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भाषा आ सामुदायिक पहिचान

आलेख

– गोविन्द साह

govind sah

 

(लेखक एक पूर्व स्वतंत्र पत्रकार, समाजसेवी, अभियानी तथा गैर-सरकारी संस्थान केर संचालनकर्ताक संग-संग राजनीतिकर्मीक रूप मे नेपाल मे कार्य केने छथि। हाल उच्च शिक्षा लेल वारसा विश्वविद्यालय, पोलैन्ड मे अध्ययनरत छथि। मैथिली आ भोजपुरीक बीच जन्म लऽ रहल आ स्थापित होयबाक लेल आ भाषिकासँ भाषा मे परिणति पेबाक लेल संघर्षरत बज्जिकाभाषी क्षेत्र सँ छथि।)

 

कोनो भी समुदायक पहिचान लेल ओहि समुदाय केर भाषा महत्वपुर्ण होइत अछि । अगर किछु क्षणक लेल कोनो समुदाय सँ ओकर भाषा छिन लेल जाए तऽ ओहि समुदायक अस्तित्व समाप्त भऽ जाइत अछि । एक मिनट के लेल सोचिकऽ देखल जाय । अगर जर्मन भाषा समाप्त भऽ जाय, जर्मन संस्कृति केर कि हेतैक । अगर फ्रेन्च, आइरिस, जापनीज या कोरियन भाषा मिट जाए त ओहि संस्कृति सभक हाल कि हेतैक । तहिना मैथिली भाषा समाप्त भ जाए, त मैथिल समुदायके अस्तित्व कि रहतै । बात सोचनीय छै, किया लेल कोरिया मे जाएवाला कामदार सभक लेल कोरियन सरकार कोरियन भाषा सिखावलेल अनिवार्य कैने अछि । एकर पछाडी कोरिया के सामुदायिक पहिचानक स्वार्थ छिपल अछि । विश्वव्यापीकरण केर युग मे अगर कोरियन अन्य भाषा-भाषिकेँ छूट दैत अछि तऽ कोरियन समुदाय केर पहिचान खतरा मे पड़बाक अबस्था सृजना भऽ जाइत अछि । भाषा कि होइत अछि हम एकटा अपने भोगल घटना केँ स्पष्ट करब ।

हम पढाई करबाक सिलसिला मे अखन पोलैण्ड मे रहैत छी । हमरा सभक बासक लेल विश्वविद्यालय मे छात्राबास उपलब्ध कराएल गेल अछि । छात्राबास मे एकटा नियम छै जे छात्राबास सँ बाहर निकलैत खन अपन रुमक चाभी रिसेप्सन डेस्क मे छोड़ि कय जाय पडैत अछि । लौटबाक बाद मे फेर चाभी लऽ के जाइ पडैत अछि । लेखिन हम बाहर से अपन छात्राबास लौटे काल मे जखन-जखन चाभी माँगय जाइत छी, हमरा चाभी नै दैत अछि । कारण हम रिसेप्सनिस्ट सँ अंग्रेजी मे चाभी देवय लेल कहैत छी । Give me key of 904! वो रिसेप्सनिस्ट हमरा कहैत अछि, अहाँ चाभी पोलिस भाषा मे माँगु तखन देब। Ask me in Polish for key! ओ हमरा सँ एहि लेल पोलिस भाषा मे चाभी माँगय लेल नहि कहैत छैक कि हुनका अंग्रेजी नै अबैत छैक, या ओ अंग्रेजी नै बुझैत अछि । ओ हमरा अइ लेल पोलिस भाषाक प्रयोग करय लेल बाध्य करैत अछि कि हुनका अपन भाषा सँ प्रेम अछि । ओ अपन भाषा केर महत्व बुझैत अछि ।

पोलिस भाषा के पोल्याण्ड सँ हँटा देल जाएत त पोलिश समुदाय आ यूरोप के बाँकी समुदाय मे कोनो फरक नै रहि जेतैक । पोल्याण्ड केँ खाली ओकर अपन भाषाक कारण सँ एकटा विशिष्ट समुदायक रुप मे देखल जाइत अछि । पोल्याण्ड केर पहिचान भाषा मे आधारित अछि ।
मैथिल समुदाय केँ देखल जाए तऽ अगर मैथिली भाषा नै अछि तऽ भोजपुरी भाषी या अबधी भाषी सँ मैथिल समुदाय मे कि अलग रहि जेतैक । मैथिली,  भोजपुरी आ अबधी भाषी समुदाय केर जन्म सँ मृत्यु तक केर सारा संस्कार एक जेकाँ छैक । अगर फरक छैक तऽ खाली भाषाक । मैथिली भाषा केँ शिष्टता आ नम्रता मैथिल समुदाय केर विशेष पहिचान छैक ।  मैथिली भाषा पुरे मैथिल समुदाय केँ सभ्य बनबैत अछि । तैँ लेल अन्त मे हम कहय चाहब कि भाषा सामुदायिक पहिचानक आधार होइत अछि । अगर अहाँ अपन समुदाय केर विशिष्टता कायम राखय चाहैत छी तँ भाषा केँ संरक्षण करिकय राखय पड़त । धन्यवाद ।

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