शाश्वत मिथिला – अहमदाबाद केर अभियन्ता आ प्रबुद्धजन श्री राजकिशोर झा केर विशेष प्रेरणा सँ वर्तमान प्रवासी मिथिला समाज लेल एक विचार – ई लेख विशेष रूप सँ प्रवासी मैथिल व हुनका लोकनिक महत्वपूर्ण योगदानक मद्देनजरि लिखल गेल अछि। श्री राजकिशोर झा संग वार्ता आ सुझावक संग-संग स्थिति-परिस्थितिक नीक समीक्षा एहि लेख केर रचनात्मकता मे समाहित अछि। शाश्वत मिथिला द्वारा विभिन्न आयोजनक संग मिथिला-मैथिलीक प्रगति आ विकास लेल कतेको उपक्रम सभक समाचार पढैत आबि रहल छी, श्री झा संग भेल वार्ता आ परिणामक रूप मे निम्न लेख ‘प्रवासी मैथिल’ केर समग्र योगदान पर आधारित अछि।
प्रवासी मैथिल के छथि – सब सँ पहिने एहि सवाल सँ एहि लेख केँ शुरुआत करैत छी। देश-काल-स्थिति सँ मिथिलावासीक नियति बनि चुकल रोजगार आ जीविकोपार्जन हेतु जतेक कमासुत अपन देश-गाम छोड़ि परदेश जाइत छथि, अपन बौद्धिक सामर्थ्य, विद्याबल, पौरुष, श्रम, समय आ सोच सँ सब तरहक रोजी-रोजगार कय केँ अपना सहित पूरे परिवार आ समाज लेल उपार्जन करैत छथि – अपन जैड़ प्रति सम्मान आ जुड़ाव दुनू बनाकय रखैत छथि – तिनका लक्षित शब्द आयल अछि ‘प्रवासी मैथिल’। विगत कइएक दशकक आर्थिक अवस्था, कृषि, उद्योग, स्वरोजगार, आदि पर दृष्टि फेरल जाय तँ ‘दयनीयता’ सँ मिथिला अत्यधिक निजात पाबि गेल अछि, ई कहि सकैत छी। आर एकर संपूर्ण श्रेय पहिले आ बेसी अंश मे सिर्फ प्रवासी मैथिल केर योगदान केँ जाइत छन्हि। घरक समस्या केँ हिनका लोकनि जाहि तरहें आत्मसात कय अपन देश-कोस सँ बहुत दूर दोसर सभ्यता आ संस्कृतिक लोक संग रहिकय, अपन पौरुष आ विद्या सँ उपार्जन ई लोकनि लगलाह, आइ यैह पूँजी मिथिला लेल पहिल सम्बल बनल अछि। हालांकि एहि सँ बहुत रास कमजोर पक्ष सभक सेहो शुरुआत भेल अछि, परञ्च तुलनात्मक रूप मे सकारात्मक उपलब्धि बेसी देखल जाइछ। आइ मूल मिथिला मे वृद्ध-वृद्धा टा छूटल देखाय दैछ जेकरा परिचर्या करबाक लेल, समय पर दबाइ आ स्वास्थ्य सेवा देबाक लेल समस्या विकराल देखि रहल छी – परञ्च गाम-समाजक आपसी सौहार्द्र सँ नहि अपन त आनो लेकिन सब कियो मिलिकय बढि रहल देखाय दैछ। मूल समस्या भुखमरी, बेरोजगारी, बेकारी, अर्थहीनता – ई सब सँ बहुल्यजन मुक्त अछि। ताहि पर सँ राज्यक अनुदान आ सहयोग सेहो क्षेत्रक आर्थिक पिछड़ापण केँ बहुत हद तक सुधार दिश उन्मुख केलक अछि। शिक्षा प्रति जागरुकता सँ साक्षरता अत्यधिक प्रसारित भेल अछि। सरकारी विद्यालयक हाल खस्ता भेल तँ कि, निजी शिक्षा व्यवस्था दिश लोकक झुकाव सँ स्थिति मे क्रान्तिकारी बदलाव देखय लेल भेटैत अछी। टेलिविजन आ मोबाईल केर युग मे सड़क संचार, रेल संचार, हवाई यातायात – सब तरहक कनेक्टिविटी मे नीक विकास देखल जाइछ। हाथ पर पूँजी बढनाय माने क्रय क्षमता बढनाय आर पहिने जेकाँ अर्थक अभावक कारण सब किछु अभावहि मे जियबाक स्थिति आब नदारद भेल, कहि सकैत छी। उद्यमिताक दिश मैथिल समुदायक रुझान एक एैघ सकारात्मक बदलाव केर संकेत थिक जेकर दूरगामी परिणाम निकट भविष्य मे आरो नीक जेकाँ देखाय लागत। एहेन कतेको बैरंग क्षेत्र मे लगानीक नीक अवसर मिथिला मे देखल जाएछ जाहि मे हिनका लोकनि द्वारा पूँजी लगानी होयबाक प्रबल संभावना देखि रहल छी। यथा, मनोरंजन केर क्षेत्र मे मैथिली फिल्म आ वीडियो एल्बम, टेलिविजन चैनल्स, एफएम रेडियो, विज्ञापन एजेन्सीज, लोकल मीडियाक आनो-आनो रूप… एहि तरहक बहुतो रास सेक्टर मे लगानीकर्ता लेल नीक संभावना अछि। तहिना सर्विस प्रोवाइडिंग, सोफ्टवेयर डेवलपमेन्ट, आईटी पार्क, एमएसएमई, आदि मे सेहो सामुदायिक स्तर पर कार्य करब, सामुदायिक कृषि मे लगानी करब, पेयजल आपूर्ति व्यवस्था आदि विभिन्न क्षेत्र मे लगानीक मात्रा बढबाक उम्मीद अछि।
प्रवास पर जायब आजुक नियति थिक। अर्थशास्त्रक सिद्धान्त जहिना मनुष्यक आवश्यकता अनन्त कहैत पुनः साधनक उपलब्धता सँ मांग आ पूर्ति केर व्याख्या करैत अछि – ताहि मुताबिक मिथिलावासी आब गामहि केर चौहद्दी मे अभाव मे जीवन-निर्वहन करबाक पोंगापंथी नियम-निष्ठा सब केँ परित्याग कय केँ केहनो देश, केहनो स्थिति आ केहनो काज करबाक कूब्बत – कला अपना मे विकसित कय लेलक अछि। आर यैह सामर्थ्य एहि क्षेत्रक आर्थिक दुर्दशा केँ आइ कायापलट करय मे कारगर सिद्ध भऽ रहलैक अछि। आइ करीब ४ दशक सँ लोकपलायन मे तेजी सँ वृद्धि भेल तथ्यांक भेटैत अछि, घरही कमासुत निज मातृभूमि सँ दूर जा अपन परिवारक जीविकोपार्जन कमेबाक लेल बाध्य भेल अछि। वर्तमान पलायन केर युग हतोत्साहित करयवला रहितो, नव विकसित धारा सँ बहुतो रास नव-नव आशा बन्हायल अछि। आइ मिथिला मे भुखमरी आ आर्थिक दयनीयता नगण्य अछि। चुनौतीपूर्ण जीवन जियैत एतुका लोकमानस काफी सबल बनि गेल कहि सकैत छी। स्वरोजगार दिश शत-प्रतिशत सक्षम लोक उन्मुख देखल जाइछ। बेरोजगार आ कोढि लोक केँ समाज तिरस्कृत दृष्टि सँ देखैत अछि जाहि कारण आत्मबोध भेल व्यक्ति लोकलज्जा सँ पर्यन्त अपना लेल रोजी-रोटी कमेनाय अनिवार्य बुझैत स्वदेश (मिथिला) अथवा परदेश (प्रवासक स्थल) मे कोनो न कोनो तरहें अपना केँ स्थापित करैत दुनू ठामक सामाजिक उत्तरदायित्व निभेबाक भरपूर चेष्टा कय रहल अछि। एकरा आर्थिक क्रान्तिक संज्ञा देल जाय त उचित हेतैक।
मैथिल जनसमुदाय केर वैह प्राचीन-पौराणिक पहिचान ‘आत्मविद्याश्रयी’ जेकाँ वर्तमान चुनौती सँ लड़बाक कौशल आइ नीक ढंग सँ विकसित भेल देखैत छी। मिथिलाक माटि-पानि आ संस्कारक प्रभाव सँ प्रवासक कोनो स्थल मे मैथिल प्रजा प्रति अन्य समाज आ समुदाय बहुत सुख आ शान्ति सँ जुड़िकय आ देशक आर्थिक प्रगति कय रहल छथि। बौद्धिक कुशाग्रताक संग ईमानदारी आ निष्ठा सँ अपन १००% योगदान देनाय मैथिल श्रमिक सँ साहेब धरिक लोक लेल चिर-परिचित छैक। ओ कहबी ‘विद्याधन सर्वधनं प्रधानम्’ आइयो मिथिलाक लोक लेल पहिल आ अन्तिम सहारा कहि सकैत छी। भले आजुक दौर मे आध्यात्मिक शिक्षा, वेद-वेदान्त ओ कर्मकाण्ड संग तंत्र विद्या, मंत्र विद्या आदिक साधना मे मिथिला लगभग गौण भऽ गेल देखाइत हो, मुदा मेटेरियलिज्म (भौतिकतावाद) युग मे मेटेरियल शिक्षा आइयो मैथिल अपन प्रबल विद्या गुणसूत्र सँ ओतबे प्रखरता सँ हासिल करैत अछि ई बात टौप-टु-बौटम आ डिप्लोमैटिक्स, एरिस्टोक्रेटिक्स, शासक, प्रशासक, प्रबन्धक, निर्देशक, विशेष प्रभारी किंवा सूपरवाइजर वा लेबर – हर स्तर मे मिथिलाक जनशक्ति दक्ष आ योग्य हेबाक कारण अपन अलग अस्तित्व बनौने अछि। आर, यैह आत्मबल सँ मिथिलाक आर्थिक दयनीयता आइ सबलता मे परिणत भेल देखि रहल छी।
हालक किछु वर्ष मे पूर्वाधार विकास मे राज्य सरकारहु केर योगदान सराहनीय रहल अछि। शासन व्यवस्था मे उल्लेखनीय सुधार भेल अछि। सरकार द्वारा औद्योगिक विकास लेल जमीन अधिग्रहण, उद्योग क्षेत्र केर रूप मे परिणति तथा आकर्षक औद्योगिक नीति, टैक्स रिबेट्स आ कैपिटल सब्सिडीज आदि आफर कय केँ उद्योग लगेबाक वास्ते भूमि (प्लौट्स) आबंटन करैत रोजगारहु सृजनक दिशा मे नीक माहौल बनल अछि। आन-आन राज्य मे प्रवास कय नव-नव शिल्प आ दक्षता सीखिकय अपन राज्य मे लगानी करबाक नीक सुअवसर देखल जा सकैछ। पैघ-पैघ औद्योगिक घराना केँ सेहो कृषि उत्पाद आधारित उद्योग लगेबाक लेल, सामुदायिक स्तर पर माछ, मखान आदिक कृषिक संग-संग व्यवसायिक स्तरपर पशुपालन आदिक क्षेत्र मे सेहो नीक संभावना देखल जाइछ। मिट एक्सपोर्ट, प्रोसेस्ड फूड्स, कोल्ड स्टोरेज, आदि मे नीक लगानी सेहो कयल गेल अछि पैछला किछु वर्ष मे। कृषक केर पैदावार केँ सुरक्षा देबाक लेल आ नीक मूल्य भेटबाक लेल राज्य योजनाक विकास कयलक अछि। तहिना उन्नत बीज आ खाद केर उपलब्धताक संग ऋण आ बीमा केर व्यवस्था सँ लोक नगदी फसल उपजेबाक दिशा मे अग्रसर भेल देखाइत अछि। आजुक आर्थिक युग मे आर्थिक सबलता सँ दरिद्रता सँ निजात भेटि रहल अछि, निष्कर्षतः ई कहबा मे कोनो अतिश्योक्ति नहि। आर, एहि सब मे प्रवासी मैथिल लोकनिक योगदान – रेमिटैन्स इनकम सँ पूँजी निर्माण सेहो महत्वपूर्ण भूमिका खेला रहल अछि। प्रवासक जीवन बेस कठिनगर होइतो चुनौती सँ नव संभावनाक विकास केर अवसर बनल। प्रसन्नताक सीमा नहि रहि जाइछ जखन प्रवासक क्षेत्र मे मैथिल जनसमुदाय द्वारा भाषा, साहित्य, संस्कृति, आपसी सौहार्द्र आ सामाजिकताक विकास संग राजनीतिक एकजुटता बनेबाक विभिन्न उपक्रम ओ आयोजन होइत देखैत छी। मिथिलाक समग्र सभ्यता केँ सनातनजीवी होयबाक पुख्ता प्रमाण भेटैत अछि एहि संघर्षमय परिस्थिति मे जीतक दिश बढल डेग देखिकय। ई संभावना सब मे दिनानुदिन वृद्धि होइत जा रहल अछि आर जनजागरण स्वराज्य प्राप्तिक दिशा मे सेहो बढब ‘जनक-जानकीक मिथिला’ फेरो संविधान मे सम्मानित ढंग सँ स्थान पाओत, ई संकेत भेटि रहल अछि।
गोटेक राजनीतिक विद्रुपता सँ निजात पेनाय मिथिलाक मुख्य जरुरत अछि आर ताहि दिशा मे सेहो प्रवासी मैथिल लोकनिक जागृति स्तर केर प्रशंसा करब जरूरी अछि। आइ विश्व परिवेश मे ग्लोबल फेमिलीक एक्टिव मेम्बर (सक्रिय सदस्य) बनिकय जाहि द्रुत गति सँ प्रवासी मैथिल अन्य भाषाभाषी आ संस्कृति मे पर्यन्त अपना केँ स्थापित कय नहि मात्र जीविकोपार्जन बल्कि प्रचूर पूँजी संकलन मे सेहो महारत हासिल कयलनि अछि, प्रवासहु केर क्षेत्र मे उद्योगपति, व्यवसायी, उद्यमी, प्रोफेशनल्स वकील, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट, कंपनी सेक्रेटरीज, डौक्टर्स, इंजीनियर्स, आदि अनेकों क्षेत्र मे उल्लेखनीय स्थान बनौलनि अछि – एहि सँ स्पष्ट होइत अछि जे टैलेन्ट्स रहैत ओकर उपयोग सही स्थान पर नहि होयत तऽ आर्थिक पिछड़ापण आ अभाव मे जीवन जियबाक नियति सँ मुक्ति नहि भेटत। संगहि, आइ प्रवास पर रहनिहार मैथिल समुदाय जाहि गति सँ अपन भाषा (मैथिली) आ संस्कृति (मिथिलाक महत्वपूर्ण परम्परा, जीवनशैली, रीत-रेबाज, आदि) केँ अनुकरण आनो-आनो स्थान पर निभेबाक लेल सामूहिक प्रयास कय रहल छथि, ई सब बातक खुलिकय प्रशंसा आ चर्चा मिथिलाक मौलिक धरातल पर होयब जरूरी अछि। एखनहु लगभग ३०% जनसंख्या जे मिथिलाक मूल धरातल पर रहि रहला अछि, हुनका सब केँ प्रवासी मैथिल केर प्रगतिशीलता आ ताहि प्रति लगनशील आयोजन-प्रायोजन सँ सीख लेबाक अनिवार्यता देखि रहल छी। आइ यैह जागरुकताक कारण राजनीतिक सामर्थ्य पर्यन्त प्रवासहु केर स्थल मे बढि रहल अछि मैथिल समुदायक, तखन दिल्लीक विधानसभा कि संसद कि देशक कोनो राज्यक म्युनिसिपैलिटी कोरपोरेशन तक केर चुनाव मे मैथिल अपन परचम बाहरहु मे लहरा रहला अछि। मूल मिथिला मे जातिवादिताक रोपल बिया कोन तरहें प्रस्फूटित अछि से सब जनैत छी आर एकर लाभ केकरा भेटैत छैक ईहो सब केँ बुझल अछि।
जाहि मिथिलाक नाम मिथिलादेश – मिथिलाधाम सँ वर्तमान समय संकुचित होइत मात्र मिथिलांचल धरि पहुँचि चुकल अछि ताहि ठामक राजकीय आर्थिक पूर्वाधार ओ कारोबार आत्मनिर्भरताक मामिला मे अत्यन्त कमजोर भऽ चुकल अछि। स्वतंत्र भारत मे जाहि संविधान केर शासन सँ भारतीय संघ संचालित अछि, ताहि मे पूर्वक सामन्तवाद सँ निजात पेबाक लेल जाति-पाति आ छुआछुत केँ खत्म करबाक लेल आरक्षण तथा विभिन्न विशेषाधिकार आदिक तात्कालिक व्यवस्था कयल गेल जे कालान्तर मे वोट-बैंक पोलिटिक्स मे परिणति पओलक। मिथिलाक्षेत्र मे किंवा पूरे बिहार मे राजनीतिक शक्ति द्वारा सत्ता संचालन पद्धति अंग्रेजहु वा अन्य विदेशी सल्तनत द्वारा चलायल गेल सामन्ती व्यवस्था सँ बदतर आ लोक-समाज केँ आपस मे विखंडित कय जाति-आधारित वोट-बैंक मार्फत सत्तारोहण करब लेकिन अपन कार्यकाल मे कोनो उपलब्धिपूर्ण कार्य नहि कय लूट-भ्रष्टाचारी आ जातीय तुष्टीकरण मे बेसी लागि अपन सत्तालोलुपताक कार्य मात्र करबाक कारण सँ एहि क्षेत्रक जनता दिनानुदिन पिछड़ैत चलि गेल। ताहि ऊपर सँ बाढि आ सुखाड़ समान क्रूर प्राकृतिक आपदा, ताहू केर नाम पर सरकारी व्यवस्था द्वारा स्थायी राहत आ समाधान मे सिर्फ लूट-भ्रष्टाचार बेसी। विडंबनापूर्ण स्थिति तँ एहेन अछि जे मूल मिथिला धरातल पर सरकार आ जनता बीच नुका-चोरीक खेल आइयो सरेआम देखय लेल भेटैत अछि। लोकक मानसिकता एहेन छैक जे पब्लिक रास्ताक जमीन हो वा सरकारी गैर-मजेरुआ आम या खास – अतिक्रमण करब, सरकारी सम्पत्ति केँ पराया मानिकय ओकरा सुरक्षा नहि दय उल्टा नुकसान करब, काठक पूल जाहि पर सँ अपने आवागमन करैत छी तेकर लकड़ी चोराकय घरक धरैन आ कड़ी बनेबाक मनोदशा, आदि एतुका जनता मे विद्यमान् भेटैत अछि। अत्यल्प जनसंख्या राज्य केर हित आ राष्ट्रक हित लेल चिन्तन करैत अछि। राज्य पर आश्रित रहय तँ अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बेरोजगारी – यैह सब मात्र मिथिलाक लोक केर नियति बनत। धन्य कहू समस्त कमासुत प्रवासी मैथिल केँ जे अपन सुझबुझ सँ दरिद्रता केँ भगौलनि अछि, हुनकहि कला-कौशल सँ आइ मूल धरातल पर सेहो राजनीतिक जनचेतना प्रसार करब आर ताहि सिद्धान्त सँ राज्य केँ बाध्य करब तँ मिथिलाक दिन-दशा मे कतेक पैघ क्रान्ति होयत ई स्वतः सोचय योग्य आ बुझय योग्य बात थिक।
हरिः हरः!!