गीत
– प्रवीण नारायण चौधरी
जनकपुर घुमेबौ काठमांडू घुमेबौ
घुमेबौ हम सारा जहान गै घुमऽवाली
घुमि-घुमि न लागौ घुरमा
गोरी तोहर बड़ घूमय के इच्छा
एतबा नहि ले तूँ हमरो परीक्षा
चल चल घूमय जहान
गै घुमऽवाली
घुमि घुमि न लागौ घुरमा….
विराटनगर बस नामहि के बड़का
एतय न भेटय धूम कि धड़क्का
बरु चले घूमय धरान…
गै घुमऽवाली
घुमि घुमि न लागौ घुरमा….
सब दिन बनेमे खेमें खुएमें
घरक बनल मे स्वादहु नै पेमें
शख तोहर डिनर लहान…
गै घुमऽवाली
घुमि घुमि न लागौ घुरमा….
सुनह हौ भाइ घरवाली घुमाबह
घुमिफिरि दुनू मन बहलाबह
नहि त हेतह नै कल्याण
गै घुमऽवाली
घुमि घुमि न लागौ घुरमा….
हरिः हरः!!