नेपाल मे राष्ट्रीय कामकाजक भाषा मे परिमार्जन हेतु भाषा-आयोगक गठन आ प्रगति

डा. लबदेव अवस्थीक अध्यक्षता मे भाषा आयोग नेपाल मे

समीक्षा

नेपाल मे एकल भाषा नीति सँ निजात पेबाक वास्ते नव संविधान किछु प्रावधान त केलक, लेकिन एहि सँ कोनो उत्साहजनक स्थिति आन भाषा लेल ठोस रूप लय सकल तेहेन किछुओ उपलब्धि नहि भेटि सकल अछि। राजनीतिक परिवर्तन लेल संघर्ष मे लागल नीतिकार सब एहि लेल नव संविधानक आलोचना कयलनि आर क्रमशः भाषा आयोग निर्माण करैत समस्या केँ समाधान निकालबाक एकटा पहल संविधानहि मे लिखल प्रावधान अनुरूप कयल गेल। निम्न महत्वपूर्ण समाचार आ साक्षात्कार सँ मैथिली भाषाभाषी सहित समस्त भाषाभाषी केँ अत्यन्त सारगर्भित आ सान्दर्भिक जनतब भेटैत अछि जे आगामी समय मे निजत्व आ पहिचान केँ मजगुती सँ स्थापित करय मे सहायक होयत।

नेपालक भाषा आयोगक अध्यक्ष डा. लवदेव अवस्थी – फोटोः गोरखापत्र

भाषा आयोगक गठन 

सरकारी कामकाजक भाषा सिफारिस करबाक वास्ते शिक्षाविद् डा. लवदेव अवस्थीक अध्यक्षतामे भाषा आयोग गठन भेल । एक वर्षक भितर भाषा आयोग गठन कयल जेबाक संवैधानिक व्यवस्था अनुसार मन्त्रिपरिषद्क बैठक द्वारा भादव २३ गते २०७३ साल केँ श्री अवस्थीकेँ आयोगक अध्यक्ष नियुक्त कयल गेलनि । नव संविधान बनेबाक समय सरकारी कामकाजक भाषा लेल दल सभक बीच तीव्र विवाद भेलाक बाद आयोग गठनक व्यवस्था संविधानमे राखल गेल छल । ताहि समय नेपाली भाषाकेँ सरकारी कामकाजक भाषा बनेबाक आर अन्य भाषाक हकमे आयोग द्वारा सिफारिस केला अनुसार पाछाँ व्यवस्था करबाक बात कहि विवाद केँ मिलायल गेल रहय ।

भाषा आयोगक अध्यक्षमे नियुक्त अवस्थी काफी समयसँ शिक्षा मन्त्रालयमे कार्यरत छलाह । किछुए समय पहिने सचिवमे बढुवा (प्रोन्नति) भेल अवस्थी द्वारा मध्यमाञ्चलक क्षेत्रीय प्रशासकसँ राजीनामा देलाक बाद हुनका अध्यक्षमे नियुक्त कयल गेलनि । बैतडीक अवस्थी भाषाक विषयमे बेलायतसँ स्नातकोत्तर आर डेनमार्कसँ विद्यावारिधि हासिल कयने छथि ।

भाषा आयोगक अध्यक्ष आर सदस्यक पदावधि ६ वर्षक होयबाक व्यवस्था संविधान द्वारा निर्धारण कयल गेल अछि । आवश्यकताअनुसार आयोगक सदस्य नियुक्त कयल जा सकलाक बादो प्रदेशसभक प्रतिनिधित्व क्रमसँ लेल जायत ।

मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयसँ सम्बन्धित विषयमे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कयल, नेपालक विभिन्न भाषाक बारे मे अध्ययन, अध्यापन, अनुसन्धान आर अन्वेषणक क्षेत्रमे कम सँ कम २० वर्षक अनुभव रखनिहार, ४५ वर्ष उमेर पूरा भेल आर उच्च नैतिक चरित्र भेल व्यक्ति आयोगक अध्यक्ष या सदस्य होयबा योग्य व्यवस्था संविधानक धारा २८७ मे अछि । आयोगमे सदस्यक नियुक्ति एखनहुँ बाँकी अछि । आयोगकेँ सरकारी कामकाजक भाषाक रूपमे मान्यता पेबाक लेल पूरा कयल जायवला आधार निर्धारण करैत सरकारसमक्ष सिफारिस करबाक दायित्व भेटल अछि ।

सरकारी कामकाजक भाषाक रूपमे मान्यता पाबय वास्ते पूरा करयवला आधार निर्धारण करैत सरकारसमक्ष भाषाक सिफारिस करब मुख्य दायित्व आयोगक थिक । संविधानक धारा ६ सँ नेपालमे बाजल जायवला सब मातृभाषाकेँ राष्ट्रभाषाक मान्यता भेटलासँ आयोगद्वारा भाषासभकक संरक्षण, संवर्धन आर विकासक लेल अवलम्बन कयल जायवला उपाय सभ सरकारकेँ सिफारिस कयल जेबाक अछि ।

आयोगकेँ मातृभाषाक विकासक स्तर मापन कय शिक्षामे प्रयोगक सम्भाव्यताक बारेमे सरकारसमक्ष पाँच वर्षभितर सुझाव पेश कयल जेबाक समयसीमा सेहो संविधानहि द्वारा निर्धारण कयल गेल अछि ।

भाषा आयोगक शाखा प्रदेशमे सेहो होयत । संविधानक धारा ७ मे देवनागरी लिपिमे लिखल जायवा नेपाली भाषा नेपालक सरकारी कामकाजक भाषा होयबाक व्यवस्था तय छैक । मुदा, नेपाली भाषाक अतिरिक्त प्रदेशद्वारा अपन प्रदेशभितर बहुसंख्यक जनताद्वारा बाजल जायवला एक या एकसँ बेसी अन्य राष्ट्रभाषाकेँ प्रदेश कानुन मुताबिक प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषा निर्धारण कयल जा सकबाक सेहो प्रावधान संविधानमे उल्लेख अछि ।

संविधान बनेबाक समय मधेस केन्द्रित दलद्वारा हिन्दीकेँ सेहो सरकारी कामकाजक भाषा बनेबाक प्रस्ताव कयल गेल छल । अपना प्रदेशमे बाजल जायवला एक सँ बेसी भाषाकेँ प्रदेश द्वारा मात्र सरकारी कामकाजक भाषा बना सकबाक तथा केन्द्रीय कामकाजक भाषाक लेल आयोग गठन कयल जेबाक सहमति दल सभक बीच भेल छल ।

(स्रोतः अन्नपुर्ण पोस्ट)

हालहि प्रकाशित एक समाचार सँ ‘भाषा आयोगक अध्यक्ष मन्तव्य आ प्रगतिक समीक्षा पर प्रकाश भेटैत अछि। नेपालक एकमात्र सरकारी अखबार ‘गोरखापत्र’ मे प्रकाशित भाषा-आयोग अध्यक्ष संग साक्षात्कारक अनुवाद निम्न अछि।

भाषा आयोगमे यथाशीघ्र पूर्णताक अपेक्षामे छी’

नेपालक संविधान द्वारा छः वर्षक लेल भाषा आयोगक व्यवस्था अनुरूप २०७३ साल भादव २३ गते नेपाल सरकार द्वारा आयोग गठन करैत अध्यक्षमे डा. लवदेव अवस्थीक नियुक्त भेल छल ।  ‘डेनिस युनिभर्सिटी अफ एजुकेसन’ सँ भाषा नीतिमे विद्यावारिधि उपाधि हासिल कयने डा. अवस्थी काफी समय धरि शिक्षा सेवामे बितौलनि आर नेपाल सरकारक सचिव पद सँ गत वर्ष अवकाश प्राप्त कएने छलाह ।  आयोगकेँ संविधान अत्यन्त महत्वपूर्ण जिम्मेवारी देने अछि मुदा गठन भेलाक सात महीना बिति सकलाक बादो आयोगकेँ पूर्णता भेटब आर कानुन नहि बनि सकलाक कारण आयोग निर्धारित अवधि भितरे देल गेल जिम्मेवारी पूरा नहि कय सकबाक सम्भावना बढैत जा रहल अछि ।  बैतडी जिलाक सुरनया गाँउपालिका बगुवाडमे जन्म लेनिहार ५९ वर्षीय डा. अवस्थीक संगे एहि सन्दर्भमे गोरखापत्रक पत्रकार प्रकृति अधिकारी द्वारा कयल गेल बातचीतः

भाषा आयोग कि कय रहल अछि ?
विगतमे भाषा आयोगक कार्यक्षेत्रसंग सम्बद्ध अध्ययन, अनुसन्धानक सामग्री सङ्कलन केनाय आर तेकर अध्ययन, समीक्षा करबाक कार्य शुरू कयल गेल अछि ।  उपलब्ध अभिलेखन, सामग्री आर स्रोतक सङ्कलन तथा विश्लेषण करबाक कार्य भऽ रहल अछि ।  भाषासंग सम्बद्ध संस्था आर व्यक्तिसंग संस्थागत सम्बन्ध कायम राखबाक लेल देशभरिक सब भाषासभक सूचीकरण करबाक कार्य भऽ रहल अछि ।  हरेक भाषाक सञ्जाल निर्माण करब आयोगक काज मे प्रत्यक्ष रूपमे सब भाषिक समुदायक संलग्नता रहनाय होयत ।  आयोगक संस्थागत संरचनाक स्थायित्वक लेल आधार निर्माण करय लेल सल्लाहकार समूह गठन कयल गेल अछि ।  समूहमे रहल नेपालक प्रतिष्ठित भाषाविज्ञ लोकनि सँ विचारक पृष्ठपोषण भऽ रहल अछि ।  नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, त्रिभुवन विश्वविद्यालय केन्द्रीय भाषा विज्ञान विभाग सहित संस्थागत सम्बन्ध विकास करबाक काज सेहो आगाँ बढायल गेल अछि ।  स्थलगत अध्ययन केनाय, भाषिक समुदायसँग अन्तरक्रिया केनाय आर आयोगक बारेमे जानकारी अभिवृद्धि करबाक कार्य सेहो शुरू भेल अछि ।  आयोगक मार्गचित्र तैयार भऽ गेल अछि ।  ताहि आधारमे काज सभक प्राथमिकीकरण भेल अछि ।

कानुनबिना आयोग द्वारा कयल गेल काजक वैधानिकता भऽ सकत कि ?
संविधान अपनहि मे कानुन थिक ।  संविधानक कार्यादेशअनुसार आयोगक काज आगाँ बढल अछि ।  कानुन नहि हेबाक कारण तत्काल कयल जायवला काज रुकल नहि अछि । ऐनमे होमयवला बात संविधानहि मे स्पष्ट उल्लेखित अछि ।  हमरा लोकनिक काज कानुन नहि भेला सँ आगाँ नहि बढि सकत तेहेन नहि छैक, लेकिन कानुनक समुचित व्यवस्था सेहो जरूरी छैक । भाषा आयोग ऐन चाही। ऐन भेलाक बाद नियमावली बनायब ।  ऐन नहि भेला सँ समस्या पड़क बात सही छैक ।  संस्थानक कानुनी प्रबन्ध नहि रहैत आयोगक क्षेत्र विस्तार नहि कयल जा सकत । कानुन वगैर भेटल कार्यादेशकेँ प्रभावकारी रूपमे कार्यान्वयन नहि भऽ सकत । समुचित कानुनक प्रबन्ध नहि भेलापर एकरा द्वारा प्रदान कयल जायवला सिफारिसक प्रबन्ध नहि भऽ सकत ।  कार्यविधि बनाकय आन्तरिक रूपमे काज कय रहल छी ।

भाषा आयोगसम्बन्धी विधेयकमे कतय धरि पहुँचलहुँ अछि ?
सङ्घीय कानुनअनुसार भाषा आयोगक काज, कर्तव्य आर अधिकार एवम् कार्यविधि होयबाक बात कहल गेल अछि ।  आयोगकेँ व्यवस्थित करब आर कानुनसम्मत् ढङ्गसँ कार्यक्षेत्र विस्तार करब आवश्यक पड़बाक कानुनक निर्माण प्रक्रिया शुरू भेल अछि । ताहि सन्दर्भमे भाषा आयोग विधेयक मस्यौदा संसद् मे पहुँचि गेल अछि ।  नेपाल सरकार कानुन निर्माणक सब प्रक्रिया पूरा कयकेँ महत्वक संग संसद् मे पेश कयलक अछि । ताहि बारेमे किछु आरो जिज्ञासा सांसद लोकनि सँ व्यक्त होयबाक बात सेहो जानकारीमे आयल अछि ।  संसद् मे एकर कार्य प्रक्रिया पूरा करयमे समन्वय भऽ रहबाक बात सेहो खबर भेटल अछि ।  संस्कृतिमन्त्रीसंग ऐनकेँ जल्द सँ जल्द आनि देबाक बात आयोग द्वारा पहल भेल अछि ।

आयोग द्वारा सात महीना गुजैर गेलाक बादो पूर्णता नहि भेटला सँ तय समय मे सरकारसमक्ष सिफारिस कयल जा सकत ?

आयोगक पूर्णता यथाशीघ्र होयत से अपेक्षा आर प्रतीक्षामे छी ।  संवैधानिक प्रावधानअनुसार सब प्रदेशक प्रतिनिधित्व रहबाक हिसाबे आयोगकेँ पूर्णता नहि भेटि सकल अछि ।  पूर्णता दिन मन्त्रिपरिषद् मे आन्तरिक रूपमे गृहकार्य भऽ रहल बुझलहुँ अछि ।  पूर्णता नहि भेला सँ आयोगक काजमे प्रत्यक्ष रूपमे प्रभाव पड़ल छैक ।  हाल तैयार कयल गेल मार्गचित्रक प्रारम्भिक चरणसँ सब सदस्यक संलग्नता रहैत त आयोगक कार्य गति सेहो नीक होइतैक । आबऽवला समय मे एक्के रंगक विचारक निर्माण होइतैक । काल्हि आगू बढि गेला सँ सहज होइतैक, लेकिन आयोग पूर्ण नहि भेला कहिकय काजो रोकि देनाय उचित नहि हेतय । सदस्यलोकनि नहि एला धरि काजे नहि करब से नहि हेतैक । हम अपना क्षमता आर शक्तिसँ काज आगाँ बढेलहुँ अछि मुदा सन्तुष्ट नहि छी ।  सामूहिक रूपमे कयल गेल काज सँ एक्के जन द्वारा कयल काज पूर्ण व परिपक्व नहि भऽ सकैत अछि । पूर्णता पाबय मे आरो ढिला-सुस्ती भेल त आयोग द्वारा देल जायवला सिफारिस मे निश्चय प्रभाव पड़त ।

सङ्घ, प्रदेश आर स्थानीय तहमे सरकारी कामकाजक भाषा सिफारिस करय पड़त ।  ई एकदम्मे पैघ जिम्मेवारी छी ।  सभक सहमतिमे निष्कर्षपर पहुँचय पड़ैछ ।  राज्यक सब तहमे भाषाकेँ जोड़िकय सङ्घीय संरचनाअनुसार काज सम्पादन करय पड़ैत छैक ।  सदस्य नियुक्तिमे अधिक ढिलाइ होयत त नेपाल सरकार द्वारा कयल जायवला सेवापर सेहो प्रभाव पड़त । नेपाल सरकार द्वारा लेल जायवला नीतिगत निर्णय, रूपान्तरण तथा समावेशी कार्य पद्धतिक पूर्णता नहि भेल धरि सङ्घीयता कार्यान्वयनमे नहि आओत ।  सङ्घीयताक जैड़मे भाषा नीति सेहो जुड़ल अछि ।  समयमे पूर्णता नहि पेबाक निर्णयसँ प्रक्रिया प्रभावित होएछ आर सङ्घीयताक प्रभावकारी सेवा सम्प्रेषणमे समेत प्रतिकूल प्रभाव पड़त से स्पष्ट अछि ।  संवैधानिक सेवाक बारेमे देशव्यापी रूपमे पैघ अभिरुचि जागल अछि ।  एहि सन्दर्भमे आयोगक पूर्णता नहि भेलासँ ई भाषिक समुदाय सभक इच्छा व्यक्त कयल गेल मुताबिक भाषाक विचारकेँ पूर्ण रूपमे सम्बोधन करत तेहेन अवस्था नहि देखा रहल अछि ।

भाषासम्बन्धी सिफारिस करब बौद्धिक कार्य होइतो एहि मे राजनीतिक पक्ष सेहो जोड़ल रहलासँ सिफारिसमे केहेन सन्तुलन कायम राखि सकब ? सिफारिस विवादित होयबाक अवस्था त नहि आओत ?
ई बहुत पैघ महत्वपूर्ण आर चुनौतीपूर्ण पक्ष थिक ।  आयोगसँ होयबला सिफारिस नितान्त वैज्ञानिक विश्लेषणक आधारमे होयत ।  तथ्यपरक जानकारी प्राप्त कयकेँ तेकर सामाजिक, राजनीतिक तथा विकास सँ सम्बन्धित पक्षकेँ सेहो विश्लेषण करैत निष्कर्षमे पहुँचय पड़त ।  तैँ एहि लेल भाषिक समुदायसंग आर नीति निर्माण तहमे सेहो विचार-विमर्श एवम् अन्तरक्रिया तथा सहमति निर्माण करबाक पहल आयोगक रहत ।  संवैधानिक भावनाअनुसार राज्यद्वारा प्रदान कयल गेल जिम्मेवारी पूरा करब हमरा लोकनिक प्रमुख दायित्व होयत ।  ताहि सँ नेपाली तथा नेपालक हितक सुनिश्चितता राखैत भाषासम्बन्धी सिफारिसक प्रक्रिया तय कयल जायत ।

वर्तमान तथ्याङ्कक आधारमे भाषिक सिफारिस कयलापर समस्या नहि ठाढ होयत से कहब संभव अछि ? आयोगद्वारा प्रयोग कयल जायवला तथ्याङ्कक सत्यापन आवश्यक होयत कि नहि ?
आधिकारिक निकाय केन्द्रीय तथ्याङ्क विभाग टा छी ।  विभागसँ देल गेल जानकारीक आधारमे आयोगसँ कार्यप्रक्रिया शुरू कयल गेल अछि । कतिपय तथ्याङ्कमे देखल गेल अपूर्ण पक्ष आर नहि मिलबाक सवालमे विभागसंग सहकार्य करबाक हिसाबे आयोग आगाँ बढल अछि ।  संयुक्त कार्य समूह निर्माण कयकेँ तथ्याङ्कक सत्यापन करब आर विस्तृत रूपमे भाषिक सर्वेक्षणक काजकेँ सेहो आगाँ बढेबाक पहल भऽ रहल अछि । विभागक आँकडासँ भाषाक सङ्ख्याक जानकारी भेटैत अछि मुदा भाषा आयोग द्वारा प्राप्त कयल गेल कार्यादेश पूरा करबाक लेल भाषिक सर्वेक्षण मात्र आवश्यक होयत से देखा रहल अछि ।  एहि कार्यमे त्रिविक केन्द्रीय भाषा विज्ञान विभाग सँ सम्पादन कयल गेल काजक सेहो आंशिक रूपमे उपयोग करबाक बात देखैत छी ।  वैज्ञानिक भाषिक सर्वेक्षण नहि भेला धरि भाषा आयोगक काज पूर्णता पाओत से अवस्था नहि अछि ।  आगामी वर्षक वार्षिक कार्यक्रममे सेहो स्रोतक व्यवस्था कय भाषिक सर्वेक्षण प्रारम्भ करबाक काज आगाँ बढेबाक गृहकार्यमे जुटल छी ।  समिति बनेलहुँ अछि ।

भाषाविद् प्रा. डा. योगेन्द्रप्रसाद यादवक संयोजकत्वमे तथ्याङ्क विभागक प्रतिनिधित्वसहितक समिति खाका तैयार कय रहल अछि ।  तथ्याङ्क उपलब्ध आर पूर्ण भेलाक अलावे अपूर्ण आ दुविधापूर्ण विषयमे सही-गलतीक निर्णय भाषिक सर्वेक्षण कयल जेबाक बात देखैत छी ।  ताहि लेल तीन वर्ष समय लागत ।  राष्ट्रिय रूपमे होयवला श्रम सर्वेक्षण, जीवनस्तर सर्वेक्षणसहितमे पर्यन्त भाषाकेँ आबद्ध कयकेँ पुष्टि करबाक योजना सेहो बनेलहुँ अछि ।

वक्ता नहि रहल भाषाक संरक्षण केना कयल जा सकत ?
संवैधानिक व्यवस्थाअनुसार भाषाक संरक्षण, संवर्धन आर उन्नयनक वास्ते जिम्मेवारी पेलहुँ अछि ।  जे कोनो भाषा मिटेबाक आ अस्तित्वमे नहि रहि जेबाक अवस्थामे अछि, तेकरो स्थानीय तहमे सब सामग्री सङ्कलन करब ।  उच्चारण पद्धति, व्याकरण, शब्द सङ्ग्रह कयकेँ ‘डिजिटलाइज्ड’ बनायब । ताहि सभक अभिलेख बनाकय केन्द्रीय सङ्ग्रहक व्यवस्था कयल जायत ।  दूरा भाषाक मातृभाषी वक्ता नहि छैक ।  गैरमातृभाषी वक्ता द्वारा जीवित रखबाक अवस्था छैक । ताहि भाषाक शब्द सङ्ग्रह, व्याकरण, उच्चारण स्वरूप केर अभिलेखीकरण करय पड़त ।  लोप होयबाक अवस्थामे रहल भाषाकेँ सेहो तहिना कयल जायत । बराम भाषा लगभग लोप भऽ चुकल अवस्थामे छलय आर किछु प्रयास भेलासँ लोप होयसँ जोगायल जा सकल अछि ।  ताहि हेतु हरेक भाषाक सञ्जाल बनेबाक चाही से कहल गेल अछि ।  सङ्कलनसँ मात्र नहि हेतैक प्रयोग विस्तार करय पड़त ।  एकटा समुदायमे मात्र सीमित नहि राखि सभक पहुँचमे हरेक भाषाकेँ पहुँचाबय पड़त ।  हरेक नेपालीक सम्बन्ध रहब जरूरी छैक ।  इजरायलमे हिब्रु भाषा लोप भऽ गेल छलैक आर बादमे फेरो एकरा जीवन्त कयल गेल ।  लोप भऽ चुकल भाषाकेँ पुनःजीवन देबाक सेहो उदाहरण सब भेटैत अछि ।  ताहि कारण लोप होइते ओ सदाकाललेल मिटा जायत तेहनो नहि छैक ।  प्रयोग केलापर फेर सँ जीवन्त भऽ सकैत छैक । सङ्कटमे रहल भाषामे तत्काल हस्तक्षेप कयकेँ जोगेबाक जरुरत होएत छैक ।  विद्यालय आर विश्वविद्यालयमे प्रयोग करय पड़ैत छैक ।  भाषा आर संस्कृतिबीच अन्तर्सम्बन्ध होएत छैक । ताहि हेतु भाषाकेँ संस्कृतिसंग सेहो जोड़ब जरूरी होएत छैक ।  सञ्चार माध्यममे बेसी सँ बेसी प्रयोग भेला सँ हेरा रहल भाषामे सुधार अबैत छैक ।  गोरखापत्रक अगुवाइसँ मातृभाषाक छुट्टै विशेषाङ्कक रूपमे भाषाक प्रयोग, विस्तार आर संरक्षण होयबाक अत्यन्त उत्कृष्ट उदाहरण सभक सोझाँ स्पष्ट झलैकते अछि ।

अङ्ग्रेजी भाषाप्रतिकेर मोहसँ नेपालक मातृभाषाक प्रयोग घटैत गेल अछि ।  मातृभाषाक संरक्षण आर प्रयोगमे कोना जोर देल जा सकैछ ?
सिखनाय अपनहि भाषासँ सम्भव होइछ ।  अङ्ग्रेजीप्रतिक मोह होयब अतिशयोक्ति आर भ्रम थिक ।  भ्रम निवारण करबाक प्रयास आयोग द्वारा कयल जायत ।  अङ्ग्रेजी भाषा आवश्यक छैक लेकिन बेसी परनिर्भरता रखला सँ हमरा लोकनिक भाषा कमजोर होएत जायत आर आयातित भाषासब नेपालक पहिचान केँ पर्यन्त सङ्कटमे डालि देत ।  एकटा भाषाकेँ वञ्चित कयकेँ दोसर भाषाकेँ प्रोत्साहन नहि करक चाही ।  मातृभाषाप्रति जिम्मेवारी बोध कराकय नया पीढीकेँ हस्तान्तरण करबाक चाही ।  नया पुस्ताक लेल गर्व करय लेल पैघ उपहार कहला सँ केवल भाषा व संस्कृति थिक ।  सन्तुलित रूपमे मातृभाषाक बुनियाद, नेपाली भाषाक पृष्ठपोषण आर विदेशी भाषाक ज्ञानकेँ जोड़य पड़ैछ ।  अन्यथा राष्ट्रकेँ बहुत पैघ क्षति उठबय पड़ैछ ।  युवा पुस्ताक आयातित भाषाप्रतिकेर मोहक कारण हजारौँ पुस्तासँ प्राप्त कयल भाषिक ज्ञानकेर अन्त होयबाक डर देखल जा रहल अछि ।