शप्पथ छन्हि डा. सी. के. राउत केँ…. ओ आइ सँ शुरू करथि मधेशी भाषा मे फेसबुक पर पोस्ट लिखनायः चुनौती
(नवका सूत्र मधेशी भाषा पर विचार)
हिमालयक कोरा मे अवस्थित एक सुन्दर आ छोट प्रकृतिक प्रेम सँ आच्छादित देश “नेपाल” मे विगत कइएक दशक सँ राजनीतिक उथल-पुथल मचल अछि। अपन ३० वर्षक नेपाल वासक अनुभव कतेको बेर अपने लोकनि धरि पहुँचेनहिये छी। पिछला २०१५ मे अन्तिम समय शान्ति स्थापित होयबाक एकटा महत्वपूर्ण काज पूरा भेलैक, संघीय संविधान लिखेबाक काज भेलैक। विश्वक एक सर्वोत्कृष्ट संविधान एक पक्ष – बहुमत सँ जीतल राष्ट्रीय दलक राय मे तीव्र आलोचनाक बहुतो स्थान रहितो क्रमशः एहि संविधान अन्तर्गत देश मे शान्ति प्रक्रिया आब अन्तिम-अन्तिम चरण मे पहुँचल देखा रहल अछि। २४ गते माघ राष्ट्रीय सभा सदस्यक चुनाव आ तेकर परिणाम अबिते देश पैछला सब संघर्षक दिन केँ किनार लगा जनताक मत सँ प्राप्त जनादेश अनुरूप एहि संविधान केँ नियमन करय मे लागि जायत। जहिना बसन्त ऋतुक आगमन भेलापर मानव शरीर सँ लैत सम्पूर्ण प्रकृति मे एकटा नव आनन्दक संचरण होएत छैक, ठीक तहिना एतुका जनगणमन मे नव सुखक दिन एबाक अनुभूति अग्रिमहि होमय लागल अछि से कहि सकैत छी। तखन अपन-अपन विचारधारा आ एजेन्डा केँ पूरा नहि होएत देखि किछु राजनीतिक आ क्रान्तिकारी विचारक अपन असन्तोष सँ काफी उद्वेलित सेहो देखल जा रहला अछि। एहने एक उद्वेलित शक्ति नेपालदेश मे स्वतंत्र मधेशक खुलिकय वकालत करयवला शक्तिक केन्द्र स्वतंत्र मधेश गठबन्धनक संस्थापक आ जानल-मानल चर्चित विद्वान् विचारक डा. सी. के. राउत सेहो कतहु न कतहु किछु बात सँ आहत बुझा रहला अछि। आहत भेनाय क्रान्तिकारी विचारक लेल कोनो विस्मयकारी बात नहि होएत छैक, मुदा मानसिक अवसादग्रस्त भेनाय खतरनाक छैक। एहने सन अवस्था मे डा. राउत विगत किछु समय सँ प्रदेश सभाक क्रियान्वयन होएत आ संघीयता नेपालक नव संविधानक परिकल्पना अनुरूप अपन स्वरूप मे अबैत सफल होएत देखि अचानक प्रदेश २ केर नामकरण, भाषा-नीति लेल व्यग्र भेल छथि। आन्तरिक कारण समग्र मे एखनहु स्पष्ट नहि अछि, लेकिन हुनकहि तर्क आ विचार केँ अध्ययन केला सँ ई ज्ञात होएत अछि जे मधेशक समग्रता केँ रक्षा करबाक दृष्टिकोण सँ ओ मधेश मे ‘मधेशी भाषा’ कामकाजक भाषा बनेबाक लेल आतुर छथि। मुदा हिनक ई आतुरता सिर्फ प्रदेश २ मे कियैक? ई मधेशक समग्रता लेल प्रदेश २ केर अतिरिक्त आरो-आरो प्रदेश मे ओतुका बहुसंख्य जनमानसक भाषाक प्रतिकार मैथिली जेकाँ कियैक नहि करैत छथि? त एकर जबाब सहज छैक जे आन प्रदेश मे जखन मधेशवादक झंडा फहरेनिहार संघीय समाजवादी फोरम, राष्ट्रीय जनता पार्टी व अन्य दल अथवा समूह जे मधेशक मुक्ति लेल नारा लगबैत आन्दोलन केलक, सैकड़ों लोक शहादति देलक, ओहो सफल नहि भेल त स्वतंत्र मधेश गठबन्धनक जमीनपर संगठन निर्माण तक नहि भेल अछि, तैँ प्रदेश २ केर जनतामे कनेक अपन पकड़ देखैत ओ एतुका समर्थक समूह केर मार्फत आपसे मे लोक सबकेँ भिड़ेबाक कुत्सित विचार सब राखब शुरू कयलनि, कूतर्क आ अनेको छद्म सन्दर्भ सभक सहारे मिथिलाक विशुद्ध क्षेत्रक नाम मध्य-मधेश आ भाषा ‘मधेशी भाषा’ होयबाक वकालत जोर-शोर सँ कय रहला अछि।
स्थापित भाषा मैथिली मे एखन धरि लाखों-लाख पोथी, शोध, ग्रन्थ, आलेख, विचार, समाचार सब होयबाक बात किनको सँ छुपल नहि अछि। मैथिलीक सामर्थ्य मात्र नेपालहि आ भारत भितर नहि रहि एकर पाँखि आब एकरा विश्व भाषाक उच्च महत्वक ५० भाषा मध्य ४५म भाषाक मान्यता पर्यन्त भेट गेल। युरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एसिया, अफ्रीका – आबदी वला सब महादेश मे मैथिलीभाषी अपन नीक पहुँच बना चुकल छथि। संगठन आर कोनो नाम पर हो नहि हो, भाषाक नामपर चारूकात मैथिलीमय भेल सबकेँ ज्ञाते अछि। एतेक तक कि नेपालहि केर लाखों लोक विदेशी रोजगार मे सउदी अरब, कतार, युनाइटेड अरब अमीरात, मलेशिया, आदि देश मे जे कार्य कय रहला अछि, ओहो सब ‘साँझक चौपाड़ि पर’ साहित्यिक गतिविधि सँ लैत मिथिला एकता समाज सँ छैठ, होली, अष्टयाम आदिक आयोजन त अप्पन मिथिला सेवा समाज नेपाल केर नाम सँ सब देश मे एकत्रित भऽ समाजक कूरीति सब सँ लड़बाक आ हेल्प मधेशी समाज केर निर्माण कय मधेशक शहीदक परिवार सब केँ पर्यन्त यथासंभव आर्थिक व अन्य मदति करैत छथि। ई सब अपन भाषा, भेष आ भूषण मे मिथिला आ जानकीतत्व सर्वोपरि रखैत छथि। तखनहुँ डा. राउत, हिनक समर्थक आ हिनक अभियान मे अचानक मधेशक बिचला हिस्सा मिथिलाक नाम ‘मध्य-मधेश’ लेल त जे-जतेक आतुर छथि से छथिये, स्थापित भाषा केँ पर्यन्त ई अपन वैज्ञानिक सूत्र सँ नव स्वरूप देबाक लेल उद्यत् देखाएत छथि। आब, मधेशी भाषा मानकीकरण समितिक बात उठेलनि – आर मधेशक कुल २२ जिलाक भाषा केँ एकरूपता देबाक एकटा महात्वाकांक्षी योजना बनौलनि। आइ ओ ई बात स्वीकार कयलनि जे भाषा विकासक विभिन्न महत्वपूर्ण काज ओ ६ वर्ष पूर्वहि सँ शुरू कय चुकल छथि। ई हिनकर नव झुपलिसबाजी थिक। कंप्युटर साइंटिस्ट लेल विभिन्न भाषाक शब्दकोश केँ एकठाम कम्पाइल करब आ तेकर समीक्षात्मक विश्लेषण करैत आगाँ आरो डेटा डिवलप करबाक नीति केँ ई अपन अंध-समर्थक ‘जिन्दाबाद-जिन्दाबाद’ टोली मे ‘नव-भाषा-विकास’ केर कार्यक रूप मे प्रचारित कय रहला अछि। औ बाबू! मैथिली भाषा, भोजपुरी, अंगिका, बज्जिका, मगही, अबधी आदि सँ काफी ऊपर छैक तखन न भारतक संविधानक आठम अनुसूची मे अलग स्थान पेलक। आब, एहि अविकसित भाषा भोजपुरी, अंगिका आदि केँ विकास लेल उचित योगदानक बदला एकरा सबकेँ गर्भहि मे मारिकय ई नवका भाषा ‘मधेशी भाषा’ कहिकय जे अहाँ प्रचारित कय रहल छी ताहि सँ केकरा लाभ भेटत? अपन मौलिकता केँ सर्वनाश करबाक सोच यदि समग्र मधेश एक प्रदेशक अवधारणा मे नहि रहैत, यदि नेपालक आन जनमानस आ भूगोल संग उचित सहकार्यक दृष्टिकोण कतहु सँ धराप मे नहि पाड़ल जाएत त कि बुझाएत अछि जे गिरिजा प्रसाद कोइरालाक कयल गेल पहिल मधेश आन्दोलनक उपरान्तक समझौता कहियो बिसरायल जा सकैत रहय? सोचू।
डा. राउत, अहाँ विद्वान् छी। एहि मे कतहु दुइ मत नहि। अहाँ नीक-नीक छात्रवृत्ति पेलहुँ। जापान, बेलायत, अमेरिका उच्च महत्वक शिक्षण संस्थान सँ शिक्षा ग्रहण केलहुँ, कोनो शक नहि। त्याग संग कीर्ति करू…. इतिहास अहुँ केँ अवश्य स्थान देत। आब जँ अहाँ ई सोचैत छी ‘वैराग्य देखि बचाव सम्म’ मे स्वीकार कयल अपन मातृभाषा मैथिली केँ सामन्ती-मनुवादीक भाषा कहिकय पब्लिक केँ ठकब से नहि चलत। मैथिलीक सामर्थ्य ओकर सृजन-श्रृंगार मे छैक। कियो केकरो कहैत नहि छैक जे तू सृजन कर। स्वतः बच्चा-बच्चा मे जानकीभाव (Janaki-Consciousness) प्रवेश करैत छैक। कियो किताब लिखैत छैक। कियो गीत गबैत छैक। कियो नाटक खेलाएत छैक। कियो क्रान्ति करैत छैक। कियो फिल्म बनबैत छैक। देखैत नहि छियैक करनिहारक डिजाइन आ ब्रेन! विद्वान् बनबाक हड़बड़ी मे अपना सँ श्रेष्ठ केँ ‘सामन्ती’ कहिकय सह-अस्तित्वक संस्कृति केँ चुनौती देनाय शुरू करब – स्थापित भाषा केँ नामे बदलि देब आ अपन नाम अमर कय लेब…. कियैक अबैत अछि अपने मे ई सब भाव? अहाँ मैथिली मे लेखन कार्य शुरू करू। पोस्ट करू। मधेशी भाषा मे फेसबुक पर पोस्ट देनाय सबसँ पहिने शुरू करू। ६ वर्ष मे कयल काज आ भाषा विकासक पोल खाली दाबी केला सँ होयत? शप्पथ अछि अहाँ केँ एहि २२ जिलाक मधेशक पवित्र भूमि केर…. आइ सँ अहाँ मधेशी-भाषा मे पोस्ट लिखू। आर, शपथ अहाँक समर्थक केँ – ओहो सब मधेशी भाषा मे पोस्ट आ रिप्लाइ करैथ। अपन ओकादि एत्तहि पता चलि जायत। अस्तु!
हरिः हरः!!