सन्दर्भ – एक बेहतरीन लगानी सँ निर्माण कयल गेल फिल्म लेल दर्शक गौण
विशेष सन्दर्भ – इतिहास मे पहिले बेर नेपाल आ भारतक दर्जनों सिनेमा घर मे एक साथ रिलीज्ड मैथिली फिल्म – “प्रेमक बसात”

समाचार संपादक आ स्वयं फिल्म विशेषज्ञ किसलय कृष्ण सँ काफी लंबा चर्चा भेल एहि सब विन्दु पर। बहुत सकारात्मक आ प्रसन्नता सँ भरल ओ कहलनि जे ‘प्रेमक बसात’ पूर्वक कतेको रास भ्रान्ति आ मिथक केँ तोड़ि देलक। फिल्म निर्माता लोकनिक एक मुख्य शिकायत जे मैथिली फिल्म देखेबाक लेल हौल नहि उपलब्ध कराओल जाइत अछि से गलत सिद्ध भेल। एक संग दुनू देश केर अनेकों सिनेमा हौल मे मैथिली सिनेमा लगेबाक विलक्षण इतिहास बनल। हमहुँ जोड़लियैन जे स्टोरीलाइन मे हिन्दू-मुसलमान बीच सेहो वैवाहिक ओ प्रेम सम्बन्ध बनि सकैत छैक से कल्पना एकटा मैथिली फिल्म देखेलक ईहो एकटा सकारात्मक सन्देश दैत छैक परिवेश मे….। मैथिल मुसलमान परिवार मे शिक्षा-दीक्षा, आर्थिक सबलता आ स्वाभिमानक संग हिन्दू समाज संग सहकार्य आ सौहार्द्रताक कय गोट स्थापित भ्रान्ति केँ भंग करबाक क्रान्तिकारी संवाद संचरण करैत अछि ई ‘प्रेमक बसात’। हमरा त नाव मे झिरहैर खेलाय सँ लय कुसियारक खेत दिश गेनाय, मुरही-कचरी सँ भरल जलपान, ती-ती खेल, आदि बहुत किछु एकदम नोस्टाल्जिक लागल – एक बेर लेल त मिथिलाक मौलिक दर्शक अवश्य गाम आ मिथिलाक अपन मौलिक जीवनप्रणाली मे बचपन मे डूबि जेब्बे टा करता। बहुत बात भेल। फिल्म केर कमजोर पक्ष सब पर सेहो चर्चा कयल। दर्शकक उदासीनताक कारण ताकब हमर मूल उद्देश्य छल। फिल्मक समीक्षा करय योग्य हम तऽ छी नहि… तखन किसलयजी तकनीक पक्ष सँ लैत अभिनय, निर्देशन, कैमरा वर्क, दृश्य संयोजन, आदि पर अपन राय राखथि – ओ कहलनि जे १ महीना बाद। एखन सिर्फ सपोर्टिव मोमेन्ट्स केर आनन्द लैत दर्शक केँ प्रोत्साहित करबाक पहर थिक। सच मे। एखन दर्शक केँ मैथिली फिल्म मे सेहो भरपूर मनोरंजन आ पारिवारिक परिवेश मे प्रेरणा लेबाक बेर थिक जाहि मे ई फिल्म एकदम सटीक अछि।
दर्शकक कमीक कारण कि?
मिथिलाक लोक केँ मनोरंजन चाही, एतुका संस्कृति मे गीत, नृत्य, आ उत्साहधर्मिता कुटि-कुटिकय भरल छैक। तखन जतय-जतय सिनेमा लागल अछि ताहि ठाम दर्शक कतेक पहुँचल – एहि विन्दु पर उपरोक्त सिनेमा पर्यन्त दर्शक केँ नहि आकर्षित कय सकल एकर कारण कि सब भऽ सकैत छैक?
१. सिनेमा हौल मे ‘मैथिलीभाषा’ केर दर्शक सिनेमा नहि देखैत अछि। – एक दर्शक काल्हि हमरा संगे सिनेमा देखैत काल कहलनि। ईहो विन्दु सोचयवला बुझायल।
२. पूरा शहर मे प्रचारक अभाव भेल। – किछु लोक-समाज केर ई कहब रहनि जे पते नहि चलल। यानि, कोनो विशेष भाषाक फिल्म लागल तऽ राम भरोसे हिन्दू होटल जेकाँ दर्शक केर अपेक्षा राखब सच मे गलत आ फिल्म केँ नहि चलय देबाक एकटा पूर्वाग्रह सेहो भऽ सकैत छैक।
३. फिल्म केर स्टोरीलाइन मे ‘हिन्दू-मुसलमान’ केर बीच प्रेम-सम्बन्ध सँ दर्शक केँ रुझान नहि भेल, हिन्दू अपनहि ताल मे, मुसलमान अपनहि ताल मे – तखन लेखक केर कल्पना आ निर्माताक निर्णय जे ओहि फिल्म केँ बाजार मे उतारब – ई व्यवसाय केर दृष्टि सँ एकदम गलत आ औचित्यहीन लगानी भेल।
४. भोजपुरी फिल्म जेकाँ एहि मे खाली गीते-गीत भरल अछि… मारिपीट, एक्सन, थ्रील, आ फ्लो केर कमी सँ दर्शक केँ जे मनोरंजनक आम अपेक्षा रहैत छैक से नहि भेटल। एक दर्शक केर प्रतिक्रिया छल ई। जखन कि फिल्म केर व्यवसायिकता लेल दर्शक द्वारा प्रशंसा सर्वोच्च विज्ञापन होइत छैक…. तखन हमरा ई बात किछु बेसी जँचल जे देखनिहार यदि शिथिल पड़ि गेल तऽ ओ कि आ केकरा कहत जे जाउ ई सिनेमा अहाँ सेहो देखू।
५. एकटा विज्ञजन कहलनि जे लेखक आ निर्देशक किछु बेसिये महात्वाकांक्षी भऽ गेल छथि एहि फिल्म मे…. जे मामा अपन पति सँ बिछुड़ल बहिनक बेटा यानि भागिन केँ डाक्टरी पढबति छथि से मामा भागिनक गाम आबि एकटा मुस्लिम लड़की संग प्रेम भेलाक बाद विलेन केर भूमिका मे आबि जाइत छथि। एक पिताहीन डाक्टर बनल तेज-तर्रार पुत्र केँ बुलेट पर मित्र सब संग मटरगस्ती आ गामहि मे भौजी-भौजीक खेल करैत देखायल जाइत छैक… आदि। बहुत रास विन्दु पर ओहो टोकलनि। हम कहलियैन जे नाटक जेकाँ बुझू…. ओ जोरदार ठहाका मारिकय कहय लगलाह जे सीन रहतय कुसियारक खेतवला, ओतय आओत कालेजिया छौंड़ा-छौंड़ी बाकायदा हाथ मे एन्ड्राइड सेट आ चाहक दोकान लगक चौतारी आ बुलेट गाड़ीक सवारी… काफी किछु अप्राकृतिक लागल। आदि।
ई गोटेक विन्दु सच मे ईमानदारी सँ सोचयवला लागल। विराटनगर मे एहि फिल्म केँ उतारि देल गेल अछि आइ सँ। लेकिन मधेपुरा सँ बहुत जोशगर समाचार कुमार आशीष केर कलम सँ प्रभात खबर मे देखल। जनकपुर सँ श्रीमान अयोध्यानाथ सर दु-दु बेर सिनेमा देखबाक बात लिखलनि। दरभंगा सँ ओमप्रकाशजी सेहो जैमकय एहि फिल्म-निर्माण मे निर्माता-निर्देशक-लेखक आदिक प्रशंसा कयलनि अछि। आरके दीपक भाइ बिरौल सँ खूब शानदार ढंग सँ आगाज कयलाक बाद पुन: दर्शक केर मांग पर फिल्म कतहु उचित ढंग सँ ठाढ नहि भऽ पेबाक असन्तोष जाहिर केलनि। बीरगंज सँ सेहो दर्शक लोकनिक काफी रास प्रतिक्रिया आबि रहल अछि। सकारात्मक आ नकारात्मक पक्षक बीच निर्माता-निर्देशक आ लेखक-संयोजक-परिकल्पक सब केँ बहुत धन्यवाद। अभिनय पक्ष मे सब एक सँ एक अभिनय करैत देखायल। हिरो-हिरोइन सेहो नीक अछि….! डायलाग सेहो प्राकृतिक बोली आ परिवेश अनुरूप प्रयोग कयल गेल तेना लागल। साउन्ड ईफेक्ट मे आजुक दर्शक केँ धुम-धड़क्काक आदति लागि गेल अछि से कनेक कम लागल। हर तरहें सकारात्मक पक्ष बेसी लागल। मैथिली फिल्म प्रति दर्शक केँ आरो बेसी जोड़बाक काज लेल हम संचारकर्मी सेहो अपन भूमिका निरन्तर निभाबी…. एहि अपेक्षाक संग अपन प्रतिबद्ध सहयोग दैत रहबाक वचन दैत एहि लेख केँ एतहि विराम दैत छी।
हरि: हर:!!