
मिथिलाक कथित शिक्षित आ सम्भ्रान्त नारी-शक्ति मे आत्मविश्वास कतहु न कतहु एकदम बदतर ढंग सँ प्रभावित भेल देखाएत अछि। पहिने अशिक्षा आ परंपरावादिता हावी भेलाक कारण अलग स्थिति छलैक। घोघ प्रथा छलैक, चौखटिक बाहर ओ सब पैरो नहि राखि सकैत छलीह। धीरे-धीरे शिक्षा आ संस्कृति मे यथास्थितिवादीक बात आ विचार केँ कात कय महिला समाज आगू बढलीह। सुशिक्षित होइ मे पुरषवर्ग सँ महिला बड बेसी पाछू नहि छथि। हालाँकि बड पैघ वर्ग जेकरा पिछड़ा आ अनुसूचित जाति-जनजाति आदिक संग-संग दलित-महादलित आदिक वर्गीकरण राज्य द्वारा कयल जाएत छैक, ताहि वर्म मे एखनहुँ महिला साक्षरता पर बड पैघ सवाल ठाढ छैक, ओकर अवस्था यथार्थतः आइयो दयनीय छैक। लेकिन एहि वर्गक महिला मे जे घरैया लुरि आ परंपरावादी स्वरोजगारक हुनर छैक तेकर सराहना शिक्षित-सुसंस्कृत महिला सँ कइएको गुना अधिक कहय मे हर्ज नहि। ओकरा सभक योगदान सँ परिवारक भरण-पोषण, धिया-पुताक शिक्षा आ रोजगारसम्पन्नता मे उल्लेख्य सुधार होएत देखि रहल छी। संगहि मिथिलाक मौलिकताक रक्षा सेहो यैह वर्ग बेसी कय रहल अछि, अपन बच्चा सँ एखनहुँ अपन मातृभाषाक प्रयोग, अपन घर-परिवारक रीत-रेबाज प्रति श्रद्धाक भावना उत्पन्न करय सँ लैत गाछी-खेत आ माल-जाल सँ घर-गृहस्थीक सम्पूर्ण कार्य अदौकाल सँ चलैत आबि रहल कर्मठ शैली मे पूरा करबाक समस्त हुनर सिखेबाक बड पैघ महत्वपूर्ण काज भऽ रहल अछि। यैह वर्गक महिला समाज आइयो अपन मूल भूमि (मिथिला) केँ सुन्दर ढंग सँ सींचन करैत फूलबारी सजौने छथि। एकर बिपरीत कनेक पढल-लिखल आ अपना केँ होसियाइर बुझनिहाइर महिला मिथिलाक समस्त मौलिकता सँ जानि-बुझि कटिकय परधर्म केँ अपनाबय मे वीरता बुझि रहली अछि, जे हुनका भीतर अपन मौलिक संस्कार प्रति निष्ठुरता आ वितृष्णा देखा रहल अछि से यैह संकेत करैत अछि जे निजता सँ आत्मगौरवक बदला हीनताईबोध बेसी भेटैत छन्हि आर ओ मिथिला सँ इतर दोसराक संस्कार मे आत्मसन्तोष ताकि रहल छथि – जे सिर्फ मृगमरीचिका जेकाँ सफलता मुदा वास्तविकता मे घोर असफलताक मुंह देखा रहलनि अछि।

महिला अधिकार, मिथिलाक समग्र स्वरूप, अपन युग मे आ वर्तमान युग मे आबि रहल व्यवहारिक परिवर्तन, शिक्षाक व्यवस्था, राजनीतिक सोच आ परिवर्तन, पंचायती शासन व्यवस्था मे महिला आरक्षणक प्रभाव… इत्यादि अनेक विषय छैक जाहि पर निरन्तर मिथिलाक बेटी बनिकय चिन्तन करती त आत्मसंतुष्टि सेहो भेटतनि, संगहि अपन जीवनक उद्देश्य सफल बनेबाक संग समाज लेल सेहो नीक योगदान कय सकती। निजी परिचय केँ एतेक उच्च बनबथि जाहि सँ मिथिलाक कण-कण मे लोक ई जानय जे आइयो ई पवित्र भूमि ‘भारती-भामती-गार्गी-मैत्रेयी-सीता-अहिल्या’ समान महानतम् नारी सँ भरल अछि। लेकिन, यथार्थतः मिथिलाक ई पढल-लिखल महिलावर्ग आइ बेसी अपरिचित आ निज घर-आंगन सँ बहुत दूर पलायन-प्रवासस्थल मे दिन काटय मे रुचि देखा रहली अछि। आब ई रोग कमो पढल-लिखल आ एतेक तक कि असाक्षर पिछड़ा आ दलित वर्गक परिवारक महिला मे सेहो शनैः-शनैः प्रवेश कय रहल छैक जे पति संग परदेशहि मे जीवन बेसी नीक छैक। कि कारण भऽ सकैत छैक कोनो सभ्यताक मूल अवलम्ब नारी शक्ति मे अपन मूल भूमि आ मौलिक संस्कार सँ वितृष्णाक? ई बड गंभीर सवाल ठाढ अछि।

आइ एकटा बहुत सुन्दर लेखिका सँ परिचित भेलहुँ। ओ बेसीकाल हिन्दी मे अपन रचना सब देशक पैघ-पैघ अखबार मे प्रकाशित करबैत छथि। पता नहि, ओहि अखबार सब सँ हुनकर नाम राष्ट्र भरि मे कतेक दूर धरि लोक चिन्हलक नहि चिन्हलक, लेकिन हुनकर पहिल मैथिली रचना पढिते हमरा सन-सन कतेको रास मैथिली प्रेमी हुनकर लेखनशैली सँ प्रभावित भऽ तुरन्त अपन मिथिलाक पटल पर एकटा परिचय प्रकाशित करबाक दृढसंकल्प लेलक आ बहुत रास विन्दु (खास कय ऊपर कहल गेल चिन्तनीय विन्दु आदि) पर हुनकर चिन्तन-लेखन लेल अनुरोध केलहुँ। आर प्रारंभिक परिचय मे ओ अपन लेख सब हिन्दी अखबारक दुनिया मे पहिनहि सँ प्रकाशित होएत रहल अछि से कियैक नहि कहलहुँ – ताहि पर ओ कहैत छथि जे एकटा अन्जान संकोचक कारण। ओहो-हो-हो!! यैह संकोच जे अपन मिथिलाक लोक हमर परिचिति केँ कोना स्वीकार करत, कि सोचत, कहीं हमर विचार केकरो नीक लगतैक कि नहि, आदि अनेकों आशंकाक कारण संभवतः हमरा लोकनिक महिला समाजक नीक-नीक व्यक्तित्व लोकनिक मोन मे घून जेकाँ लागल छन्हि। हम स्पष्ट कहलियैन जे यैह संकोच त खा गेल मिथिलाक महिला सभक सब ओज केँ…. आइ यैह संकोचक कारण महिला अपनहि सँ अपन बच्चा केँ आन भाषाक शिक्षा दैत छथि मुदा मैथिली नहि सिखबैत छथि….! बात बुझू मैडम! हम सब अपन पहिचान केँ नष्ट अपनहि बेसी कय रहल छी। ताहि हेतु, हम अहाँक अनुज रहितो ई आदेश करब जे कदापि कहियो कोनो बात मे आ काज मे संकोच नहि, बल्कि निर्भीकताक अवलम्बन रहय। यथार्थ सँ परिचय करा ई सन्देश देनाय बहुत जरूरी छैक जे हम मिथिलाक महिला देश स्तर पर आइयो बहुत आगू छी। आर से एहि द्वारे छी जे हमरा सब केँ पैतृक-मातृक संस्कार काफी उत्कृष्ट भेटल अछि। एहि मे कतहु सँ आन कोनो बातक योगदान पहिने नहि अछि। पहिने हमर मौलिक संस्कार उच्च आ उत्कृष्ट होयबाक संग पवित्र सेहो अछि। आर यैह लेल हम सब केकरो सँ कनिको पाछू नहि छी।