विचार
– शुभ नारायण झा

1. मिथिला क्षेत्र में जखन भाषा आ संस्कृति दम तोड़बाक स्थिति में छल त इएह पर्व मैथिली भाषा आ मिथिलाक संस्कृति के संरक्षण आ संवर्धन में महत्वपूर्ण गतिविधि सिद्ध भेल ।
2. मिथिलाक अनंत लोक संगीत आ कला विलुप्त होम लागल त इएह पर्व पुनः जगजियार क अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान देवा में सफल भेल ।
3. परदेशी मैथिल सब जे रोजगार हेतु पलायित भेला आ हुनका अपने देश के विभिन्न शहर में अल्पसंख्यक बुइझ जखन स्थानीय या अन्य क्षेत्रक लोक द्वारा अपमानित कयल जा रहल छल त इएह पर्व मैथिल के एकजुटता आ उचित पहचान देवा में सहयोगी भेल ।
4. इएह मिथिलोत्सवक परिणाम भेल जे आय देश के विभिन्न शहर में बहुत रास मैथिल सब पार्षद, विधायक आ सांसद इत्यादि लोकतन्त्रक प्रमुख बनि मिथिलाक मान बढ़ा रहल छैथ ।
5. हजारो मैथिल कलाकार के कलाकारिताक प्रदर्शन द्वारा रोजी रोटी में वरक्कत क संपन्न करैत राष्ट्रीय स्तर के कलाकार बनेलक ।
6. आय मैथिली भाषा केँ अष्टम सूची में नाम हो, दिल्ली में मैथिली अकादमी अही पर्वक देन मानू ।
7. मिथिला क्षेत्र में भले औद्योगिक विकास नै भेल हो किन्तु सड़क आ रेल के एतेक विकास सब अही पर्वक माध्यम एकजूटताक परिणाम थिक ।
8, बंगाल में जेना रविन्द्र नाथ ठाकुर के आगू राइख बंगाली साहित्य आगाँ बढ़ल तहिना हमहू सब विद्यापति के आंगां राइख अन्य साहित्य जगत के विभूतिक रचना के संरक्षण आ संवर्धन में सफल रहलौ ।
अहिना बहुत आर फायदा भेल जे अहुँ सबके ज्ञान में होमत जकरा माध्यम हमरा सबके अस्तत्वक रक्षार्थ इ उत्सव मिथिला के लेल उपयोगी सिद्ध होइत रहल अछि ऐ समारोहक माध्यम ।
इ बात अलग जे आब ओ समय आइब गेल जे सबटा ध्यान अहि परम्परा स हटा क मिथिलाक शिक्षा आ औद्योगिक विकास हेतु मात्र आन्दोलन के राह चलब आवश्यक अछि कारण आब इ समारोह अपन मूल उद्येश्य में सफल भेलाक बाद दिशाहीन भ गेल आ एकरा में विभिन्न प्रकारक ब्याधि लाइग गेल ।