स्रोत: फेसबुक पर मिथिला आइडी द्वारा कैल गेल पोस्ट सँ
मई ३, २०१५ – रवि दिन!
आई भेल अहि सालक तीन टा पावैन केर अंत
1. सप्ताडोरा चैत मासक परिवा तिथि फगुआ सौं शुरू भऽ बैशाख केर अंतिम रवि दिन जे आइ छल अंत भेल। शुरू दिन तऽ बसिया, छनुआ, सोहारी जे फगुआ राति मे संपूर्ण पवित्रता सौँ बनैत छैक, नैवेद्य चढाओल जाइत अछि आ अंतिम दिन आइ टटका नैवेद्य अर्पण कैल जाइत अछि। मैथिल स्त्री संतान, संतति, संपत्ति केर रक्षाक लेल ई पावैन करैत छथि। संपूर्ण श्रद्धा-विश्वास सौँ हाथ मे दूईव लय सप्ता-विप्ता केर कथा श्रवण करैत छथि आ बैंह पर धारण करै वला डोराक पूजा कय खैध खूनि गाड़ि समापन करैत छथि।
2. रवि शनि अगहन केर रवि दिन सौँ शुरू भेल ई पावैन बैसाख केर अंतिम रवि जे आइ छल सौंपल गेल। पवित्रता सों ठकुआ बना फल मिठाई पान मखान आरतक पात अरघौती बद्धि सौँ डाली सजा नव कपड़ा सँ बान्हि पोखरीक घाट पर डालीक भीड़ लागि जाइत छैक। कियो-कियो जे जल मे ठाढ होइत छथिन सबहक डाली लय सूर्यदेव केँ अर्पण कय अर्घ्यदान कयल जाइत छन्हि। छह मासक भार आइ उतरल।
3. एकसंझा अगहन केर रवि शनिकेँ प्रथम अर्घ्य दिन सँ शुरू होइवला ई पावैन स्त्रीक लेल अति श्रद्धेय मानल जाइत अछि। मैथिल स्त्री पवित्रता सौँ बिना नून केर जेकरा जे भेल से बना दुपहर में ठौं कय नैवेद्य साजि धूप दीप जरबैत दिनकर केँ प्रणाम कय स्वयं भोजन ग्रहण करैत छथि । जलो नै दोसर बेर ग्रहण करैत छथि। फेर दोसरे दिन किछु ग्रहण करती। ई क्रम बैशाख धैर चलैछ। जावत फेर दिनकर केँ दोसर अर्घ्य नै देल जाइत अछि, से आइये छल। संतान पति परिवार केर रक्षाक लेल धर्म नगरी मिथिलाक स्त्री ई पावैन करैत छथि।
कठिन तप अपन मिथिलाक धार्मिक परंपरा सँ ओतप्रोत सनातन धर्म केर प्रमुख स्तम्भ छी। कियैक नहि, जाहि ठामक एतेक पवित्र सतत परसुखक लेल अपन जीवन अर्पित करै वाली स्त्री छथि ओ मिथिला भूमि कतेक पवित्र कियैक नहि हो। जय माँ जानकी! प्रणम्य अछि मैथिल केर संस्कार।