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Sagar Jha

अपने लोक सँ हारल छी हम – सागर झाक काव्य

साहित्य रचना:- सागर झा ✍️ अपने लोक सँ हारल छी हम लागैए  जेना   पागल छी हम की कहु आब हाल अपन हम अपने दुख सँ  मारल छी  हम तपते   छोलनी   दागी   देलहुँ एखनो तक तएँ दागल छी हम पुरना  बात  अहाँ   जाए दियौ सभ सँ बेसी आभागल छी हम आने   बुझू   अहाँ  सभ  हमरा अपने  अपने लोक सँ हारल छी हम – सागर झाक काव्य

कविता

अपने लोक सँ हारल छी हम लागैए  जेना  पागल छी हम आब की कहु हालत अहाँ के दुख सँ अपने मारल छी हम गरमे छोलनी मारलहुँ हमरा अखनो तक तएँ दागल छी हम पुरना बात अहाँ जाए दीयौ सभ सँ बेसी अभागल छी हम आने बुझू अहाँ सभ हमरा अपने लोक सँ बारल छी हम