उगना शंकर केर किछु सनेश

साहित्य

जनकपुर सँ उगना शंकर – युवा कवि अपन किछु रचना पठौलनि अछि। 

1.

मिथिलाक रीत अनमोल छै

संगहि मिठगर एतहके बोल छै
नहि बातमे ककरो झोल छै
भेटैत बारी तिलकोर , ओल छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
 
सभ लोक अपन नहि आन छै
सभ ठाँ दूरा दलान छै
पग पग माछ मखान छै
कोजगराक पान महान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
 
लोरीक सलहेश बलमान छै
विद्यापति गुञ्जित तान छै
सभ घर गोसाउनीक गान छै
उगना शँकर भगवान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै
 
जनक याज्ञवाल्कय अस्टाबक्र
जनमल सभ विद्वान छै
गौतम कपिल कनाद मैत्रेयी
एहि धर्ती केर सान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
 
खाड उत्तर छै हिमगिरी
दक्षिणो बहैत गंग महान छै
पूरब कोशी पश्चिम कमला
से अबिरल बहैत बलान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
 
धोती कर्ता खूब सजैय
पगरी पाग महान छै
सीया वियाहल पाहून हमर
स्वयम् श्री ओ राम छै !!
ते मिथिला हमर महान छै !!
 
जगत प्रसिद्ध मिथिला केर माटी
जग भरि गावैय गुणगान छै
ई माटी हमर महान छै
घर घर जनमैत विद्वान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
तें मिथिला हमर महान छै !!
2.
दुभिया जनमि गेलै, उगना बिसरिये गेलै
कि आहो रामा ! एहि बाट उगना मोरा आयत रे कि !
 
अँगना विरान भेलै , सुन्न दलान भेलै
कि आहो रामा ! पीसल भांग आब सुखायत रे कि ||
 
गर मोर सुखले रहलै, धार सुखाइये गेलै
कि आहो रामा ! ज’टाऽ सँ गंगाजल उगना लाओत रे कि ||
 
चानन दहाइये गेलै पाग हेराइए गेलै
कि आहो रामा ! हमरो सदा शिवके किओ देअल रे कि ||
3. 
कोन नगर कोना बास करै छथि
कएल कोना आराम रे
नित दिन एकहि नाम जपै छि
विद्यापति हमर महान रे ||
 
एहि जगमे हम अनाथ छलहुँ
विधनो हमर छल बाम रे
ओ कायाके मोल नहि कोनो
देलन्हि सदिखन नेह दान रे ||
 
गौरा गणपतिक मोह छुटल अछि
कार्तिक सेहो भेल आन रे
बीनु अन्न बसहा हुकरि रहल अछि
शिव भेलाह कोना विरान रे ||
 
हार शिबक गर्दनिके साँप
बिसरल फुफूकारक शान रे
मधिम भेल प्रकाश ओकर
चमकति छल दूतियाक चान रे ||
 
जट्टा बसल निर्मल गंगाके
छल अलगे गुमान रे
से पावन गंगा अछि सोचत
शिव धएलन्हि ककर धेयान रे ||
 
एखनहु उगना रहैय सुमिरति
हटबए नहि कखनो धेयान रे
भांग धथूर बेलपात माहूर भेल
विद्यापति बीनु नहि जलपान रे ||
 
जुनि करियौ मोर अँगना उदास हे गौरा
भेजू उगना मोर रखबनि नहि दास हे गौरा !!
 
बाट चलब कोना बीनु छाँहक पछोर
मोर उगनाके बैसब हम अपने अगोरि
सुखय नहि नयन टुटय आश हे गौरा
भेजू उगना मोर रखबनि नहि दास हे गौरा !!
 
ठोर सिनबे सडक बौक भेलय बसात
हम पुछबनि रोकि कोन बटोहीक बाट
मोन हुकरैय देखू कलेश हे गौरा
भेजू उगना मोर रखबनि नहि दास हे गौरा !!
 
नित पिसब भाँग तोरब बेलपात
जुनि करबनि हम आँखिक सोझा सँऽ कात
मोर सुद्धि लय दियौ महेश हे गौरा
भेजू उगना मोर रखबनि नहि दास हे गौरा !!
 
जुनि करियौ मोर अँगना उदास हे गौरा
भेजू उगना मोर रखबनि नहि दास हे गौरा !!