सुभाषचन्द्र झा, सहरसा। 8 अप्रैल, 2018। मैथिली जिन्दाबाद!!

वक्ता लोकनि खूब फैल सँ एतहुक साहित्यिक स्थितिक दशा-दिशाक चर्चा कयलनि। किछु वक्ता द्वारा अनवधान में पसारल मिथिला ओ मैथिलीक प्रति अनर्गल आ भ्रांतिपूर्ण प्रलाप लेल संचालक दिस सँ तकर खंडन, परिमार्जन आ सुधार सेहो कयल जाइत रहल। चर्चा मे आनंद मोहन सिंह (पूर्व सांसद)क सद्यः प्रकाशित पहिल मैथिली रचना ‘गुदड़ीक लाल : मांगनिलाल’ (मिथिला दर्शन, मार्च 2018 अंक) सेहो केंद्रीय महत्व पओलक। एवंक्रमे कोसी परिसरक समस्त नव-पुरान रचनाकारक चर्चा-स्मरण कयल गेल। मंचस्थ वक्ता लोकनि केँ माला आ डोपटा सँ स्वागत कयल गेल। एहि अवसर पर आनंद मोहनजीक सौजन्य सँ श्रोता लोकनिक बीच मिथिला-दर्शनक मारिते रास प्रति मुफ्त देल गेल।
दोसर सत्र मे कविता-पाठ आयोजित छल जाहि मे मुख्तार आलम, आनंद कुमार झा, रामकुमार सिंह, सुभाषचंद्र झा, डॉ आनंदनाथ झा, डॉ के सी ठाकुर, अजय कुमार सिंह, कमल मोहन चुन्नू, रामचैतन्य धीरज लोकनि स्वरचित कविता पढ़लनि। लगभग साठिटा दर्शक सँ भरल एहि सुसज्जित रेडक्रॉस सभागार मे मात्र दुइएटा मैथिलीक अध्यापक नजरि अयलाह। अनवरत पाँच घंटा चलल एहि कार्यक्रमक संयोजन, संचालन एवं धन्यवाद-ज्ञापन राग-रंगक संयोजक डा. कृष्ण मोहन ठाकुर उर्फ कमल मोहन चुन्नू द्वारा भेल।