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मिथिला मिथिला सब करे – मिथिला लेल नहि कोइ

एमएसयू – एमएसयू – एमएसयू!!
 

चीनी मिल केँ फेर सँ खोलबाक लेल मिसू द्वारा आन्दोलन

ई आवाज हमरा भीतर सँ निकैल रहल अछि, खास कय केँ तखन जखन एमएसयू केर विषय मे तरह-तरह केर वहम (सन्देहास्पद बात) आ अहम (सदस्य लोकनिक गुन्डागर्दी आ जोर-जबरदस्ती) आदिक बात चारूकात बाजार मे पसैर रहल अछि।

 
भीतर सऽ हम पहिने बड़ा तमसायल रहैत रही एहि संस्था पर, बड़ा करुगर आ धरगर बात सब लिखैत रहलहुँ। मुदा हमर ताहि आक्रोश केँ अन्ततः हम स्वयं सेहो भितरिया डाह जेकाँ देखलहुँ…. डाह केहेन… तऽ हमरा सहित किछु अनन्य मित्र लोकनिक प्रयास सँ बनल मिथिला राज्य निर्माण सेना केँ ध्वस्त कय केँ एकरे किछु युवा सदस्य लोकनि “मिथिला स्टूडेन्ट यूनियन” बनेलक आ अपन मदर-आर्गेनाइजेशन “एमआरएनएस” पर तरह-तरह केर आरोप आदि लगेलक। हमरा व्यक्तिगत त फझेहतक तर कय देने छल, जासूस-चन्दाखोर-नक्सल-फक्सल सबटा बनि गेल रही। लेकिन न अपने पाप करी आ न पापी कहेबाक डर करी, ताहि सिद्धान्त पर एहि सँ कोनो प्रभाव अपना पर पड़ैत तऽ नहि देखल, लेकिन तरे-तरे अपन शिष्यवत्-अनुजवत् युवा मिथिला अभियानी सब सँ डाह आ ईर्ष्या भऽ गेल से बात अपन आत्मा कय बेर टोकि देलक…. आत्माक बात कथमपि गलत नहि होइत छैक। हम तर्क-वितर्क सब किछु केलहुँ… आइ ओ अहाँ सभक सोझाँ रखैत निष्कर्ष आजुक ई कहि दैत छी जे हम एमएसयू केर बड़का प्रशंसक भऽ गेल छी सब्जेक्ट टु…., आगू देखूः
 
आत्मा टोकलक एहि प्रश्न सभक संग
 
१. मैथिली-मिथिला लेल जमीन पर एमएसयू केर अलावा दोसर के यऽ यौ?
 
२. एतेक रास जे पंचायती आ जिला परिषद् या विधानसभा आ संसदीय प्रतिनिधि सब अछि तेकरा सब केँ मुंह पर कहियो अपन क्षेत्रक पहिचान ‘मिथिला’ शब्द कहियो अबितो सुनलहुँ?
 
३. विकास-विकास-विकास…. कि विकास लेल वर्तमान सरकारक योजना नहि छैक? आ से रहितो उपरोक्त चर्चित जनप्रतिनिधि अपनहि क्षेत्र संग कतेक न्याय कय पबैत अछि? यैह न जे ओ अपन एक टर्म मे विकास आ संरक्षण लेल प्राप्त सरकारी धन केँ कोनो बैइबे (बाटे) अपना जेबी मे टपाकय अपन अबैध सम्पत्ति बनाबैत अछि? अहाँ वा कियो एमएसयू मे दोष निकालनिहार कहियो केकरो विरोधो कय पबैत छी एहि सब बदनीयतपूर्ण लूट आ भ्रष्टाचार लेल?
 
४. कय टा पार्टी आ ओकर जमीन पर रहल क्षेत्रीय संगठन मैथिली भाषा, मिथिलाक संस्कृति, मिथिलाक विकास या जनप्रतिनिधि द्वारा भ्रष्टाचारी आदिक बात उठाकय कतहु विरोध प्रदर्शन आदि करैत देखायल आइ धरि? अहाँक अपनहि गामक मिडिल स्कूल केर छत लेल आबंटित पैसा खा गेल…. हेडमास्टर आ शिक्षा समितिक सदस्य गामहि केर लोक मिलिकय ई पाइ जे खेलक आ स्कूलक इमारत ओहिना नंग-धरंग पड़ल अछि – ताहि लेल कय गोट जनप्रतिनिधि या कोनो विरोध समूह या पार्टीगत संगठन या अहाँ स्वयं कतय-कि विरोध आ कि कोनो तरहक कार्रबाई केलहुँ-करेलहुँ?
 
ओह-हो-हो-हो…. हमर आत्मा हमरा बड़ा जबरदस्त प्रश्न सब पूछि रहल छल। हम मूरी लटकौने ठाढ रही। अपना सँ पैघ बेवकूफ दोसर कियो नहि… तेना भान होमय लागल छल। निरीह आ असहाय हम आत्मा सँ हाथ जोड़ि निवेदन कयलहुँ जे हे हमर परमात्मा! आब अहाँ आरो बेसी लज्जित जुनि करू। हमहुँ त अपन काज कइये रहल छी। जानकीभाव सँ प्रेरित रहि अपन मातृभाषा आ मातृभूमि लेल जतबे संभव अछि ततबे – मुदा करहे टा मे विश्वास रखैत छी।
 
आत्मा हमरा बौंसैत कहलक, “से नीक अछि। दोसरक निन्दा आ दोसरक दोष निकालय मे वीर बनय के आवश्यकता नहि छैक। अपना कि करय छी, कि करबाक अछि, ताहि पर ध्यान दियौक। जखन ई लागय जे केकरो किरदानी सँ अनिष्ट भऽ जेतैक, कोनो दोसर नीक कयनिहारक काज शिथिल पड़ि जेतैक, एहि सँ मिथिलाक बर्बादी आ विपन्नता आरो बढि जेतैक, तखन जरूर अहाँ अपन लिखबाक कला सँ जनचेतनाक प्रसार मे लागल रहबाक मुख्य कर्तव्य निर्वाह करू। लेकिन एना पूर्वाग्रही भावना सँ कथमपि कोनो कयनिहार वर्गक कयल-धयल पर पानि फेरबाक काज ओहिना नहि करू जेना ओ सब अहाँक कयल-धयल पर पानि ढारि कएने छल। ओकरा अपन किरदानीक पछताबा आब अपनहि नीक सँ भेल हेतैक। झूठ केँ बुझबय थोड़े पड़ैत छैक जे तूँ झूठ बजलें! ओ तऽ अपनो जनिते रहैत अछि जे हम त अन्ठेकानी बजलहुँ… लागल त लागल नहि खलिया बन्दुक भटाक्-भटाक्!!”
 
हम पूर्ण रूप सँ कन्विन्स्ड भेलहुँ। पुनः आत्मारूपी परमात्मा केँ प्रणाम कय एमएसयू-एमएसयू १०८ बेर लिखब, बाजब, से संकल्प लेलहुँ, कारण मिथिला लेल कयनिहार दोसर कियो कहाँ टिकैत अछि…. ओ सब टिकल अछि से बड पैघ बात भेल।
 
हमरे जेकाँ आरो किछु लोक सब डाह-ईर्ष्या आदि करैत अन्ठेकानी पंचे डेढ सौ लिखैत छथि मिसू केर बारे मे…. हम उपरोक्त तर्कशक्ति सँ कहि सकैत छी जे ओ सबटा खलिया बन्दुक भटाक्-भटाक् थिक। नो भाजपा – नो काँग्रेस – सिर्फ एमएसयू!! हँ, तखन जे एमएसयू फेर अनैतिक काज – जेना वोट मे ठेका-पट्टा करत, जे लव जिहादक सपोर्ट करत, जे दोसर केँ धमकी दय अपना केँ समाजक बीच गलत तरीका सँ स्थापित करत, हमर आत्मा तेहेन एमएसयू केर नाम लेबाक लेल आ कि जय-जयकार करबाक लेल कहियो नहि कहलक, नहिये कहत। ॐ तत्सत्!
 
हरिः हरः!!

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