विराटनगर, २८ मई, २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!
नेपालक पहिल राष्ट्रपति डा. रामबरण यादव द्वारा उद्घाटन – प्रथम दिवस मे वाचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम

फोटो साभारः धीरेन्द्र प्रेमर्षि
नेपालक राजधानी काठमांडू मे ‘चनमा’ आयोजन मिथिलाक जीवन ओ सृजन सँ जुड़ल विभिन्न सत्रक माध्यम सँ वक्ता लोकनिक वक्तव्यक संग सांस्कृतिक आयोजन करैत काल्हि संध्याकाल ८ बजे कमलपोखरी – अग्रवाल भवन मे सम्पन्न भेल।
गणतांत्रिक नेपालक पहिल राष्ट्रपति डा. रामबरण यादव द्वारा उद्घाटन – प्राज्ञ रमेश रंजन झा एवं मयूर फोसेट्स प्रा. लि. केर संचालक शंभुनाथ झा संग आयोजन समितिक अध्यक्षा बिभा झा केर मौजुदगी मे ई सत्र संपन्न भेल। पूर्व राष्ट्रपति डा. रामबरण यादव केर जीवनक एकमात्र महत्वपूर्ण उद्देश्य चुरिया क्षेत्रक संरक्षण आ पर्यावरणक चिन्ता जाहिर करबाक संग-संग कार्यक्रम लेल शुभकामना देने छलाह। अपन भाषणक क्रम मे मैथिली लिखय लेल नहि एबाक कारण चुरिया क्षेत्र सम्बन्धित जानकारी ओ नेपाली भाषा मे लिखिकय अनने छलाह जेकरा पढथि नेपाली मे आ बुझबथि मैथिली मे। एहि सत्रक अन्त अध्यक्षीय भाषण सँ भेल जाहि मे बिभा झा द्वारा ‘चनमा’ परिकल्पना मैथिली-मिथिलाक आन-आन कार्यक्रम सँ हँटिकय मिथिलाक जीवन ओ सृजन सँ जुड़ल यथार्थ विषय पर चर्चा-परिचर्चा करैत भविष्यक निर्माण मे ई सहायक होएक से भावना रखलीह।

फोटो साभारः धीरेन्द्र प्रेमर्षि
पुनः चुरिया क्षेत्रक संरक्षणक आवश्यकता कियैक, एहि विषय पर एकटा महत्वपूर्ण डक्युमेन्ट्री पावर-प्वाइन्ट प्रेजेन्टेशनक मार्फत विद्वान् अभियन्ता व शोधकर्ता विजय सिंह दनुवार द्वारा कयल गेल।
चनमा अर्थात् चनबा केर अपभ्रंश – जनसामान्य द्वारा प्रयुक्त शब्द जेकर आध्यात्मिक अर्थ होएत छैक शुभ कार्य ठनबाक समय कुलदेवीक विशेष पूजा-अर्चना आर ताहि क्रम मे भगवतीक पीरी ऊपर चनबा चढायल जाएत छैक। क्रमिक रूप सँ भगवतीक आराधना करैत हुनकर गोहारि होएत छन्हि। चनमा आयोजन मे सेहो विभिन्न सत्रक नाम भगवतीक आराधना सँ जुड़ल विभिन्न नाम यथा सिनरी, बलि-प्रदान, अष्टदल, आदि राखल गेल छल।
गोहारि अन्तर्गत नामी विद्वान् डा. सी. के. लाल ‘मिथिलाक एखनुक अवस्था आ आगामी दुइ दशकक भविष्य’ विषय पर अत्यन्त सारगर्भित विचार रखलनि। मिथिलाक वर्तमान समय भूगोलविहीनता केँ बड़ा दार्शनिक अन्दाज मे बखान करैत ओ वर्तमान समय विश्वक कोनो भाग मे दुइ मिथिला भाषाभाषी जतय ठाढ होएत छथि, वैह मिथिला भऽ जाएत अछि – ओ कहलनि। वर्तमान समयक मिथिलाक लगभग समस्त कमी-कमजोरी केँ बड़ा सहज भाषा मे प्रस्तुत करैत डा. लाल एकर निराकरण लेल हरित क्रान्ति (कृषि क्षेत्र मे सुधार), श्वेत क्रान्ति (पशुपालन आ दुग्ध उत्पादन), पियर क्रान्ति (मिथिलाक फल केर उत्पादन आ व्यवसायीकरण) आदि अनेकों महत्वपूर्ण सुझाव सब देलनि। पहिल दिनक भोजनावकाश उपरान्त ऐगला सत्र मे मिथिलाक अर्थव्यवस्था पर डा. सुरेन्द्र लाभ तथा डा. भोगेन्द्र झा अपन महत्वपूर्ण वक्तव्य रखलनि।
पुनः ‘अष्टदल’ शीर्षक मे कुल ८ गोट वक्ता द्वारा ८ अलग-अलग विषय पर प्रस्तुति देबाक छल। शिक्षा पर वरिष्ठ शिक्षाविद् रामनारायण प्रसाद मंडल, स्वास्थ्य पर अवकाशप्राप्त स्वास्थ्यकर्मी डा. शंभुनाथ झा, महिला सशक्तीकरण पर महिला अधिकारकर्मी एवं सामाजिक अभियन्ता माधवी कर्ण, बाल आ वृद्धक परिचर्या पर प्रसिद्ध साहित्यकार अजित आजाद, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आ मिथिला पर भाषा-संस्कृति अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी तथा मैथिली संचारकर्म पर वरिष्ठ संचारकर्मी तथा पत्रकार महासंघ केर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र झा द्वारा विचार राखल गेल।

फोटो साभारः धीरेन्द्र प्रेमर्षि
चनमाक ऐगला सत्र मे प्रियंका झा द्वारा एकल नाटक ‘कथा नै भेटल’ प्रस्तुत कयल गेल छल। कार्यक्रम मे बहुत रास कलाकार, वादक, गायक लोकनि सेहो भाग लेलनि जाहि मे अंजू यादव, ललित कापर, सुभाष बिरपुरिया, सुनील मल्लिक, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, रूपा झा, राखी झा आदि प्रमुख छलथि। सुभाष बिरपुरिया द्वारा भगैत शैलीक गीत गाबिकय सभा मे भरपूर उर्जा भरि देल गेल छल। अन्य कलाकार लोकनिक गायन सेहो अत्यन्त विलक्षण रहल।
मिथिला स्टुडेन्ट यूनियन केर अध्यक्ष हृदय नारायण यादव केर नेतृत्व मे दर्जनों सदस्य लोकनिक उपस्थितिक संग जनकपुर सँ पुनम झा मैथिल, राजविराज सँ करुणा झा, दिल्ली सँ अमित आनन्द तथा हैदराबाद सँ विकास झा सहित काठमांडू क्षेत्रक सैकड़ों मैथिल महिला तथा पुरुष लोकनिक सहभागिता छल। विभिन्न सत्रक संचालन धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा कयल गेल छल।
कि सब भेल दोसर दिन
चनमा कार्यक्रमक दोसर दिन ‘थाप’ नामक सत्र मे विद्वान् प्राज्ञ रमेश रंजन झा संग मिथिला राज्य संघर्ष समितिक संयोजक प्रा. परमेश्वर कापड़ि भाग लेलनि। जतय मिथिलाक साहित्य आ संस्कृति लोककला मे जीबित होयबाक महत्वपूर्ण सन्देश रमेश रंजन झा द्वारा देल गेल, साहित्यक संरक्षणक दिशा मे बेसी सँ बेसी प्रकाशन कार्य सभ दिस सभाक ध्यानाकर्षण कयल गेल, ओतहि प्रा. कापड़ि द्वारा मिथिलाक लोकसंस्कृतिक विभिन्न मौलिकताक महत्व पर सूक्ष्म दृष्टि सँ मीमांसा राखल गेल छल। अत्यन्त उत्साह आ उर्जा सँ भरल रहल ई सत्र आ सभासद लोकनि वक्ताक प्रस्तुति सँ गद्गद् देखेलाह।
दोसर दिनक दोसर सत्र मे मिथिलाक गीत-संगीत-नृत्य पर गुरुदेव कामत, माया पौड़ेल तथा सुनील मल्किक भाग लेने छलाह। गुरुदेव कामत शास्त्रीय संगीतक महत्व मे मिथिलाक स्थान आ एहि ठामक विभिन्न घराना सभक विषद वर्णन कयलन्हि, तहिना माया पौड़ेल द्वारा मैथिली भाषाक मिठासक कारण एहि भाषाक गीत पर नृत्यक आधुनिक नाच सँ बेसी भाव नृत्यक संभावना बेसी रहबाक बात कहल गेल। एहि सत्रक अन्त मे संगीतज्ञ होयबाक संग-संग एकटा गायक पर्यन्त रहला स्वयं सुनील मल्लिक द्वारा मिथिला मे गीत-संगीतक इतिहासक संग मानवीय संवेदना मे रीढक हड्डी गिटार जेकाँ रहबाक बात आर ताहि मे कुन्डली सभ गिटारक धुन केर अलग-अलग प्रकोष्ठ होयबाक अति-दर्शनपूर्ण सिद्धान्तक संग मैथिलीक गीत-नादक वृहत् संसार-स्वरूप पर विलक्षण प्रकाश देलनि। चनमा आयोजन केर सफलता एहि तरहक सत्र सभ सँ सिद्ध होएत रहल।
तेसर सत्र मे मैथिलीक समकाल आ नवतुरिया विषय पर हैदराबाद सँ आयल युवा कवि – अभियानी विकास झा अपन सारगर्भित मन्तव्य रखलन्हि। चारिम सत्र मे मिथिलाक लोकवेद पर प्रसिद्ध नाटककार महेन्द्र मलंगिया संग धीरेन्द्र प्रेमर्षिक बातचीत छल। भोजनोपरान्त पाँचम सत्र मे मिथिलाक राजनीति विषय पर चर्चित वक्ता व राजनीतिकर्मीद्वय प्रदीप गिरी एवं रामचन्द्र झा आयल छलाह। हिनका लोकनिक दृष्टि मे मिथिलाक राजनीति गौण अवस्था मे होयबाक कारण कोनो विशेष बात विषय सँ जुड़ल नहि बाजि मैथिली भाषाक रूप-स्वरूप आदि मे उच्च जातिक लोकक सहभागिता बेसी रहब व सामान्य जनवर्गक भाषा मैथिली नहि बनि सकबाक कारण मिथिलाक अपन कोनो राजनीतिक भूगोल तक नहि बनि सकबाक भाव राखल गेल छल।
वाचनक विभिन्न सत्र सम्पन्न भेलाक बाद तेजू मैथिल, अंजू यादव, अंजलि मेहता, तनुजा चौरसिया, राखी झा, सुभाष बिरपुरिया, सुनील मल्लिक, ललित कापर, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, रूपा झा, प्रवीण नारायण चौधरी आदि द्वारा अलग-अलग स्वादक मैथिली गीतक गायन सभ भेल। बीच मे अजित आजाद, धीरेन्द्र प्रेमर्षि तथा धर्मेन्द्र झा द्वारा कार्यक्रमक आयोजन पर टिप्पणी करैत चनमा समारोहक सफल व असफल पक्ष पर अपन-अपन समीक्षा सेहो रखने छलाह। अन्त मे अध्यक्ष बिभा झा द्वारा सब सहभागी लोकनि केँ धन्यवाद करैत कार्यक्रम समापन घोषणा कयल गेल।
आजुक कार्यक्रम मे मैथिली मचानक संचालिका डा. सविता झा खान सेहो दिल्ली सँ आबिकय चनमा मे भाग लेलनि। हुनकर अतिरिक्त आरो बहुत रास नामचीन व्यक्तित्व लोकनिक उपस्थिति रहल छल।
केहेन प्रभाव पड़ल दर्शक पर
मैथिली भाषाक सुसुप्त अवस्था मे ‘चनमा’ आयोजन एकटा नव उर्जा देबाक काज केलक। बहुतो रास श्रोता मैथिली जिन्दाबाद संपादक प्रवीण नारायण चौधरी सँ प्रतिक्रिया दैत कहलनि जे शीघ्र आरो आयोजन करैत अपन भाषा आ संस्कृतिक एकटा गहिंर आ प्राचीन भूमि काठमांडू केँ आरो जाग्रत बनायल जायल। मैथिल समाज केँ पुनः जागरण लेल सेहो किछु गोटा संकेत मे चर्चा कयलन्हि।
काठमांडू विशेषज्ञ समाजक प्रतिक्रिया – उदाहरणार्थ
कार्यक्रम संचालक धीरेन्द्र प्रेमर्षि – मैथिली-मिथिलाक एक प्रखर उद्घोषक, हेलो मिथिला कान्तिपुर एफएम रेडियो कार्यक्रम प्रस्तोता सँ एक प्राध्यापक किछु एहि तरहक अपील कएने छथिः
“काठमाण्डूमे सम्पन्न दुई दिवसीय ‘चनमा’ कार्यक्रम सम्बन्धमे हमर प्रतिकृया सम्बन्धित वर्गमे पहुंचा देबाक हमर आग्रह । हमर प्रतिकृया:
मयुर फोसेट्सके प्रायोजनमे भ रहल दुइ दिवसीय कार्यक्रम “चनमा”के प्रथम दिनके कार्यक्रम, जे कि श्रीमती विभा झाके अध्यक्षतामे सम्पन्न भेल, मिथिला आ मैथिलीके संरक्षण, संवर्धनके लेल एक प्रशंसनीय कदम छियैक जाहिके लेल प्रायोजक आ सम्पूर्ण उपस्थित बुद्धिजीवी वर्गकेँ हमर साधुवाद ।
मुदा एहि कार्यक्रममे हमरा मूलत: दुइटा चीजक अभाव कनि खटकैवला नजरि आयल:
प्रथमत: विना साजके आवाजके आगाज आ द्वितिय कार्यपत्र प्रस्तुतिमे श्रोतागणके जिज्ञासा शान्त करवाकलेल प्रश्नोत्तर वला समयके कटौती ।
कार्यक्रम आयोजकके लेल निर्धारित समयमे सब इच्छुक प्रस्तुतिकर्ताके समेटनाइ सम्भव नहि होइत छैक लेकिन हुनकर सबके यी प्रयास रहैत छैक जे कम समयमे अधिकसे अधिक प्रस्तुतिकर्ताके समेट सकी । एहेन परिस्थितिमे प्रस्तुतिकर्ता अपन निर्धारित समयमे प्रस्तुत कर चाहैवला किछु बातसब संक्षिप्तमे बताके आगु बढि जाइत छैक । फलत: किछु जिज्ञासा शान्त करवाक लेल त किछु श्रोतागण अपन विचार कोनो रुपसं रखबाक लेल प्रश्नोत्तर वला समयकेर सहारा लेबाक प्रयास करैत छैक जे कि बहुत नीके मानल जा सकैत छैक कारण जे अहिसं प्रस्तुतिकर्ताकेँ प्रस्तुतिमे सेहो बादमे निखार आबैत छैक आ संगहि इच्छुक प्रस्तुतिकर्ता जे कि प्रस्तुती देबय सँ वन्चित रहैत छैक तिनकर मानसिक क्षुधाके शान्ति होइत छैक ।
दोसर दिनक कार्यक्रमके सम्बन्धमे हम किछु कहबासं असमर्थ छि कारणजे हम अपन व्यस्तताके कारण स्वयं अनुपस्थित छलहुं ।
ताहिलेल हमर आग्रह जे भविष्यमे अहिसब बातपर ध्यान देल जाय ।
प्राध्यापक डा. विनय कुमार झा
रसायन शास्त्र केन्द्रीय विभाग, त्रि. वि., कीर्तिपुर”