विराटनगर, ४ जुलाई २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!
ओ कहाबत एकदम सच छैक जे मैथिली भाषा या मिथिला सभ्यता वा मैथिल पहिचान केर विशिष्टताक रक्षा हेतु ‘जनक’ समान नव-नव विधा मे काज कयनिहार कतेको रास वीर सपुत स्वस्फुर्त जन्म लैत रहैत अछि आर ओ अपन श्रद्धा, समर्पण, सद्बुद्धि सँ कोनो-न-कोनो सृजन कार्य करैत रहैत अछि। हालहि एकटा अत्यन्त महत्वपूर्ण सुकार्य श्री विजय देव झा द्वारा आरम्भ कयल गेल अछि। श्री झा अपन सुप्रतिष्ठित आ सुप्रसिद्ध सर्जक पिता – मैथिली भाषा-साहित्य केँ अनेकों वीरगाथा सँ सजौनिहार आ रक्षा हेतु अपन आजीवन योगदान देनिहार श्री रामदेव झा केर मूल्यवान् संकलन सँ, संगहि अपन जेठ भाइ श्री शंकर देव झा, श्री कृष्ण देव झा तथा विभिन्न अन्य सुपरिचित स्रोतादि सँ भेटि रहल अनेकानेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मैथिली पोथी सब कैम-स्कैनर सँ स्कैन कय पीडीएफ फोरमेट मे इंटरनेट पर गूगल आर्काइव मे सुरक्षित राखि मैथिली साहित्य आ पोथी मे रुचि रखनिहार लेल उपलब्ध करा रहला अछि। एखन धरि दर्जनों पोथीक आर्काइव हिनका द्वारा राखल जा चुकल अछि जाहि मे मैथिली भाषाक विभिन्न प्रसिद्ध सर्जक लोकनिक कृत्ति सुरक्षित कयल गेल अछि। विदिते अछि जे मैथिली भाषाक अनमोल पोथी सब आइ धरि सुसंगठित रूप सँ मार्केट मे वितरण-बिक्री योग्य नहि बनि सकल, नहिये कोनो उल्लेख्य संग्रहक कार्य भऽ सकल, एहेन मे नया पीढी लेल ई आर्काइव निश्चित बहुत पैघ सहयोग उपलब्ध कराओत। आगामी समय मे युनिकोडीकरण कय एकरा सबकेँ इंटरनेट पर सुरक्षित करबाक योजना रखने श्री विजय देव झा स्वयं एक सजग संचारकर्मी होयबाक संग मैथिली-मिथिलाक विभिन्न गतिविधिक नीक समालोचक सेहो छथि। काल्हिये निम्न लिंक पर आचार्य सुरेन्द्र झा सुमक कृत् ‘मन पड़ैत अछि’ नामक पोथी सहित किछु आर पोथीक नव आर्काइव तैयार कय आम मैथिली पाठक लेल राखल गेल अछि।
https://archive.org/stream/ManPadaitAchiSurendraJhaSumanAutobiography/Man%20Padait%20Achi%20Surendra%20Jha%20Suman%20Autobiography#page/n0/mode/2up
फेसबुक सँ अक्सर अपन बात हिन्दी मे राखि वर्तमान हिन्दियायल पीढी केँ पर्यन्त अपन अनमोल मातृभाषा सँ जोड़य मे माहिर श्री विजय देव झा द्वारा निम्न अपडेट लगायल गेल अछिः
क्लासिक मैथिली साहित्य के शलाका पुरुष सुरेंद्र झा सुमन का समग्र साहित्य अब डिजिटल वर्जन में पाठकों के लिए बहुत जल्दी उपलब्ध होगा। मुझे डिजिटल कन्वर्जन के लिए आशीर्वाद और सहमति दोनों ही मिल चुकी है. जिस महर्षि ने मैथिली साहित्य और भाषा आंदोलन के लिए अपना समग्र होम कर दिया हो उसे हम बिस्मृत नहीं कर सकते। इस समाद से नानाजी पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर को काफी हर्ष होगा। वह सुमनजी बाबा के नवरत्न गोष्ठी के आखिर नवरत्न हैं जो सुमनजी बाबा के लिए आज भी एकनिष्ठ हैं. निचे लिंक में मैंने सुमनजी बाबा से सम्बंधित कुछ चित्र अपलोड कर रखा है.
आचार्य सुरेंद्र झा ‘सुमन’ की दो अनुपम कृति ‘उगनाक दयादवाद’ (उपन्यास) और ‘मन पड़ैत अछि’ (आत्मकथा) का स्कैन कर archive.org पर पाठकों के लिए डाल दिया। जिन्हें रूचि हो वह पढ़ ले सकते हैं। मैथिली साहित्य की फुलवाड़ी पंडित सुमन के साहित्यिक पुष्प के बिना अधूरा है. आचार्य सुमनजी के पुत्र ब्रजेन्द्र झा सर के आशीर्वाद का आभारी हूँ। लिंक दे रहा हूँ.
https://archive.org/search.php?query=surendra%20jha%20suman
श्री विजय देव झा केर फेसबुक पेजक लिंकः
https://www.facebook.com/vijaydeojha
छात्रोपयोगी सामग्री सँ मैथिली भाषा-साहित्यक अनेकों मूल्यवान् पोथी आ हेराययल-भोथियायल सामग्री लेल कोनो इच्छूक मुमुक्षु पाठक निश्चित सम्पर्क कय सकैत छी।