“लोकगाथा के लोक साहित्यक महाकाव्य कहल जा सकैत अछि।”
— कीर्ति नारायण झा। “छाती तोहर देखियौ भैया, बज्जर रे केवाड़। पीठ तोहर लागौ भैया, धौलगिरी पहाड़। मोंछ तोहर अइंठल भैया, बहिंगा सन सन ठाढ। तोरा दिस जे ताकइ छी तऽ, लगइ छै अन्हार……” मिथिलाक प्रसिद्ध लोकगाथा लोरिक इ पांती मिथिलाक गाम – गाम में गुंजैत वीर रस सँ ओतप्रोत मिथिलाक सांस्कृतिक धरोहर के … “लोकगाथा के लोक साहित्यक महाकाव्य कहल जा सकैत अछि।”