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डा. काञ्चीनाथ झा किरण केँ शब्द-श्रद्धाञ्जलि दैत ‘केके’ एवं ‘ईशनाथ’ – किरण पुण्यतिथि विशेष

अप्रैल १०, २०१८. मैथिली जिन्दाबाद!!

काल्हि ९ अप्रैल डा. काञ्चीनाथ झा किरण केर पुण्यतिथि पर किरणक डीह धर्मपुर (उजान) मे “किरण मैथिली साहित्य शोध संस्थान”क तत्वावधानमे ‘किरण स्मृति समारोह’ केर आयोजन कयल गेल । ‘किरण पुरस्कार’ सँ सम्मानित कएल गेलाह मैथिलीक चर्चित साहित्यकार सुभाष चंद्र यादव तथा एहि मे गणमान्य मातृभाषासेवी जे अपन गरिमामय उपस्थितिसँ अभिभूत केलथि

1. डॉ. किशोरनाथ झा
2. श्रीमती नीरजा रेणु
3. डॉ रामजी ठाकुर
4. डॉ भीमनाथ झा
5. डॉ. प्रेममोहन मिश्र
6. डॉ. अमलेन्दु शेखर पाठक
7. प्रो. शिवशंकर श्रीनिवास
8. श्री केदार कानन
9. प्रो. ललितेश मिश्र
10. श्रीमती रेवती मिश्र
11. श्रीमती मोहिनी मिश्र
12. श्रीमती स्वर्णिम किरण झा प्रेरणा
13. प्रो. रामचंद्र मिश्र मधुकर
14. डा. विद्यानंद ठाकुर
15. श्री केशव किशोर मिश्र
16. डॉ कुमरकांत पाठक
17. श्री पंचानन मिश्र
18. श्री श्रीकांत मंडल
19. डा. सती रमण झा
20. कर्नल मायानाथ झा
21.श्री अजित आजाद
22. श्री मलयनाथ मिश्र
23. श्रीमती सुधा झा
24. प्रो. केदारनाथ झा
25. श्री आनंदमोहन झा
26. श्रीमती मुन्नी मधु
27.श्री प्रदीप पुष्प
28. श्री उमाकांत झा ‘बख्शी’
29. श्री पूर्णेंदु झा ‘बख्शी’
30. श्री दीनानाथ युवराज
31. प्रो. बिनोदानंद झा

एवं कतिपय अन्य प्रभृति जिनक नाम मोन नहि पड़ि रहल अछि । सभकें हृदयसँ धन्यवाद !

साभारः ईशनाथ झा, ग्रामः नरुआर

किरणजी केँ याद करैत ‘केके’ उर्फ डा. कैलाश कुमार मिश्र – संचालकः ब्रेनकोठी

डॉ काँचीनाथ झा किरणक महाप्रयाण दिवस पर श्रद्धांजलि!
 
किरणजी एक एहेन विलक्षण साहित्यकार छलाह जे साहित्य केँ क्लासरूम संस्कृति सँ कम्युनिटी संस्कृति मे अनलनि। ओ साहित्य आ समाजक सेतु रहथि। गामे-गाम घुमि-घुमि काज करैत सांस्कृतिक चेतना केँ जगौनिहार जननायक छलाह। हुनकर लिखब आ करब मे कोनो अंतर अथवा द्वन्द्व नहि छलनि। ओ लिखबाक आ व्यवहारक हार्मोनी मे जिबैत सभक लेल एक पैघ दृष्टान्त छलाह। आजुक साहित्यकार जेकाँ कॉरपोरेट कल्चर मे कहियो नहि रहला किरणजी। आजुक लोक त’ व्यक्तिगत आ सामाजिक जीवनक दुबटिया एकपेडिया आड़ि मे फसल अछि; दिशाविहीन अछि। शब्द आ भाव अलगे बसात दिस ओकर चलैत छैक। ओकर लिखब आ व्यवहार मे कहाँ साम्य छैक? किताब पढ़ि दोसर किताब लिखैत अछि, शब्दकोश सँ शब्द ठुसैत अछि, शब्दाडम्बर ओकर भाव केँ ओहिना बना दैत छैक जेना कोनो गुदड़ी बला पहिरल-फेरल-त्यागल रंग-विरंगक वस्त्र सँ अपना आपकेँ थोपि लैत अछि। वस्त्रक अजस्र भार भेलाक बादो ओकर सौन्दर्य भागि जाइत छैक आ दरिद्रता परिलक्षित होइत रहैत छैक। एकर विपरीत किरणजी ओहेन लोक छलाह जे मात्र एक शुभ्र वस्त्र’क धारण सँ चमत्कृत भ’ जाइत छलाह। मैथिली केँ बातक, विचारक, सम्प्रेषणक, बहुजनक भाषा बनेबा मे, साहित्यिक समाजवाद अनबा मे हुनक अद्भुत योगदान छलनि।
जे कियोक हुनकर “कोन महल नाम रखबैक एकर” अथवा अन्य मेनस्ट्रीम रचना पढ़ने-गुनने छी से सब कियोक जनैत छी जे किरणजी दलित-वंचित-अव्यक्तक स्वर छलाह। निधोख सत्य सँ साहित्यक निर्माण कोना करी अगर किनको ई कला सिखबाक हो त किरणजी सन्दर्भक साहित्यकार छथि। ओ जिबैत किम्बदन्ति छलाह; ह्यूमन हेरिटेज छलाह; पथ प्रदर्शक छलाह; चिर नूतन विचारक उद्घोषक छलाह। पितृलोक मे विराजमान स्वर्गीय काँचीनाथ झा “किरण” केँ नमन, बन्दन, विनम्र श्रद्धांजलि।
दिनांक ६ अप्रैल, २०१८ केँ ईशनाथ झा द्वारा हकार बँटबाक क्रम मे राखल गेल ई उद्गारः

काञ्चीनाथ झा ‘किरण’

सन् 1960 ई. मे भैरवस्थान (रैयाम पंचायत) मधुबनी मे ऐतिहासिक भैरवबाबा मंदिरक प्रांगण मे किरणजीक आयोजकत्व मे ‘विद्यापति स्मृति पर्व समारोह’ आयोजित भेल छल जाहि मे स्थानीय विद्वत्जनक अतिरिक्त आचार्य सुमनजी, कवि चूड़ामणि मधुप, आदि मैथिलीक ध्वजवाहक सम्मिलित भेल छलाह। तत्पश्चात् समारोहक स्मारिका “लोचन” नाम सँ छपाओल गेल छल। नामकरणक पाछाँ ‘रागतरंगिणी’क रचनाकार कवि लोचन कें श्रद्धांजलि निवेदित करब छल कारण जे उक्त पुस्तकक रचना कवि भैरवस्थान मे बाबा भैरवक समक्ष केने छलाह।

“लोचन” मे एकटा किरणजीक कविता छपल छल एहि शुभेच्छा सँ जे “लोचनक भूमिक प्रथम किरण मिथिला केँ प्रकाशित करय” ! कविता “मिथिले ?” उद्धृत अछिः

मिथिले ?

पुनि पुनि पूत होइ हम तोर
कान धरब मा! विनती मोर
देखलहुँ, अवध, मगध, व्रजभूमि
काशी, विंध्य, बंगके भूमि
कतहु ने नयना हमर जुड़ायल
पुनि तोहरे लग घुरि चलि आयल
कचुली, बंका, झौआ, कास
लखिकय आन करओ उपहास
हमर, तही मे लुबुधल मोन
तोहर माटि लग, पाथर सोन
करमी – कटहर- भेंट – चिचोढ़
कंचु – कहरनी – कदम – केसौर
मेबहुँ सँ बढ़ि बुझि, हम खायब
जनमि जनमि तोहरे गुण गायब
कमला कोसिक बाढ़ि उडंड
वा बिहाड़ि भूकम्प प्रचंड
तोड़ि सकत नहि तोहर सिनेह
तोहर हेतु अरपल जी, ई देह

——- लोचन (1960)

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