विशेष सम्पादकीय
‘कातिक धवल त्रयोदसी जान, विद्यापतिक आयु अवसान’ – एहि पाँति सँ निकलल अछि विद्यापति स्मृति दिवस यानि कार्तिक मासक शुक्ल पक्षक त्रयोदसी तिथि केँ महाकवि विद्यापतिक अवसान दिवस यानि पुण्य तिथि होयबाक मान्यता स्थापित अछि। एहि वर्ष २१ नवम्बर केँ विद्यापति स्मृति दिवस पड़ल। पूरे विश्व मे रहनिहार मैथिलीभाषी महाकविक पुण्य तिथि केँ बड पैघ सम्मान सँ स्मृति मे अनैत छथि। कतेको जगह पैघ-पैघ आयोजन सेहो कयल जाइत अछि। चूँकि मैथिली ओतबा प्राचीन भाषा मानल जाइत अछि जतेक मिथिलाक सभ्यता आ संस्कृति, ताहि लेल वर्तमान समय धरि जन-जन केर कंठ मे विराजमान एकमात्र जनकवि विद्यापतिक महत्व मैथिलीक पर्यायवाची शब्द जेकाँ स्थापित भऽ गेल अछि।
एहि वर्षक आयोजन बहुतो ठाम बहुतो तरहक भेल, भेल होयत। मुदा आजुक संपादकीय मे स्थान लय रहल अछि ‘राजविराज’ मे सम्पन्न ‘विद्यापति स्मृति पर्व २०७५’ आर आयोजक ‘मिथिला साहित्य-कला प्रतिष्ठान नेपाल’ केर पहिल वार्षिकोत्सव पर राखल गेल विभिन्न साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक कार्यक्रम। ‘हेल्प मधेशी सउदी अरब’ केर मुख्य प्रायाेजनमे अायाेजन कयल गेल एक दिवसीय मैथिली कार्यक्रम मे अत्यन्त सारगर्भित आ उपयोगी सत्र सभ केँ समेटल जेबाक विलक्षणता देखल गेल। वगैर कोनो तामझाम आ आडंबरी-देखाबा केँ साधारण एक सरकारी विद्यालयक छोट सन सभागार मे कुल १५२ गोटाक महत्वपूर्ण सहभागिता सँ भरल रहल ई आयोजन।
२०७५ अगहन ०८ गते (शनि दिन) भोरक ११:०० सँ साँझक ०७:३० धरि स्थान: श्री प. वि. मा. वि. राजविराज मे सब सँ पहिल कार्यक्रम छल – “मा. वि. जिला स्तरीय ‘मैथिली वक्तृत्वकला प्रतियोगिता’ (शीर्षक: ‘मैथिली भाषाके विकासमे युवाक भूमिका’)”। एकर अध्यक्षता कयलनि सभाध्यक्ष रवेन्द्र रवि आ उद्घोषकक भूमिका निभेलनि गजेन्द्र गजुर जखन कि विराटनगर (मोरंग) सँ पहुँचल मैथिली-नेपाली साहित्यकार शिव नारायण पंडित ‘सिङ्गल’ एहि सत्रक मुख्य अतिथि रहलाह। तहिना निर्णायक मंडल मे विन्देश्वर ठाकुर, बन्दना मिश्र, श्रीराम मंडल छलाह आर कुल १८ गोट प्रतियोगी मे सँ विजेता प्रथम साक्षी संस्कृति (पिस जोन स्कुल), द्वितीय संतोष यादव (शिवस स्कूल) आ तृतीय स्थान पेलनि एकता झा (लिटिल फ्लावर); संगहि सांत्वना पुरस्कार अमन कुमार यादव (नरेन्द्र मेमोरियल बोरिया) केँ देल गेलनि।
दोसर सत्र मे “मा. वि. जिला स्तरीय ‘मैथिली कविता प्रतियोगिता'” कार्यक्रम छल जेकर अध्यक्षता सभाध्यक्ष किरण झा, प्रमुख अतिथि सतीश सिंह, उद्योषक शम्भू श्री, निर्णायक मंडल मे महेन्द्र मण्डल ‘वनवारी’, कर्ण संजय, बन्दना मिश्र आर अहु सत्र मे कुल प्रतियोगी १८ गोटा छलाह, जाहि मे विजेता प्रतियोगी मे पहिल स्थान आभाष मण्डल ( मनोकामना स्कूल), दोसर स्थान अभय यादव (प वि मा वि ) आ तेसर स्थान संगीता यादव (नरेन्द्र मेमोरियल) जखन कि सांत्वना पुरस्कार श्रेयान्स वत्स (प मा वि लौनिया तिलाठी) केँ देल गेलनि।
तेसर सत्र छल “मैथिली साहित्यिक गोष्ठी / साङ्गीतिक कार्यक्रम” केर जेकर सभाध्यक्ष रवेन्द्र रवि, उद्घोषक विद्यानन्द बेदर्दी, प्रमुख अतिथि पूर्व शिक्षा मन्त्री एवं माननीय सांसद रेणू यादव छलीह। प्रस्तुति मे २ दर्जन कवि/साहित्यकार/कलाकार लोकनि भाग लेलनि। दिव्यानन्द मिश्र, महेन्द्र मण्डल ‘वनवारी’, कर्ण संजय, शान्ति झा, किरण झा, ललिता झा, शिवनारायण सिङ्गल, विद्या झा ‘डेजी’, विन्देश्वर ठाकुर, रामसोगाराथ यादव, हृदयनारायण यादव, प्रवीण नारायण चौधरी, जय राम यादव ‘यदुवंशी’, बटुक ब्रह्मचारी, श्याम सुन्दर यादव, विष्णु मण्डल, रामाधीन साह सन्तोषी, शम्भू श्री, गजेन्द्र गजूर, इत्यादि कवि एवं कलाकार लोकनिक कविता तथा वक्तव्य राखल गेल। तहिना गायक मे सुभाष वीरपुरिया, रन्जीत झा, देवेन्द्र सोनी, कञ्चन झा, तेजू मैथिल, सुष्मा झा, मो मुखतार आलम, केशव कर्ण, शशी झा, इत्यादि द्वारा भव्य प्रस्तुति देल गेल।
विद्यापति स्मृति पर्व केर चारीम सत्र मे ‘दीनाभद्री नाच प्रदर्शन’ कार्यक्रम छल जेकर सभाध्यक्ष रवीन्द्र रवि, संयोजक सुभाष वीरपुरिया, प्रमुख अतिथि मे सखी-बहिनपा संस्थापक आरती झा तथा उद्घोषक विद्यानन्द बेदर्दी रहलाह। दीनाभद्री मुशहर समुदायक लोकदेवता मानल जाइत छथि जे जोरावर सिंह समान क्रूर आ मजदूर शोषक सँ संघर्ष कयलनि आ उचित हक प्राप्ति केर एकटा अत्यन्त चर्चित वीरगाथा बनौलनि। एकरा सांगीतिक नाटिकाक रूप मे नटुआ नाच मार्फत प्रस्तुत कयल गेल।
ई भेल पूरा कार्यक्रमक व्योरा आ एहि मे सहभागिताक स्तर देखि स्वत: अन्दाज लगा सकैत छी जे कोन गंभीरताक संग एकर तैयारी कयल गेल, कतेक सुनियन्त्रित ढंग सँ प्रस्तुति पूरा कयल गेल। आर एहि सब लेल समस्त श्रेय युवा संयोजक विद्यानन्द बेदर्दी, गजेन्द्र गजुर, सुभाष वीरपुरिया, तेजू मैथिल सहित बस गोटेक लगनशील युवा केँ देल जा सकैत छैक। कहबी छैक न – मैथिली आ मिथिला लेल कथमपि ‘कार्यकर्ता’ बनायल नहि जाइत छैक, जानकीतत्व स्वत: लोक मे प्रवेश कय जाइत छैक आर ओ जनक-जानकीक मिथिला – युगों-युगों सँ जीबित सभ्यताक स्वस्फूर्त स्वयंसेवा मे लागि जाइत अछि। यैह कहाबत एहि युवा संयोजनकर्ता सब पर अक्षरश: लागू होइत छैक। कार्यक्रमक शीर्षक आ सहभागिताक अलावे मातृभाषा प्रति कर्तव्यनिर्वहनक निष्ठा सेहो देखय योग्य छैक। कतेको ठाम लोक केँ मौका भेटि जाइत छैक ई कहय लेल जे अगबे बाभन-काइथ आगू रहैत अछि मैथिली-मिथिलाक कार्यक्रम मे, लेकिन क्रान्तिभूमि सप्तरी एहि दाबी केँ सिरे सँ खारिज कय देलक अछि।
एकटा भाषा-संस्कृति अभियानीक तौर पर कनी देरिये सँ लेकिन हमहुँ उपस्थित भेल रही। दर्शक दीर्घा मे छेहा युवा आ छात्र-छात्राक संख्या देखलहुँ। तहिना दूर-दूर सँ भाग लेबय एला हेल्प मधेशी प्रायोजक संस्थाक अध्यक्ष, कवि एवं मैथिली अभियानी विन्देश्वर ठाकुर, मैथिली विकास अभियान विराटनगरक अध्यक्ष पंकज वर्मा, संचारकर्मी एवं मैथिली अभियानी-साहित्यकार श्याम सुन्दर यादव पथिक आ अनेकानेक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व सब एहि कार्यक्रम मे भाग लेबय आयल देखि हृदय मे अत्यन्त हर्ष भेल। खाली देखाबा आ तामझाम सँ बहुत दूर राजविराजक कार्यक्रम मौलिक विषय-वस्तु केर हितचिन्तन करैत बुझायल। एना लागल जे मैथिलीक भविष्य एहने युवा पीढीक हाथ मे एकदम सुरक्षितो अछि आ सब रूढिवादिता केँ खत्म करयवला क्रान्तिकारी सेहो। हमर अपन जे विश्वास अछि कि एहने-एहने समर्पित सपूत पर स्वयं जानकीक कृपा ओहिना रहैत छैक जेना ओ हनुमानजी केँ लंकाक अशोक वाटिका मे दु:खक घड़ी श्रीरामक सन्देशरूपी मुन्द्रिका भेंट केलापर देने रहथिन – कहय छै न ‘राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा’ तथा ‘अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता – अस वर दीन्ह जानकी माता’ – हम दाबीक संग कहि सकैत छी जे एहि सपूत सभपर जानकी सदैव प्रसन्न रहती।
हरि: हर:!!