मास सँ निरन्तर ‘मैथिली जिन्दाबाद डट कम’ आनलाईन न्युज पोर्टल हमरहि संपादन मे संचालित अछि। लेकिन एहि समाचारक वेबसाइट पर संवाददाता लोकनि केँ संगठित रूप सँ नहि जोड़ि पेबाक कारण मात्र सामाजिक संजाल केर भर सँ नाममात्र केर पत्रकारिता कयल जाइछ। तखन, संसार भरि मे मैथिली-मिथिला गतिविधि पर विशेष प्रकाश दैत मैथिलीभाषी जनमानस मे एकटा नव जोश आ जागरण केर स्थिति बनेबाक कार्य एहि वेबसाइट द्वारा संभव होइत जरूर देखि रहल छी।
संक्रमणकालीन नेपाल मे मैथिलीक गतिविधि मे चहुँमुखी वृद्धि
२०६३ वि. सं. केर अन्तरिम संविधान आ नेपाल मे नव संविधान बनेबाक घोषणा उपरान्त मैथिली भाषाभाषी मे जागृतिक वृद्धि होमय लागल। माओवादी क्रान्ति आ राष्ट्रक मुख्य राजनीतिक दल द्वारा आपसी शान्ति समझौता अनुसार कार्यारम्भ भेलाक बाद पूर्वक कड़ा नियंत्रणक स्थिति मे इजाफा एकर सूत्रपात केलक। देशक राजनीति मे अपन-अपन उपस्थिति देखेबाक लेल जेना माओवादी द्वारा हरेक जाति आ वर्ग मे एकटा सांगठनिक एकताक चौतर्फी हवा बहल, जाहि सँ मधेश आ मधेशी सहित विभिन्न अन्य उत्पीडित पहिचानक लोक द्वारा संगठन बनाकय ‘मुक्तिगामी आन्दोलन’ केर शुरुआत भेल, ताहि सभक समग्र प्रभाव देशक दोसर सर्वाधिक बाजल जायवला भाषा मैथिली लेल सेहो प्रयास तेज करबाक उचित प्रेरणाक संचरण विराटनगर केर मैथिलीभाषी समुदाय मे कयलक। एकर अगुवाई सेहो मैथिली सेवा समिति विराटनगर केलक। डा. एस. एन. झा केर नेतृत्व मे गठित नव कार्यसमिति जाहि मे हमहुँ एकटा महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ‘महासचिव’ केर भूमिका निर्वहन करैत २०६७ वि. सं. सँ विराटनगर मे पहिने एक कामचलाऊ कार्यसमितिक माध्यमे, पुन: निर्वाचित कार्यसमितिक माध्यमे कार्य आरम्भ कयलहुँ ताहि सँ भाषाक नाम पर सेहो मैथिली भाषाभाषी मे जनजागरण आ भाषिक अधिकार प्रति सजगता बढल।
हालांकि राजनीतिक गहमागहमी आ मधेश आन्दोलनक धाह मे मधेशी पहिचान प्रति केन्द्रित कार्यक्रमक संख्या अनायास एतेक बढि गेल छल जे भाषा आ संस्कृतिक संग समाजक मूल आधारभूत मुद्दा सब गौण भऽ गेल छल। बड़-बड़ नेता सिर्फ भाषण धरि एकल भाषाक विरोध करैत छलाह, लेकिन अपन भाषा, मातृभाषा प्रति कोनो उदार भाव कम्मे देखायल। एतय ‘मधेशक सम्पर्क भाषा हिन्दी’ के उजमाड़ि मे मैथिली वा अन्य मातृभाषा केँ पुछनिहार केओ खास कतहु नहि अभरल।
विराटनगर मे २०६७ वि. सं. सँ आरम्भ विशालकाय दुइ-दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व समारोह जे लगातार २०७१ धरि त हमर प्रत्यक्ष सहभागिता मे आर तेकरा बादहु अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन २०१५, अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल सामाजिक अभियन्ता सम्मेलन २०१६, अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षाविद् सम्मेलन २०१७ आदिक संयोजन मे आर विभिन्न अन्य कार्यक्रम जाहि मे विमर्शक सत्र केर मैराथन – अन्य भाषाभाषी संग सहकार्य, बहुभाषिक कवि गोष्ठी, मैथिली पुस्तक प्रदर्शनी, मिथिला चित्रकला प्रदर्शनी, विभिन्न प्रतियोगितात्मक कार्यक्रम आर एहि सब मे नेपाली एवं सीमावर्ती भारतीय मीडियाक कमोवेश समर्थन, एहि सँ एहि क्षेत्रक मैथिली-मिथिला परिचिती केँ आगू बढेबा मे अत्यन्त सहायक भेल। सब सँ बेसी जन-जन मे भाषा क्रान्तिक प्रभाव सँ भेटल समर्थन एकटा अलगे आन्दोलन ठाढ कय देलक। राजनीतिक संघर्ष सँ इतर भाषा-संस्कृति केर सेहो अपन तरहक संघर्ष होइत छैक से सत्य समाज केँ काफी प्रभावित कयलक।
आब नेपाली भाषाक आयोजन हो वा कोनो आन भाषाभाषी केर आयोजन, साझा प्रकाशनक पुस्तक मेलाक आयोजन हो या कौमी एकता समाजक मुशायरा, गुरुकुल केर रंगकर्मक उत्सव हो या झोराहाट केर नाटक घर केर रंगोत्सव – मैथिलीक उपस्थिति हर ठाम होमय लागल। दिग्गज भाषाशास्त्री बालकृष्ण पोखरेल, टंक न्योपाने, भाषाविद् दधिराज सुवेदी, हिन्दी भाषा अभियानी ताराचन्द खेतान वा भिखमचन्द सरल या गंगाविशन राठी, ईहो लोकनि खुलिकय मैथिलीक विमर्श केँ समर्थन दैत देशक सब सँ जेठा भाषा-संस्कृति मैथिली-मिथिला हुन् कहय लगलाह। नेपालीभाषाक नवतुरिया लेखक-कवि होइथ या कोनो मंच, मैथिली संग सहकार्य संस्कृति बढय लागल। स्थानीय रेडियो, टेलिविजन, आदि मे सेहो मैथिली केँ प्रतिनिधित्व देने बिना कार्यक्रम पूरा नहि भऽ सकैत अछि ई माहौल तैयार भेल।
मैथिली भाषा-साहित्य केर शिल्पकार मे वयोवृद्ध दयानन्द दिक्पाल ‘यदुवंशी’, गोपाल यादव, राम नारायण सुधाकर, विमला देव, कर्ण संजय, प्रीति झा, वंदना चौधरी, नवीन कर्ण, सचिन कर्ण, शिव नारायण पन्डित सिंगल, वसुन्धरा झा, राजेश मिश्र, सहित कइएक सर्जक सँ ई परिसर परिपूर्ण अछि।
विराटनगर सँ मैथिलीक प्रसार समस्त पूर्वाञ्चल मे
महेन्द्र मोरंग कैम्पस केर छात्र सभक बीच उपरोक्त वर्णित छात्र संगठन शिथिल बनि जेबाक अवस्था मे विद्यापति स्मृति पर्व समारोह केर क्रान्तिक प्रभाव ई भेल जे छात्र लोकनि भाषाक नाम पर पुन: जागृति पेलनि। हिनका सभक वास्ते एक गोट ‘व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम’ केर आयोजन कैम्पस मे कयल गेल। एकर अगुुवाई तत्कालीन मधेशी जनाधिकार फोरम (लोकतांत्रिक) केर विद्यार्थी नेता धीरज बर्मा तथा अजय मिश्र कएने छलाह। आइ ओहि एक कार्यक्रमक सुखद परिणाम ई भेल अछि जे कैम्पस केर छात्र लोकनि अपन-अपन गाम धरिक वातावरण मे निज मातृभाषाक मिठास केँ बाँटि रहला अछि। इनरुवा मे आइ मैथिलीक क्रान्ति पहुँचि गेल अछि, दुहबी, ईटहरी, रंगेली – सब तैर ई युवा छात्र-छात्रा लोकनि मैथिली मे कार्यक्रम कय अपन समाजक लोक केँ निजभाषाक महत्व सँ जोड़ि रहल छथि।
लेकिन पुन: कैम्पस मे जाहि तरहक निरंतरता भेटबाक चाहैत छल से कतहु न कतहु ठमैक गेल अछि। एहि ठमकबाक कारण आर किछु नहि बल्कि मैथिलीक प्रति पसारल गेल नकारात्मकता आ हीनताबोध मुख्य कारण अछि। मैथिली केँ जानि-बुझिकय जाति-आधारित राजनीति कयनिहार गोटेक राजनीतिकर्मी अपन ओछ दृष्टि आ कमजोर अध्ययनक कारण शंकाक नजरि सँ देखैत अपन-अपन राजनीतिक समर्थकक माध्यमे गलत प्रचार करैत मैथिली केँ बाभन-काइथ समान उच्च-जातिक बपौती भाषा कहिकय गैर-बाभनकाइथ मे एकटा भ्रम प्रसार करैत छथि। आब त ई खेला प्रदेश २ मे खुलेआम होइत देखल जाइछ, मैथिलीक गँवई शैली यानि ठेंठी केँ सोल्हकनमा भाषा कहल जेबाक गोटेक सामन्तीयुगक घिसीपिटी उदाहरण दैत एहि विशुद्ध मैथिलीक मौखिक भाषा केँ ‘मगही’ होयबाक दाबी करैत छथि। जखन कि ई लोकनि नहि स्वयं भाषाविद् छथि, नहिये भाषाविद् सँ एहि मादे कहियो विमर्श कयलनि, बस जातीयताक आधार पर हुनका अपन राजनीति कयनाय छन्हि तऽ ओ कुप्रचार करय मे जुटि गेला अछि, ओ बुझैत छथि जे एहि तरहें जनता विभाजित रहत त हमर मैनजनगिरी चलैत रहत आ सत्ताक भोग हम ओहिना भोगब जेना एहि नीति पर आइ सँ लगभग १०० वर्ष पूर्व बिहार बनल छल आर जे पूरे भारत मे सब सँ पिछड़ल राज्य अछि जतय लोक आइयो जातिक नाम पर वोट दैत नेताजी सब केँ सत्ताक स्वाद चखबैत छन्हि। नेताजी भले ओहि पिछड़ल-अल्पसाक्षर समुदायक विकास लेल आइ कइएको दशक मे किछु कयलनि, नहि कयलनि, ई सब बात तर मे अछि, बस जातिक नाम पर वोट केर खेलावेला लेल भाषा राजनीति एतहु चरम पर पहुँचि गेल अछि। सिर्फ अपना केँ अलग भाषाक मानि लेला सँ कोनो भाषा मान्यता नहि प्राप्त करैत छैक एकरा लेल कतेको गोट उदाहरण रहैत ई लोकनि चेतना पेबाक बदला एखनहुँ वर्ग-विभाजन आ सत्ताभोगक सपना देखैत मैथिली भाषा केँ तोड़य मे कोनो कसैर बाकी नहि रखने छथि।
मैथिल महिला लोकनि मे भाषा प्रति बढैत रुझान
जेना नेपालीभाषी महिला लोकनि तीज पाबनिक आयोजन अपन सामूहिक एकजूटताक प्रदर्शन मे लगेलनि, जेकरा शासकवर्ग द्वारा सेहो भरपूर प्रोत्साहन भेटल, ठीक तहिना मधेशी जनजागरण मे आगाँ बढल महिला समाज मे निजभाषाक अवलम्बन करैत निज संस्कृति, मूल्य, मान्यता आ लोकपरम्परा केँ आगू बढेबाक नीक प्रेरणा भेटलनि। ईहो लोकनि विद्यापति स्मृति पर्व समारोह मे महिला केन्द्रित सत्र केर प्रेरणा सँ स्वयं केँ मैथिलीभाषा संग जोड़ि आजुक समय मे जीतिया महोत्सव, सामा चकेवा महोत्सव, तिला-संक्रान्ति पर तिलक लड्डू बंटबाक संग-संग नव संकल्प लेबाक सभा-गोष्ठी आ विभिन्न सामाजिक कूरीति यथा दहेज, महिला हिंसा, बाल-विवाह आदिक विरुद्ध जनजागरण अभियान आदिक संचालन सहर्ष अपन भाषा मैथिली मे संचालित कय रहली अछि। नेत्री एवं सामाजिक अभियन्ता मे एक प्रखर नाम वसुन्धरा झा केर लेनाय आवश्यक बुझैत छी। मधेशी जनाधिकार फोरम (नेपाल) केर नेत्री रहैत पहिने राजनीतिक मंच सँ ‘जीतिया महोत्सव’ केर आरम्भ करितो एकर यथार्थ उपयोगिता सामाजिक-सांस्कृतिक मंच पर देखि ओ मैथिली सेवा समिति संग सहकार्य करैत एक बेरुक आयोजन खुल्ला चौर मे हमरहि अगुवाई मे कयलनि आर फेर कहियो पाछाँ घुरिकय नहि तकलीह। आइ हुनक अगुवाई मे गठित सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था अपन विराटगढ परोपकार समाज साल भरि मे कम सँ १५ गोट जनचेतनामूलक कार्यक्रम मैथिली मे करैत अछि आर आमजन केँ अपन भाषाक मिठास संग जोड़ैत समाज मे विद्यमान् विभिन्न समस्या सँ लड़बाक उचित कला सिखबैत अछि। तहिना पूर्वाञ्चल मैथिल जनसांस्कृतिक मंच जेकर संयोजिका एवं संस्थापक समेत रहल महिला नेत्री राधा मंडल छथि, जे शुरुआत एक रेडियो कार्यक्रम संचालिका सँ करैत मैथिली भाषाक जादूइ प्रभाव आ जनजुड़ाव केँ मनन कयलनि, आइ साल भरि मे ओहो दर्जनों कार्यक्रम जनचेतनामूलक करैत छथि। संगहि राजनीतिक कार्यक्रमक मंच सँ लैत अन्य कार्यक्रमक उद्घोषणा मे पर्यन्त मैथिलीक छटा चहुँदिश छींटैत छथि। आशा झा जे एक कर्मठ नेत्री थिकीह, हुनका द्वारा सालाना सामाचकेवा महोत्सव करैत हजारों मैथिलीभाषी आमजनसमुदाय केँ एकत्रित करैत अपन भाषाक मिठासक संग आम जनचेतनामूलक कार्यक्रम सँ जोड़ैत छथि। एहि तरहें आब विराटनगर मे जीतिया, सामा-चकेवा, होली, दशहरा, दिवाली, छठि आदिक अनेकों परम्परागत कार्यक्रम टोले-टोल मैथिलीक मिठास सँ भरल रहैत अछि। आर, एहि सब मे शामिल होइत छथि मधेशी, पहाड़ी, आदिवासी, दलित, मुसलमान – सब नेतागण, समाजसेवी लोकनि आर ओ सब मैथिलीक सामर्थ्य सँ परिचित होइत वादा करैत छथि जे प्रदेश १ मे सेहो मैथिली केँ सरकारी कामकाजी भाषा बनायब।
मैथिली भाषा सँ रोजगार – फिल्म आ गीति एल्बम केर निर्माण
हमरा लोकनि सब बात करैत छी लेकिन आर्थिक उन्नति आ प्रगति लेल विमर्श पाछाँ पड़ि जाइत अछि, यैह कारण सँ नव पीढी जेकरा पर पाय कमेबाक दबाव बेसी छैक, जे मेटेरियल लाईफ केर आदी बनि गेल अछि, ओकरा सब लेल मैथिली-मिथिला मे विमर्श सब सँ पाछू काल कियो करैत अछि, कियो नहि करैत अछि। जखन कि हम मिथिलावासी, चाहे नेपाल या भारत, हमरा लोकनि खूब सक्षम छी जे अपन क्षेत्र केँ व्यवसाय आ उद्यम केर हरेक पहलू सँ जोड़ि सकैत छी। बस, आपसी मनमुटाव आ एक-दोसरक टांग-खिंचाई टा कम कय लेब तखन ई सकारात्मक सोच जल्द विकसित भऽ सकत। आब जे सब सँ बेसी महत्वपूर्ण अछि वर्तमान समय मे ताहि दिशा मे पूर्वी मिथिलाक लोकमानस व गतिविधिक चर्चा करय चाहब।
मैथिली गीत-संगीत केर सामर्थ्य कतेक बेसी अछि ई बात एखन वर्तमान समय संचालित अनेकों एफएम रेडियो पर चलि रहल मैथिली कार्यक्रम सँ स्वत: बुझल जा सकैत छैक। एक सँ बढिकय एक कम्पनी राष्ट्रीय आ क्षेत्रीय स्तर पर मैथिली कार्यक्रम केँ विज्ञापन उपलब्ध कराबैत हमरा लोकनिक भाषा केँ संरक्षित-संवर्धित-प्रवर्धित करबाक संग-संग अपनहु उत्पादनक विज्ञापन मैथिलीभाषी जनमानस मे खूब नीक सँ कय रहल अछि। एकटा उदाहरण अपनहि सँ जुड़ल ‘रमपम’ ब्रान्ड केर देबय चाहब जे आइ करीब १८ वर्ष सँ ‘हेल्लो मिथिला’ कार्यक्रमक एकछत्र प्रायोजक बनल अछि। पूर्वाञ्चलक हरेक मुख्य टेलिविजन मकालू, हिमशिखर, आदि मे सेहो दर्जनों कार्यक्रम निरन्तर मैथिली भाषा मे चलि रहल अछि आर विज्ञापनदाता मैथिलीक कार्यक्रम केँ सहर्ष प्रायोजन आ विज्ञापन दैत अछि।
गाम-गाम मे कलाकार मैथिली गीत गाबय लेल, वीडियो मे नृत्य करैत विजुअल तैयार करैत यू-ट्युब पर लोड कय मोनिटाइजेशन केर जरिये पैसा कमाय लेल मैथिलीक संग आगू बढि रहल अछि। नेपाली चलचित्र आ भोजपुरी चलचित्रक चर्चित कलाकार लोकनि मैथिली वीडियो एल्बम मे काज करय लेल बेसी उत्सुक छथि, कारण एहि मे हुनका व्युअर्स केर संग-संग एकटा मृदुल आ सुसंस्कृत भाषा मे कार्य करबाक प्रतिष्ठाक अनुभूति होइत छन्हि। ओ काफी उत्सुक रहैत छथि जे मैथिलीक दर्शक भारत-नेपाल केर संग-संग विदेशहु मे रहनिहार मैथिलीभाषीक उल्लेख्य संख्या भेटैत छन्हि। आइ सउदी अरब, कतार, यूएई, मलेशिया, कुबैत – खाड़ी मुलुक केर संग-संग अन्य योरोपीय मुलुक, अमेरिका, कनाडा, जापान, आदि मे उल्लेख्य संख्या मे मैथिलीभाषी रहि रहल छथि आर गाम सँ दूर हुनका आन कोनो भाषा प्रिय नहि लगैत छन्हि जतेक अपन मैथिली भाषा। नियतिक मारल प्रवास मे बान्हल लोकमानस केँ भाषा-राजनीति केर कोनो असैर नहि होइत छैक, एकर कतेको उदाहरण साल भैर मे आयोजित दर्जनों अपन भाषा मैथिली भाषाक कलाकार लोकनि केँ विदेशहु केर भूमि पर आमंत्रिक कय केँ कार्यक्रम कयल जेबाक बात के लेबाक चाही। मैथिली भाषा मे मनोरंजन क्षेत्रक ई काज प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप सँ लाखों केँ कारोबारी बना देने अछि। आइ अहाँ केँ रेकर्डिंग स्टुडियो गाम-गाम मे सेहो भेटि सकैत अछि, शहरक त बाते कोन।
वीडियोग्राफी, एडिटिंग, फिल्म मेकिंग केर विभिन्न आयाम मे लोकक जुड़ाव उच्चस्तर पर देखल जा सकैत अछि। सामाजिक मीडिया पर आबि रहल वीडियो गीति एल्बम सँ एहि बातक सहजहि भान होइत अछि। एहि मामिला मे विराटनगर आइ एकटा पूर्ण हब केर रूप मे प्रख्यात अछि। प्रदेश २ केर सिरहा, सप्तरी आ प्रदेश १ केर पूरे भाग सँ कलाकार लोकनि दिनहुँ आबिकय अपन-अपन आवाज मे गीत रेकर्डिंग करेबाक संग-संग विजुअल सेहो बनाबैत छथि आर सब कियो यूट्युब चैनल जे मोनिटाइज्ड अछि ताहि माध्यम सँ ओकरा रिलीज करैत छथि। एहि लाइन मे हजारों लोक काज करैत छथि लेकिन हम एक गोट नाम विशेष रूप सँ लेबय चाहब – भागवत मंडल, हुनकर एक गीत ‘दिल मे बसलौं अहाँ धड़कन मे बसा लियऽ’ एतेक हिट भेल जे १०-१० गोटे चोर पाइरेटेड वीडियो रिलीज करय लेल लोभा गेल। आर एक गायक रातोंरात हिट होइत छथि जिनकर आत्मविश्वास आइ आकाश छुबि रहल छन्हि। संगम स्टुडियो झंझारपुर आबिकय विराटनगर मे अपन रेकर्डिंग स्टुडियो खोलैत अछि आ सालाना लाखों केर कारोबार सिर्फ मैथिली मे करैत अछि। सुप्रसिद्ध गायक वीरेन्द्र झा सेहो जल्दिये स्टुडियो स्थापित करय जा रहल छथि। सप्तरी राजविराज केर श्रीमती विद्या मिश्र आइ एकटा विद्यालय संचालन कय रहली अछि विराटनगर मे। भानु कला केन्द्र केर प्राचीनता सँ त पूरा देश परिचित अछिये, चतुर्भुज आशावादी केर झुकाव आ मैथिली लेल सेवा प्रणम्य छलहे, आइ श्रीमती माया पौड़ेल व पुत्र प्रचण्ड पौड़ेल सब कियो मैथिली लेल दिन-राति एक कएने रहैत छथि।
रोजगार लेल निश्चित कयल किछु पर्यटन सर्किट मे पर्यटक केँ आकर्षित करैत घुमेबाक उद्यम सँ लैत होटल उद्योग, मिथिला फूड फेस्टिवल्स, आ दुनू कातक लगानीकर्ताक संयुक्त लगानी मे मजबूत अन्तर्सम्बन्धक निर्माण संग आरो बहुत रास फीजिबल प्रोजेक्ट्स सब पर कार्य कयल जा सकैत छैक। तहिना वैवाहिक पर्यटन मे सेहो मैथिल समुदायक हित लेल दुनू कात सहकार्य बढायल जा सकैत छैक। विवाह सम्बन्ध सँ अन्तर्सम्बन्ध आरो मजबूत होयत, ताहि दिशा मे सेहो वैवाहिक परिचय सभा आदिक आयोजन पर ध्यान देबाक भविष्यक योजना सब हमरा लोकनि बना रहल छी।
रंगकर्म मे सेहो विराटनगर देश-विदेश मे नाम कमा रहल अछि
रामभजन कामत रंगकर्म मे प्रसिद्ध छथि। आब सांस्कृतिक संस्थान मे सुब्बा पद पर कार्यरत छथि। विद्यापति पर्व समारोह सँ भेटल परिचय हिनका मे शीघ्र ई आत्मविश्वास जगा देलकनि जे सिर्फ नेपाली भाषा मे रंगकर्म विराटनगर लेल अधूरा रहत, आर ओ तुरन्त ‘विराट मैथिल नाट्यकला परिषद्’ केर स्थापना करैत छथि। रंगकर्मी लोकनिक जीवन मे रोजगार आ अर्थ उपार्जनक बड पैघ समस्या रहैत छैक। लेकिन ताहि दिशा मे सेहो प्रायोजक केँ आगू आनल जा सकैत छैक। नेपाल संगीत तथा नाट्य अकादमी तखन हिम्मत करैत छैक जे पहिल राष्ट्रीय महिला रंग उत्सव २०७५ मे विराटनगर मे मैथिलीभाषी प्रायोजकक योगदान सँ ३ दिवसीय आयोजन करबाक लेल आगाँ अबैत छैक। प्राज्ञ रमेश रंजन झा समान विज्ञ आ अनुभवी नाटक विभाग प्रमुख द्वारा विराटनगर केर मैथिली कार्यक्रम सँ प्राप्त उपलब्धिक संग सहकार्य करैत विधापत नाच केर रिसर्च आ मंचीय प्रस्तुति, उड़ाँव भाषाक रिसर्च आ मंचीय प्रस्तुति आदि विभिन्न कार्यक्रम लेल विराटनगर, इनरुवा आदिक स्थान चयन कयल जाइत अछि। विराटनगर केर गुरुकुल मे आयोजित नाटक मे दर्जनों मैथिलीभाषी रंगकर्मी आइ नेपाली, मैथिली आदि भाषाक नाटक मे संयुक्त रूप सँ काज कय रहल छथि। रंगकर्म क्षेत्र मे एहि ठामक भविष्य उज्ज्वल अछि। हाल धरिक प्रदर्शन देश-विदेश धरि नाम पहुँचि चुकल अछि। षष्ठम् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता, पटना आ सप्तम् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाटक प्रतियोगिता, विराटनगर सँ लैत राष्ट्रीय नाचघर धरि मैथिलीक प्रतिनिधित्व कयनिहार एक रंगकर्मीक रूप मे हम ई दाबीक संग कहि सकैत छी जे आगामी समय एहि विधा पर कनेक राज्यक मदति आ कनेक समाजक मदति भेटि गेला सँ आरो नीक परिणाम सब देखय लेल भेटत।
लोकजीवन मे मैथिली भाषाक जैड़ आइयो ओतबे जीवन्त अछि
विराटनगर केर मुख्य मन्दिर जे शहरक बीच अवस्थित हो आ कि चारूकातक टोल आदि मे, ताहि सब स्थान मे धार्मिक अनुष्ठान पर आयोजित कीर्तन परम्परा मे मैथिली आइयो ओतबे सजीव आ सक्रिय अछि। ऐतिहासिक रथयात्रा मे मैथिली कीर्तनियाँ मण्डलीक कय गोट झाँकी अनिवार्य रूप सँ देखल जाइछ। सैकड़ों वर्षक इतिहास समेटने आ आ लगातार २५ वर्ष सँ प्रत्येक मंगल दिन कीर्तन आयोजन करयवला जतुवा (विराटनगर) केर श्रीरामजानकी आ रामेश्वर महादेव मन्दिर पर विद्यापतिक रचना सँ लैत मैथिलीक जन-जन केर कंठ मे बसल बहुत रास चर्चित भजन, नचारी, आदि गाओल जाइत अछि। जतुवाक दोसर टोल मे एखनहुँ एतेक पुरान लोक आ गायक भेटैत छथि जे ‘नारदी भजन’ झालि आ मृदंग संग नाचि-नाचि कय गबैत भेटि जाइत छथि। यादव समुदायक बहुल्यता रहल एहि जतुवा मे मिथिलाक प्राचीनता केँ एहि तरहें सहेजकय राखब सच मे अलौकिक लगैत अछि। लेकिन ऐगला पीढी मे ई परम्परा कोना पहुँचत तेकर अभाव खटकैत अछि।
मिथिलाक कय गोट लोकपरम्पराक नाच यथा विदापत नाच, दुलरादयाल, बंठाचमार, लोरिक आदिक गाथा वर्णन करयवला नाचक समूह आइ सँ १५ वर्ष पहिने धरि बखरी बगैचा मे कला प्रस्तुति करैत देखल जाइत छल। लेकिन रोजगार सँ ई सब विधा कटि जेबाक कारणे, आधुनिकताक धुन किछु बेसिये प्रचलन मे आबि जेबाक कारणे आब एहि लोकनाच केर कलाकार द्वारा ई सब छोड़ि देल गेल बुझाइत अछि। तथापि, खोज कयला पर एखनहुँ अन्तिम पीढीक कलाकार सब केँ ताकल जा सकैत अछि। राज्य केर सहयोग सँ हिनका लोकनि केँ एखनहुँ अपन लोकपरम्परा केँ शुरू करय लेल प्रोत्साहित कयल जा सकैत अछि। विराटनगर सँ पूब आ रंगेली सँ पर्यन्त पूब धरि आइयो दर्जनों एहेन सांस्कृतिक समूह भेटैत अछि जिनका द्वारा मिथिलाक ऐतिहासिक-पारंपरिक लोकनाच, लोककीर्तन, भगैत आदिक गायन आ प्रस्तुति कयल जाइत अछि।
मिथिला चित्रकला केर अवस्था सेहो बड़ा संतोषजनक मानि सकैत छी। तीनटोलिया मे कायस्थ समुदायक कतेको प्रशिक्षित महिला चित्रकार लोकनि एहि चित्रकलाक विधिवत् शिक्षा अपन ऐगला पीढी केँ दैत देखाइत छथि। प्रत्येक वर्ष चित्रगुप्त पूजा मे ई लोकनि विलक्षण प्रदर्शनी लगबैत मिथिला चित्रकला महिला वा पुरुष लेल एकटा नीक रोजगारक साधन सिद्ध भऽ सकैत अछि, ई सिद्ध करैत छथि। विराटनगर स्थित ‘जेनियल होटल’ जे हाल धरि सब सँ महंगा होटल मे गानल जाइत छल, ओहि ठामक इन्टेरियर डिजाइनिंग मे पर्यन्त मिथिला चित्रकला कयल तस्वीर सब देवाल पर देखल जा सकैत अछि। विद्यापति स्मृति पर्व समारोह केर माध्यम सँ हाल धरि ३ गोट उच्चस्तरीय मिथिला चित्रकला प्रदर्शनीक आयोजन कयल गेल जेकरा देखि तत्कालीन उपराष्ट्रपति परमानन्द झा एहि सम्बन्ध मे नेपाल सरकार सँ निजी सिफारिश कय एकर प्रोत्साहन लेल विशेष आग्रह करबाक वचन सेहो देने छलाह।
अन्त मे, मैथिलीक संचारकर्म सेहो मजबूत हो – एहि लेल अपन लुक्खी प्रयास मैथिली जिन्दाबाद केर चर्चा करैत एहि क्षेत्र मे सेहो आरो सबल लगानीकर्ता सब आबथि से कामना करैत छी।
हरि: हर:!!

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