शप्पथ छन्हि डा. सी. के. राउत केँ…. ओ आइ सँ शुरू करथि मधेशी भाषा मे फेसबुक पर पोस्ट लिखनायः चुनौती
(नवका सूत्र मधेशी भाषा पर विचार)

स्थापित भाषा मैथिली मे एखन धरि लाखों-लाख पोथी, शोध, ग्रन्थ, आलेख, विचार, समाचार सब होयबाक बात किनको सँ छुपल नहि अछि। मैथिलीक सामर्थ्य मात्र नेपालहि आ भारत भितर नहि रहि एकर पाँखि आब एकरा विश्व भाषाक उच्च महत्वक ५० भाषा मध्य ४५म भाषाक मान्यता पर्यन्त भेट गेल। युरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एसिया, अफ्रीका – आबदी वला सब महादेश मे मैथिलीभाषी अपन नीक पहुँच बना चुकल छथि। संगठन आर कोनो नाम पर हो नहि हो, भाषाक नामपर चारूकात मैथिलीमय भेल सबकेँ ज्ञाते अछि। एतेक तक कि नेपालहि केर लाखों लोक विदेशी रोजगार मे सउदी अरब, कतार, युनाइटेड अरब अमीरात, मलेशिया, आदि देश मे जे कार्य कय रहला अछि, ओहो सब ‘साँझक चौपाड़ि पर’ साहित्यिक गतिविधि सँ लैत मिथिला एकता समाज सँ छैठ, होली, अष्टयाम आदिक आयोजन त अप्पन मिथिला सेवा समाज नेपाल केर नाम सँ सब देश मे एकत्रित भऽ समाजक कूरीति सब सँ लड़बाक आ हेल्प मधेशी समाज केर निर्माण कय मधेशक शहीदक परिवार सब केँ पर्यन्त यथासंभव आर्थिक व अन्य मदति करैत छथि। ई सब अपन भाषा, भेष आ भूषण मे मिथिला आ जानकीतत्व सर्वोपरि रखैत छथि। तखनहुँ डा. राउत, हिनक समर्थक आ हिनक अभियान मे अचानक मधेशक बिचला हिस्सा मिथिलाक नाम ‘मध्य-मधेश’ लेल त जे-जतेक आतुर छथि से छथिये, स्थापित भाषा केँ पर्यन्त ई अपन वैज्ञानिक सूत्र सँ नव स्वरूप देबाक लेल उद्यत् देखाएत छथि। आब, मधेशी भाषा मानकीकरण समितिक बात उठेलनि – आर मधेशक कुल २२ जिलाक भाषा केँ एकरूपता देबाक एकटा महात्वाकांक्षी योजना बनौलनि। आइ ओ ई बात स्वीकार कयलनि जे भाषा विकासक विभिन्न महत्वपूर्ण काज ओ ६ वर्ष पूर्वहि सँ शुरू कय चुकल छथि। ई हिनकर नव झुपलिसबाजी थिक। कंप्युटर साइंटिस्ट लेल विभिन्न भाषाक शब्दकोश केँ एकठाम कम्पाइल करब आ तेकर समीक्षात्मक विश्लेषण करैत आगाँ आरो डेटा डिवलप करबाक नीति केँ ई अपन अंध-समर्थक ‘जिन्दाबाद-जिन्दाबाद’ टोली मे ‘नव-भाषा-विकास’ केर कार्यक रूप मे प्रचारित कय रहला अछि। औ बाबू! मैथिली भाषा, भोजपुरी, अंगिका, बज्जिका, मगही, अबधी आदि सँ काफी ऊपर छैक तखन न भारतक संविधानक आठम अनुसूची मे अलग स्थान पेलक। आब, एहि अविकसित भाषा भोजपुरी, अंगिका आदि केँ विकास लेल उचित योगदानक बदला एकरा सबकेँ गर्भहि मे मारिकय ई नवका भाषा ‘मधेशी भाषा’ कहिकय जे अहाँ प्रचारित कय रहल छी ताहि सँ केकरा लाभ भेटत? अपन मौलिकता केँ सर्वनाश करबाक सोच यदि समग्र मधेश एक प्रदेशक अवधारणा मे नहि रहैत, यदि नेपालक आन जनमानस आ भूगोल संग उचित सहकार्यक दृष्टिकोण कतहु सँ धराप मे नहि पाड़ल जाएत त कि बुझाएत अछि जे गिरिजा प्रसाद कोइरालाक कयल गेल पहिल मधेश आन्दोलनक उपरान्तक समझौता कहियो बिसरायल जा सकैत रहय? सोचू।
डा. राउत, अहाँ विद्वान् छी। एहि मे कतहु दुइ मत नहि। अहाँ नीक-नीक छात्रवृत्ति पेलहुँ। जापान, बेलायत, अमेरिका उच्च महत्वक शिक्षण संस्थान सँ शिक्षा ग्रहण केलहुँ, कोनो शक नहि। त्याग संग कीर्ति करू…. इतिहास अहुँ केँ अवश्य स्थान देत। आब जँ अहाँ ई सोचैत छी ‘वैराग्य देखि बचाव सम्म’ मे स्वीकार कयल अपन मातृभाषा मैथिली केँ सामन्ती-मनुवादीक भाषा कहिकय पब्लिक केँ ठकब से नहि चलत। मैथिलीक सामर्थ्य ओकर सृजन-श्रृंगार मे छैक। कियो केकरो कहैत नहि छैक जे तू सृजन कर। स्वतः बच्चा-बच्चा मे जानकीभाव (Janaki-Consciousness) प्रवेश करैत छैक। कियो किताब लिखैत छैक। कियो गीत गबैत छैक। कियो नाटक खेलाएत छैक। कियो क्रान्ति करैत छैक। कियो फिल्म बनबैत छैक। देखैत नहि छियैक करनिहारक डिजाइन आ ब्रेन! विद्वान् बनबाक हड़बड़ी मे अपना सँ श्रेष्ठ केँ ‘सामन्ती’ कहिकय सह-अस्तित्वक संस्कृति केँ चुनौती देनाय शुरू करब – स्थापित भाषा केँ नामे बदलि देब आ अपन नाम अमर कय लेब…. कियैक अबैत अछि अपने मे ई सब भाव? अहाँ मैथिली मे लेखन कार्य शुरू करू। पोस्ट करू। मधेशी भाषा मे फेसबुक पर पोस्ट देनाय सबसँ पहिने शुरू करू। ६ वर्ष मे कयल काज आ भाषा विकासक पोल खाली दाबी केला सँ होयत? शप्पथ अछि अहाँ केँ एहि २२ जिलाक मधेशक पवित्र भूमि केर…. आइ सँ अहाँ मधेशी-भाषा मे पोस्ट लिखू। आर, शपथ अहाँक समर्थक केँ – ओहो सब मधेशी भाषा मे पोस्ट आ रिप्लाइ करैथ। अपन ओकादि एत्तहि पता चलि जायत। अस्तु!
हरिः हरः!!