स्वरोजगारक सरकारी योजना आ आम जनमानस
आम जनता केँ राजकाजक विषय मे अत्यल्प रुचि आ जुड़ावक कारण स्वरोजगारक सरकारी योजनाक जानकारी नहि के बरोबरि रहैत छैक। एकर लाभ उठेबाक लेल बामोस्किल २-३% फीसदी लोक प्रत्यक्ष सर्वेक्षण मे अभरैत अछि। सेहो केहेन लोक एहि तरहक योजनाक लाभ उठा पबैत अछि? जेकर संबंध सरकारी योजना पर गहिंर दृष्टि रखनिहार विशेषज्ञ सँ अथवा रेडियो कार्यक्रम या अखबार मे देल गेल विज्ञापन आदि केँ पढिकय सरकार द्वारा कयल जा रहल विभिन्न योजनान्तर्गतक गतिविधि सभक जानकारी रहैत छैक।
उदाहरण लेल ग्रामीण स्वरोजगार योजना बिहार मे २०१२ सँ लागू कयल जेबाक निर्णय भेल। ग्रामीण गरीब लोकनिक जीवनस्तर मे उल्लेख्य सुधार तथा रोजगारसम्पन्न बनेबाक लेल स्वयं सहायता समूह अथवा व्यक्ति स्तर पर मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, आधारभूत संरचना, आवश्यक पूँजी (ऋण एवं अनुदान) उपलब्ध करबैत गरीबी रेखा सँ ऊपर उठबाक लेल सहायता करैत अछि। मुदा, एहि योजनाक लाभ कतय-कतय आ कतेक मात्रा मे भेटि रहलैक अछि ताहि केर निरीक्षण करब तँ ज्ञात होयत जे एकर लाभ या उपयोगिता नगण्य मात्रा मे जमीन पर लागू होएत अछि। यैह कारण छैक जे आइ दशकों-दशकों सँ एहेन कतेको रास योजना सरकार द्वारा घोषणा आ लागू कयला उत्तरो जमीनी स्तर पर कोनो परिवर्तन आ गरीबी रेखा सँ नीचाँ रहनिहार केँ कतहु गानय योग्य लाभ भेटल हो।
यदि किनको पास एहि तरहक तथ्यांक या योजनाक लाभ उठेबाक प्रेरणास्पद उदाहरण (दृष्टान्त) उपलब्ध हुअय तँ अवश्य कहब। हमर एक मित्र कहलनि जे सेल्फ हेल्प ग्रुप केर नाम पर सरकारी योजनाक लाभ गोटेक एनजीओ मार्फत धरातल पर नाम लेल उतारल जाएत छैक। किछु अभिकर्ता केँ ब्युरोक्रेसीक किछु उच्च दलाल आ पोलिटिकल ऊँचाई पर विराजमान मंत्री व नेतागण लोकनिक आपसी साँठगाँठ मे ई सब योजना कागजहि पर लागू कयल जाएत छैक, नहि कि सच मे एकर लाभ कदापि जनता केँ भेटैत अछि। बस, विषय राखि रहल छी बहस लेल। पलायनक रोग सँ ग्रसित मिथिलाक जनमानस केँ अपन अधिकार बुझब जरूरी अछि। घरहु पर रोजगार छैक। ताहि लेल राज्य केर पोषण सेहो कागज मे छैक, जरुरत छैक जे अपन अधिकार लेल अहाँ आरो बेसी सजग बनू।
हरिः हरः!!