जितिया पावनिक ब्रत संतान लेल कैल जाइ अछि
लेख विचार
प्रेषित: गीता कुमारी गायत्री
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
#विषय:-जितिया पावैन के महत्व
*जितिया के महत्व*
समस्त मिथिलावासी...
कविचन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण – लङ्काकाण्ड पाँचम अध्याय
स्वाध्याय
- प्रवीण नारायण चौधरी
कविचन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण
लङ्काकाण्ड - पाँचम अध्याय
।चौपाइ।
शुक - मुख - वचन शुनल लङ्केश । मूढ़ तोर जानल बुढ़ वेश ॥
शुक गुरुजकाँ...
बेर बेर मनन करबा योग्य भजन – भज गोविन्दं भज गोविन्दं
स्वाध्याय
- प्रवीण नारायण चौधरी
बहुते दिन सँ सोचि रहल छलहुँ जे अपन एक गुरुजन सँ सुनल अत्यन्त प्रेरणादायी कथा-वृत्तान्त पर आधारित आ अपन एक पितामह...
भादव मास केर शुक्ल पक्ष चतुर्थी कऽ मनाओल जाइ अछि चौरचन
लेख विचार
प्रेषित: कीर्ति नारायण झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- “चौठीचान केर महत्त्व
मिथिला में कहल जाइत छैक जे...
अछि चौठी चान पुजबा लऽ दही केँ विधान
लेख विचार
प्रेषित: मीना मिश्रा मुक्ता
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- चौरचन केर महत्त्व ( काव्यात्मक)
चौठीचान
क्षीर,दधी,मधु,पान ,मखान
...
फल लऽ करु चौठ चन्द्र केर दर्शन
लेख विचार
प्रेषित: संजू शोभना
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय :- चोरचन पावन के महत्व
"उगह चान की लपकब...
सन्दर्भ जितिया-खरजितियाक – निर्जला व्रत (उपवास) केर निजी संस्मरण
संस्मरण-कथा
- प्रवीण नारायण चौधरी
निर्जला व्रत (उपासना) केर अपन अनुभव
आइ विक्रम संवत साल २०८१ (ईश्वी संवत् २०२४) केर जितिया व्रतक विशिष्ट रूप 'खरजितिया' केर दोसर...
कविचन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण – लङ्काकाण्ड चारिम अध्याय
स्वाध्याय
- प्रवीण नारायण चौधरी
कविचन्द्र विरचित मिथिलाभाषा रामायण
- लङ्काकाण्ड चारिम अध्याय
।सवैया छन्द।
बाँधल भेल बाँध वारिधि मे, दशवदनक विजयक मन काज ॥
शिवरामेश्वर तत संस्थापन, कयल सविधि...
महापुरुषक जीवनी आ हमरा लोकनिक जीवन
महापुरुषक जीवन सँ हम मानव केना प्रेरणा ग्रहण करैत छी
विचार
- प्रवीण नारायण चौधरी
एहि संसारमे अनेकों महापुरुषसब अवतरित भेलाह । हमरा सभक बीच सेहो कतेको...
आत्मशान्ति – कियैक आ केना ?
अत्यन्त मननीय लेख
आत्मशान्ति - कियैक आ केना ?
हरेक मानव केँ आत्मशान्तिक अभिलाषा रहैत छैक । ओना त आत्मशान्ति आत्माक स्वभावहि मे निहित छैक, मुदा...