पोथी परिचय
हे वीर स्रष्टागण, अहाँक समर्पण आ लगन केँ हमर प्रणाम!!

नाटककार आनन्द कुमार झा केर नाट्य रचनाः मुक्ति यात्रा
जी, ई प्रणाम एहि तीन महान् वीर सर्जक ‘मैथिल’ केँ जे अपन कलम सँ निकलल रचना ‘मैथिली पोथी’ केर तीन अलग-अलग विधा मे समर्पित कयलनि अछि।
सर्वप्रथम बात करैत छी साहित्य अकादमी पुरस्कार सँ पुरस्कृत युवा नाटककार आनन्द कुमार झा केर – हिनकर रचना (नाटक – मुक्ति यात्रा) हमर हाथ मे अछि। ग्राम मेहथ (झंझारपुर) निवासी श्री झा संग भेंटघाँट सेहो मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर नाट्य विमर्श मे भेल छल। हिनकर कलमक जोर उपरोक्त रचना मे पढय लेल भेटि रहल अछि। हिनकर संस्मरण मे जानल-मानल उपन्यासकार-कथाकार प्रभाष कुमार चौधरी द्वारा देखायल गेल मार्गक बात छल। सच मे हिनकर लेखनी एतेक प्रभावित करैत अछि जे एक बेर पढब शुरू करब त आखिर धरि पढबाक मोन करत। ई रचना ‘मुक्ति यात्रा’क मूल्य १५० टका अछि आर नवारम्भ द्वारा प्रकाशित पोथी थिक। लेखक केर सम्पर्क मोबाईल नंबरः ९९३९०४१८८१ अछि। संगहि, हिनका ईमेल सँ सेहो सम्पर्क कय सकैत छी – [email protected] पर। हम अपील करब जे मैथिली नाट्य साहित्य पढय मे रुचि रखनिहार समस्त पाठक लोकनि ई पोथी जरूर पढथि।

पंडित कमलेश प्रेमेन्द्र केर गीति-काव्य संग्रहः सुपत बात
पुनः बात करब मिथिलाक उभरैत – बहुचर्चित आ बहुप्रशंसित युवा कवि, उद्घोषक आ सामाजिक अभियन्ता कमलेश प्रेमेन्द्र केर प्रकाशित रचना “सुपत बात” केर। मिथिला समाज मे दहेज प्रथाक प्रभाव कतय-कतय आ कोना-कोना पड़ल आर ताहि मे कविमन कि सब समाधानक मार्ग देखैत अछि, कोना कन्या भ्रूण हत्या रुकत, आदि विभिन्न तरहक संवाद स्थापित करैत अछि ई रचना। एकरो प्रकाशन नवारम्भ द्वारा कयल गेल अछि। एकरो मूल्य अछि १५० टका। सब रचना मे एकटा सुन्दर स्वस्थ सन्देश भेटब हमरा काफी प्रभावित करैत अछि। हम अपील करब जे ई पोथी घरे-घर कीनिकय पढल जाय। सहज भाषाक प्रयोग, गीति-रचनाक आधिक्य आ धारदार सुझाव जेकरा ‘सुपत बात’ कहैत कवि पोथियोक नामकरण कयलनि एना हमरा बुझायल, आर हमरा अहु लेल नीक लागल जे रचना मे समाज लेल सन्देश अछि, युवा लेल सन्देश अछि, जे कीनब आ पढब – एहि मे सँ सीखय योग्य, अनुकरण करय योग्य अवस्स किछु न किछु निकालि लेब। हिनकर सम्पर्क मोबाईल नंबर अछि ८७८९९२१५५१…. ई मंच संचालन मे सेहो महारत हासिल कयने छथि, आर मधुबनी जिला मे सरकारी, गैर-सरकारी विभिन्न आयोजन मे अपन दक्ष प्रस्तुति सब सँ अपन अलगे नाम स्थापित कय चुकल छथि। हिनकर पोथी जरूर कीनू आ पढू।

सदरे आलम गौहर केर गजल संग्रहः जैह देखू सैह बाजू
तेसर आ आजुक अन्तिम रचना “जैह देखू सैह बाजू” जे गजल संग्रह थिक सुप्रसिद्ध गजलकार-गीतकार सदरे आलम गौहर छथि; जाहि मे एक सँ बढिकय एक गजलक प्रस्तुति भेटैत अछि। एहि संग्रह मे सँ एकटा गजल –
सत कहै छी अहाँ केँ अहीं प्राण हमर छी
हम राति अन्हरिया छी अहीं चान हमर छी
नहि देखै छी अहाँकेँ तऽ बेचैन रहै छी
हम हँसै छी जे ई अहीं मुस्कान हमर छी
माँगै छलौं अहाँ के हम कतेको जनम सँ
एहि जनम में पौलौं अहीं वरदान हमर छी
गाओल नहि जाए गीत कोनो अहाँ बिना आब
हम गीत सबहक सुर छी अहीं तान हमर छी
हम त्यागि देबइ देह ई जँ अहाँ नहि भेटब
ई देहेटा अछि हमर अहीं प्राण हमर छी
नहि ताकै छी अहाँ तऽ जेना भोरे नहि होइ छै
छी चानो हमर आ अहीं दिनमान हमर छी
एहि गजल-संग्रह मे कुल ५४ गोट गजल अछि, स्वयं सदरे आलम गौहर साहेब जेना गबैत छथि त एना बुझाइयऽ जे कोनो मुशाइरा केर गजल प्रस्तुत भऽ रहल हो! एकर दाम २५० टका अछि। ई कहकशाँ पब्लिकेशन, भिवन्डी, मुम्बई द्वारा प्रकाशित कयल गेल अछि। गजलकार-शायर सदरे आलम गौहर साहेबक सम्पर्क मोबाईल नंबर ९००६३/७७१५९८०१४४ छन्हि। एहि गजल संग्रह केँ बेसी सँ बेसी पढल जाय, से हमर गुजारिश अछि।
१०० लेखक – १०० पोथी केर अभियान मैथिलीक झंडा केँ ऊँच-ऊँच धरि फहराबैत रहय, अपने पाठक लोकनि सेहो पूर्णरूपेण जागल रही, कृपया अन्ठाकय सूती नहि।