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अनावश्यक बहस सँ महत्वपूर्ण चर्चा केँ झँपबाक कुत्सित प्रयास, छींटखोपड़ी मैथिलक कुकाज

मोदीजीक नेपाल भ्रमण आ चोपाह मैथिलक पोंगापन्थी लेल ठकुआक सनेश
 
काल्हि श्री शंकरदेवजी मोदीजीक मैथिली-मिथिला कनेक्सन केर एक लेख (पोस्ट) पर कमेन्ट देने छलाह त बात बुझय मे नहि आयल छल – ओ लिखने छलाह, “किछु गोटेकेँ कोँढ़मे असाधारण दर्द क’ रहलनि अछि। सीया आ सियाक विवाद ठाढ़ क’ आत्महत्यापर वृत्त छथि।” चूँकि काल्हि मोदीजीक नेपाल भ्रमणक दोसर दिवस काफी रास महत्वपूर्ण समझौता सभ होमयवला छल आर तहिना हुनक एहि बेरुक यात्राक मुख्य उद्देश्य तीर्थयात्रा सेहो रहय, हमर ध्यान ओहि दिस बेसी रहबाक कारण बात नहि पकड़ि सकल रही। आब धीरे-धीरे स्पष्ट भेल अछि जे जनकपुर यात्रा मे जानकी मन्दिर मे पहुँचला मोदीजी यात्री संस्मरण पुस्तिका मे ‘जय सीयाराम’ लिखि अपन पूर्व-लिखित विचार केँ हस्ताक्षरित कयलन्हि। भारत केँ धर्मक नाम पर टुकड़ा करयवला राजनीतिक दल आ पुनः भारत केँ धर्मनिरपेक्षताक चोला पहिराकय दशकों-दशकों धरि शासन-सत्तापर कब्जा कय भारत केँ एखनहुँ ओतबे गरीब, असाक्षर, पिछड़ल आ संघर्षशील राखयवला भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस केर समर्थक सब मोदीजी द्वारा लिखल गेल ‘सीया’ केँ गलत कहिकय मीडिया-मीडिया खेलायब शुरू कय देने छल। एहि तरहक अनावश्यक टीका-टिप्पणी मे किछु अति-होशियार मैथिलीभाषी सेहो मोदीक योग्यता पर सवाल ठाढ करैत फेसबुक-फेसबुक खेलाय लागल छलाह, शंकरदेव बाबू हुनके लोकनि दिस इशारा कयलन्हि, ई बात आब पता लागल।
 
चोपाह मनुक्ख ‘पोंगापन्थी’ छोड़ि अन्य किछु खास सृजनक काज त आइ धरि करैत नहि देखायल हमरा। किछु नीको लोक अपन राजनीतिक छवि आ दलीय समर्थनक बाध्यताक कारण एहि तरहक टीका-टिप्पणी मे पड़ैत देखाएत छथि। नाम किनको लेब उचित नहि मानैत छी, कारण ओहेन लोक केँ नामो लेनाय पापे होएत अछि। एकरा सभ केँ वा हिनका सभ केँ ई बुझाइत छन्हि जे एहि तरहें हम उत्कीर्णा कयलहुँ, परञ्च पोजीटिव वाइब्स मे ई सब सड़कक धुरा जेकाँ औनाइत-पटपटाइत-उड़ियाइत रहैत छथि तेकर अनुभव अपनो होएत हेतन्हि से हमर मान्यता अछि। एखन बेर छैक सकारात्मक उपलब्धि दिस मंथन करबाकः
 
१. मोदीजी भारतवर्षक मौलिक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद केँ मजबूत करबाक लेल प्रधानमंत्रीक रूप मे मिथिलाक सांस्कृतिक राजधानी जनकपुर आबिकय ओतय राजा जनक ओ जगतजननी जानकी केर आदर्श केँ पुनःस्थापित करबाक आह्वान करबाक संग-संग वर्तमान दुइ भारतवर्षीय देश नेपाल ओ भारत बीच सहयोग आ मैत्रीक संग शान्ति, सुरक्षा आ समृद्धिक सन्देश देबय मे सफल भेलाह।
 
२. मोदीजी मैथिली भाषा पर फोकस करैत एकरा लेल संवैधानिक दर्जा, संघ आ प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता दैत आगामी समय मे दुनू देश मिलिकय एकर विकास लेल काज करबाक विन्दुपर सभक ध्यान आकृष्ट कयलन्हि।
 
३. मोदीजी बड़ा रोचक ढंग सँ मैथिली फिल्म जाहि पर भारत सँ बहुत बेसी आ मूल्यवान् काज सब नेपाल मे कयल जाएत अछि तेकर बाजार मैथिलीभाषी रहि रहल अनेकों देश धरि पहुँचबाक कल्पना-सपना पर अपन सकारात्मक दृष्टिकोण आ समर्थन रखैत एक तरहें नेपालक संघीय सरकार तथा प्रदेश नंबर २ केर सरकार जेकर मुखिया ओहि मंच पर मौजूद छलाह तिनका सब केँ योजना विकास लेल प्रेरित कयलन्हि।
 
४. मोदीजी जाहि ५ गोट ‘टी’ केर चर्चा कयलन्हि, आर जाहि तरहें मिथिलाक गुणगान करैत वर्तमान नेपाल-भारत मैत्री केँ त्रेता युग सँ कहलन्हि, स्वयं जानकीजीक मन्दिर मे पूजा-अर्चना करैत ‘विवाह पञ्चमी’ मे भारत सँ आबयवला लाखों पर्यटकक बात कयलन्हि, कन्याकुमारी-रामेश्वरम सँ रामजीक सासूर जनकपुर धरिक धार्मिक पर्यटन आ रामायण सर्किट केर उद्घाटन आ जनकपुर-अयोध्या बीचा सीधा बस सेवा आदिक बात कयलन्हि… ओतबा नहि, रामायण सर्किट मे मिथिला क्षेत्रक अलावे आरो-आरो क्षेत्र जे सीता-राम सँ जुड़ल अविस्मरणीय क्षेत्र अछि तेकरा जोड़ैत पर्यटन केँ बढावा देबाक बात कहलन्हि, ई सब समग्र आर्थिक विकास लेल आ विश्व परिवेश केँ मिथिला दिस ध्यान दियेबाक लेल पर्याप्त भेल अछि।
 
५. मोदीजी जाहि ‘जलसम्पर्क’, ‘रेलसम्पर्क’ तथा ‘कृषिक्षेत्र-सहकार्य’ केर तीन गोट महत्वपूर्ण द्विपक्षीय सहयोग नेपाल-भारत बीच कयलन्हि अछि तेकर सब सँ पैघ फायदा मिथिलाक लोक केँ होयत। जलमार्ग बनेबाक अटलजीक सपना सँ मिथिला मे बाढिक स्थायी निदान निकलत। समुचित सिंचाई आ बिजली उत्पादनक अनेकों अवसर भेटत। जलकृषि जे मिथिलाक अर्थतंत्रक एक उपयुक्त व्यवसाय अदौकाल सँ रहल अछि, सेहो फेर जाग्रत होयत। आइ, बाढि सँ त्रस्त होएत छी मुदा जलक उपयोगिता लगभग नदारद अछि। जलजमावक क्षेत्र आ अन्य भौगोलिक परिस्थिति मे घोर परिवर्तन आबि गेल अछि जाहि सँ कुसियारक खेती गायब आ तैँ चीनी मिल सेहो गायब। माछ, मखान, पान, पशुपालन, दुध, आदि मूल कृषि प्रणाली सब चौपट। जल जीवन होएत छैक, ताहि जल केँ आइ बान्हे-बान्हे सीधे गंगा केँ आ गंगा सँ सीधे गंगासागर केँ। बीच मे बंगाल फर्रक्का मे बिजली उत्पादनक लाभ लैत अछि, मिथिला किंवा बिहार केँ कि? वर्तमान सरकारक नेपाल संग सहयोग लेल निर्धारित क्षेत्र निश्चित दुइ राष्ट्रक जनताक समृद्धि आनत।
 
एहि सब विन्दु पर हमरा लोकनि खूब आ बेसी चर्चा करी, नहि कि निगेटिव आ यूजलेस चर्चा मे नेटपैक केर खपत करैत गन्हायल प्रवृत्तिक प्रदर्शन करी। ई पहिल बेर देखलहुँ जे भारतीय राजनयिक स्तर पर भारत सरकारक सर्वोच्च कार्यकारी पद पर विराजमान महापुरुष स्वयं अपन समय आ सोच दैत हमरा लोकनिक मैथिलत्व केँ जगेबाक प्रयास कयलनि अछि। हमरा सभक पुरुषार्थ केँ फेर सँ आदिपुरुष जनक आ हुनक विदेहपंथ सँ जोड़बाक सन्देश देलनि अछि। आब ई सब सन्देश ग्रहण करबाक बदला यदि हम ‘चाकरी प्रवृत्ति’ आ ‘काँग्रेसक चाटुकारिता’ किंवा ‘लालूवादक जातिवाद मे समाजक विभाजन आ कहय लेल सामाजिक न्याय’ केर माया मे फँसब त आइ धरिक उपलब्धि आ केकर शासन-हुकुमत मे केना-केना जीलहुँ आ आइ कियैक दर-दर भटैक रहल छी…. ई सब बात पर समीक्षा स्वयं कय सकैत छी। चोपाहपंथ मे अपनहि पैर पर ढेर होशियारी मे कुरहैरे मारिकय खिखियायब त दोसर अहाँ केँ कतीकाल रोकत!
 
गोटेक छींटखोपड़ी (प्रिन्टेड माइन्ड) केँ नेपालक मिथिला स्थापित होएत देखा रहलैक अछि, तैँ भारतक मिथिला गौण होएत बुझय लागल। आहि रौ बा! रौ, सुनलिहीन नहि मोदीजीक विचार जे ओ कहलखुन कि मैथिलीभाषी जतबे भारत मे अछि ततबे नेपाल मे। तहिना नेपालीभाषी भारत मे बेसी अछि। नेपाली भाषा भारतक संविधानक ओहि सूची मे अछि जेकरा संवैधानिक भाषाक रूप मे मान्यता देल गेल छैक। स्पष्ट सन्देश छैक। एहि लेल कियैक चिन्ता करैत छँ भाइ जे तोहर मिथिलाक बात ओ एहि कात चुनावी भाषण जेकाँ प्रयोग नहि कय सकलखुन, ई हुनकर अन्तर्राष्ट्रीय दौड़ा छल बेवकूफ। ई सोच त तोहर अपन नेता मे होबक चाही जे ओहो जनक-जानकीक सन्देश सँ अपन मिथिला केँ सजेबाक बात करितय। से त तोरा ओतय सब बाबन-तिरपन-चौबन-पचपन मे लागल छँ। लाज तऽ कोनो गत्तर मे छौक नहि, समाज टूटि गेलौक आ तूँ चलि गेलें दिल्ली-बम्बै कमाइ लेल। ओतय दू गो पाय भेलौक त आब मोदीजी केँ तूँ शिक्षा देबहून आवारा? मोदीजीक चरणक धुलकण बरोबरि जँ माथ मे बुद्धि भऽ जेतौक त अपन क्षेत्रक नेता केँ बुझा सकबें। खाली फेसबुक-फेसबुक आ काँग्रेसक मीडिया-मीडिया मे लि-हू-लि-हू खेलेला सँ कि हेतौक रे लुच्चा! सम्हर आ सृजनकाज मे लाग।
 
हरिः हरः!!

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