विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
जन-जन मे अन्तर्संघर्ष केँ रोकय लेल जाति-निरपेक्षताक विधान बनाउ
जनसंख्या विस्फोट या प्रलयकाल आदिक परिकल्पना पढैत रही जे मनुष्य द्वारा मनुष्य पर आक्रमण कयल जायत… वर्चस्वक लड़ाई मे त एक-दोसर सँ लड़बे करत, एकटा समय एहेन आओत जे अपन भूख मेटेबाक लेल पर्यन्त मनुष्य मनुष्यहि केर माँस नोंचि-नोंचि खायत, आदि। आइ भारत मे आरक्षण केर राजनीति – सुप्रीम कोर्ट केर आदेश एलाक बावजूद एहि जन-जन मे अन्तर्संघर्षक एक-आध नमूना प्रस्तुत केलक अछि। आबयवला समय मे एहेन कतेको रास न्याय-निर्णय केर अवमानना त जे होयत से हेब्बे करत, एक-दोसरक खूनक प्यासा मनुष्य एहेन घोर संघर्ष मे फँसत जेकर कल्पना करैत एखनहि सँ देह सिहैर रहल अछि।
धर्मक नाम पर हिन्दू आ मुसलमान लड़ि रहल अछि। आरक्षण केर नाम पर हिन्दू-हिन्दू लड़ि रहल अछि। स्वतंत्रताक नाम पर काश्मीरी अलगाववादी आ भारतीय सेना लड़ि रहल अछि। रोहिंग्या मुसलमान आ मुसलमानक तुष्टीकरण केर राजनीति मे बंगाल आ बिहार केर मुसलमान-हिन्दू आपस मे लड़ि रहल अछि। कतहु कम्युनिष्ट, कतहु नक्सल, कतहु रणवीर सेना…. ई लड़ाई विभिन्न स्वरूप मे देखय लेल निरन्तर भेटि रहल अछि। आबयवला समय मे एकर संख्या एक सँ अनेक होयत। जेकरा पास शक्ति रहत ओ कमजोर आ निहत्था केँ दबेबे करत।
पहिने सामन्ती शक्ति अपन वर्चस्वक अस्तित्व लेल शोषक बनिकय शासक बनैत छल। आइ प्रजातंत्र आ लोकतंत्र एलाक बाद पिछड़ा, दमित, शोषित, दलित आदिक कल्याणक बहन्ने आरम्भ कयल गेल आरक्षण आखिरकार जानलेवा सिद्ध होयब आरम्भ भऽ चुकल अछि।
कियो कहैत छैक जे जातीय व्यवस्थाक अन्त कयल जाय। कियो कहैत छैक जे वोट बैंक पोलिटिक्स लेल ई समूचा खेलावेला थिक, एकरा यथाशीघ्र समाप्त कयल जाय। राजनीति आ सत्ताक खेल मे जातीय व्यवस्था आ धर्म केर नाम उत्प्रेरक शक्तिक कार्य करैत अछि। यदि देश केँ धर्मनिरपेक्ष बना सकैत छी त जाति-निरपेक्ष बनाकय पिछड़ापण, अशिक्षा, आर्थिक दयनीयता आदिक उचित मापदंड पर राज्य द्वारा ओहेन लोक केँ डेन धरैत सहयोग करबाक नीति निर्माण कयल जाय। एहि लेल तुरन्त दुइ-तिहाइ समर्थन सँ सदन द्वारा संविधान संशोधन करैत राज्य आगू बढि सकैत अछि।
जनसंख्या विस्फोट
विश्व में जनसंख्या
१९०० ई. – २ अरब
२००० ई. – ६ अरब
भारत मे जनसंख्या
१९४७ ई – ३५ करोड़
२००० ई. – १०० करोड़ १ अरब
जनसंख्या मेे अत्यधिक वृद्धि भेनाय जनसंख्या विस्फोट कहाइत अछि। उपरोक्त आँकड़ा सँ स्पष्ट अछि जे विश्व मे हरेक छंठम व्यक्ति भारतीय थिक। तथा वार्षिक दर १.७ प्रतिशत अछि अर्थात् प्रति हजार पर जन्म लेनिहारक संख्या १७ होएत अछि तथा एहि दर सँ वृद्धि होएत रहल तऽ लगभग ३३ वर्ष मे जनसंख्या दोब्बर भऽ जायत।
जनसंख्या वृद्धि केर कारण
१. मृत्यु दर मे गिरावट
२. मान्ती एव शिशु मृत्यु दर मे अत्याधिक गिरावट
३. जनन सक्षम आयु केर लोकक संख्या मे बढोतरी
* जनसंख्या नियंत्रण केर उपाय:-
१. विवाहक वैधानिक आयु केर निर्धारण।
२. छोट परिवार सुखी परिवार केर विज्ञापन करब।
३. लघु परिवार केँ प्रोत्साहन
४. गर्भ-निरोधक उपाय अपनेनाय
(स्रोतः इन्टरनेट सँ प्राप्त जानकारी)
हरिः हरः!!