माय लग बच्चा – बच्चा आजीवन
– डा. मित्रेश्वर चौधरी ‘अग्निमित्र’
“नानाजी,”
“हाँ रिमिल”
“सब बच्चा के होयत छैक माय?”,
“हाँ रिमिल, नहि तऽ
रुसला पर के बौंसतैक,
के करतैक दुलार-मलार,
के नुकौते आँचर मे, बेर-कुबेर,
के खुऔतै-पिऔतै, निहोरा कय-कऽ,
सभ माय केर भरोसें –
काज नाना प्रकारक, टहल-टिकोरा,
बच्चा तऽ बच्चे ना,
सदिखन चाही सुरक्षा कवच,
आ’ सभ दशा मे –
फूलप्रूफ प्रोटेक्शन छय माय”
“नानाजी बूढ-पुरान के माय नहि होयछि”
“रिमिल! माय नहि रहने,
बूढ भऽ जायत छैक लोक,
माय लग रहैत
नहि कय सकैछ स्पर्श
कनियो, रत्ती भरि,
माय लग बच्चा
बच्चा आजीवन!”
– अग्निमित्र, १०/०५/२०१५
विदित हो जे डा. मित्रेश्वर चौधरी ‘अग्निमित्र’ एक प्रखर हिन्दी कविक संग इतिहासक प्राध्यापक सेहो छथि। मैथिली एवं हिन्दीक प्रख्यात रचनाकार राजकमल चौधरीक भ्रातावर्ग – हुनका सँ एतबे विशेष लगाव जे मुखाग्नि तक महान् कविक पार्थिव शरीर केँ हिनकहि हाथ सँ पड़ल छल, निश्चित रूप सँ आइ मदर्स डे पर मातृभाषा मैथिली लेल ई रचना सौंपि समस्त मैथिलीभाषी केँ चीर-प्रतिक्षीत उपहार सौंपि आगामी समय मे निरन्तर आरो बेसी योगदान देबाक आशा बन्हौलनि अछि। अपने संग २५ जनबरी, २०१५ दिन जमशेदपुरक मैथिली महायात्रा मे भेंटघाँट आ ओहि कार्यक्रमक प्रमुख आतिथ्य प्रदान करबाक लेल घाटशीला सँ जमशेदपुर अयबाक कृपा सँ सदैव कृतज्ञ प्रवीणक ई सौभाग्य कहि सकैत छी जे ३ मई केँ पुनर्स्मृति मे देल जे मंचसँ प्रतिबद्धता प्रकट करैत मैथिली महायात्रा कार्यक्रम केँ कहने छलाह, “आब मैथिली भाषा केँ सेहो गुणस्तर भरल किछु सृजनशील रचना देब”, ताहि अनुरूप आजुक दिन ई योगदान श्री अमित आनन्दक मार्फत जानकारी पाबि आह्लाद सँ भरल एतय राखि रहल छी।
– प्रवीण नारायण चौधरी, मैथिली जिन्दाबाद!!