Search

कि सब होयत, के सब औता – अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन जनकपुरधाम – २२-२३ दिसम्बर केँ

१६म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन – जनकपुरधाम
 
यैह २२ आ २३ दिसम्बर तदनुसार शनि आ रवि दिन नेपालक प्रदेश २ केर राजधानी जनकपुरधाम मे १६म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन केर आयोजन कयल जेबाक जनतब संयोजक राम भरोस कापड़ि ‘भ्रमर’ द्वारा देल गेल अछि। नेपाल आ भारत दुनू ठामक मैथिली भाषा-साहित्यक विद्वान् संग मैथिली-मिथिलाक अनन्य सेवक – सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिविद्, कवि एवं ग्रन्थकार लोकनि एहि मे सहभागी हेताह।
 
विदित हो जे २००३ मे यैह २२ दिसम्बर भारतीय लोकसभा (संसद) मे मैथिली भाषा केँ मान्यता देबाक महत्वपूर्ण बिल पास कयल गेल छल। आर, एहि भाषाक प्राचीनता सँ लैत एकर समृद्ध निजता केँ स्थापित करैत तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयीक नेतृत्व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) केर सरकार द्वारा भारतीय संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देलाक उपलक्ष्य मे ठीक एहि दिवस केँ भारत संग-संग नेपालहु मे ई आयोजन निरन्तरता मे अछि।
 
हिसाब सँ ई १५म आयोजन हेबाक चाहैत छल, परञ्च अन्य कोनो कारण सँ एकर गिनती १६म घोषणा कयल गेल अछि। प्राय: ई गलती पैछला वर्ष राजविराज मे आयोजित सम्मेलन संग १५म जुड़ि जेबाक कारण प्रतीत होइत अछि। मुम्बई मे २०१५ केर आयोजन १२म हिसाबे सेहो एहि बेरुक आयोजन १५ होयबाक पुष्टि होइत अछि। खैर, ई त तकनीकी पक्ष भेल। एकर आध्यात्मिक पक्ष जतेक वलिस्ठ अछि ताहि के सोझाँ तकनीकी पक्षक कोनो खास महत्व नहि छैक।
 
एहि वर्ष उद्घाटन सत्र मे प्रदेश २ केर प्रदेश प्रमुख (महामहिम राज्यपाल) डा. रत्नेश्वरलाल कायस्थ केर मुख्य आतिथ्य रहत। कहियो नेपालदेशक प्रथम राष्ट्रपति डा. रामवरण यादव सेहो कएने छलाह, भारतहु मे एक सँ एक महान व्यक्तित्व मैथिली भाषा आ साहित्यक संग मिथिलाक लोकक विद्वता आ राष्ट्रहित लेल समर्पण केँ सम्मान दैत एहि कार्यक्रम मे भाग लैत रहला अछि।
 
डा. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ एकर मूल संस्थापक छथि। डा. बैजू केर विजन, विचार आ विमर्शक नव-नव आयाम पर कार्य करबाक शैली सँ परिचित हर व्यक्ति हुनका सम्मान करैत छन्हि। डा. बैजूक नेतृत्व मे ओना त १९७१ ई. सँ मिथिलाक समग्र विकास लेल सैकड़ों आन्दोलन कयल गेल अछि, परञ्च मैथिली भाषा लेल दिल्ली धरिक संघर्ष आ वर्तमान समय भारतीय गणराज्य मे ‘मिथिला राज्य’ केर पुनर्स्थापनाक मांग पर अडिग रहैत भारतीय संसदक प्रत्येक सत्रक पहिल दिन ई जन्तर-मन्तर दिल्ली मे सांकेतिक धरना दैत छथि आ भारतीय गृह मंत्रालय अन्तर्गत प्रस्तावित नव राज्य मे मिथिला राज्य केर नाम सेहो सूचीकृत भेल अछि जाहि मे डा. बैजू केर भूमिका सेहो मुख्य छन्हि।
 
तहिना नेपाल सँ एहि सम्मेलन केर संयोजक राम भरोस कापड़ि ‘भ्रमर’ छथि जे निरन्तर एहि आयोजन मे अपन शक्तिशाली उपस्थिति सँ पोषण दैत एला अछि। भ्रमरजी सेहो ओतबे प्रभावशाली लेखक, विमर्शी आ नेतृत्व देबाक संग-संग नेपालक जानल-मानल प्राज्ञ जे प्रज्ञा प्रतिष्ठान नेपाल केर सेहो सदस्य बनिकय मैथिलीक प्रतिनिधित्व कएने छथि। मैथिली गीति-नाटिका जट-जटिन सहित विभिन्न नाटक आदिक लेखन सँ मैथिली साहित्य पुष्ट भेल अछि। हालहि हिनका द्वारा मिथिलाक लोकदेवता मानल गेनिहार राजा सलहेश पर सेहो शोधमूलक पुस्तक प्रकाशित भेल अछि। नेपाल केर वर्तमान भाषा-राजनीति मे भ्रमरजी द्वारा प्रदेश २ केर मुख्यमंत्री सहित केन्द्रीय कैबिनेट स्तरक नेतृत्वक समक्ष सेहो कय गोट ज्ञापन पत्र दैत प्रदेश २ केर कामकाजक भाषा मैथिली सहित भोजपुरी केँ बनेबाक कयल गेल अछि। प्रदेशक नामकरण मे सेहो एहि क्षेत्रक ऐतिहासिकता केँ सम्मान करैत मिथिला केँ समाहित करबाक हिनकर भाव उद्गार अबैत रहैत अछि।
 
एहि वर्षक सम्मेलन मे पुन: नेपाल सँ जुड़ल विषय प्राथमिकता मे रहत। संयोजक जी सँ हमरा आदेश भेटल अछि जे पूर्वी मिथिला क्षेत्र – यानि प्रदेश १ मे मैथिली-मिथिलाक गतिविधि पर कार्यपत्र राखय लेल, हम तैयारी कय रहल छी। एवम् प्रकारेण दर्जनों कार्यपत्रक प्रस्तुति आ विचार गोष्ठी सँ भरल रहत ई सम्मेलन। कवि सम्मेलनक सेहो विशाल इतिहास समेटने रहबाक कारण अहु वर्ष विशाल कवि सम्मेलनक आयोजन कयल जायत। सांस्कृतिक कार्यक्रम मे सेहो एक सँ बढिकय एक दिग्गज कलाकार लोकनि पहुँचैत छथि, निस्सन्देह सभ कियो पहुँचता। तहिना, एहि सम्मेलनक एकटा आरो बड खास आकर्षण होइत छैक जे भारतीय संविधानक अष्टम् अनुसूची मे सूचीकृत २२ भाषाक विद्वान् केँ ‘मिथिला रत्न’ उपाधिक सम्मान सँ सम्मानित करब। देखा चाही जे एहि वर्ष ई सम्मान किनका-किनका भेटैत छन्हि। हर तरहें मैथिली भाषा मे एकटा नव ऊर्जाक योगक्षेम होयबाक बात सुनिश्चित अछि।
 
किछु व्यवस्थापकीय चुनौतीक बात सेहो सुनल अछि, यथा जेसीज द्वारा एहि वर्षक वार्षिक सम्मेलन जनकपुर मे यैह तिथि केँ होयबाक कारण अतिथि लोकनिक आवास केर व्यवस्था मे समस्या भऽ रहल अछि। लेकिन मिथिलाक लोक, पहुनाइये करबाक हिसाबे घरे-घरे २-४ गोटा कय केँ एडजस्ट करता त काज नीक सँ होयत। अयोध्याक ओतेक बरियाती जखन ‘देवडीहा’ मे अँटि गेलैक, तखन मिथिलाक अपने लोक एहि पार – ओहि पार केर कियैक नहि अँटतैक! आ ताहि पर सँ स्वयं जानकी-राघव आ गौरी-शंकर कार्यक्रम देखय अपने रहथिन, कोनो चिन्ताक बात नहि छैक। शुभकामना, शुभे हो शुभे!!
 
हरि: हर:!!

Related Articles